भारत बंद का असर : नागपुर विभाग से 833 बसें रही ठप, 25 लाख का नुकसान

भारत बंद का असर : नागपुर विभाग से 833 बसें रही ठप, 25 लाख का नुकसान

Anita Peddulwar
Update: 2018-09-10 10:53 GMT
भारत बंद का असर : नागपुर विभाग से 833 बसें रही ठप, 25 लाख का नुकसान

डिजिटल डेस्क, नागपुर। सोमवार को भारत बंद का असर नागपुर विभाग की बसों पर देखने मिलान 903 फेरियों में  नाममात्र फेरियां ही चल सकी है। जिससे यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। निजी बसें भी काफी हद तक नहीं चलने  से यात्रियों के सामने दोहरा संकट आन पड़ा । अधिकारियों की माने तो भारत बंद से महामंडल का 25 लाख का नुकसान हुआ है। सर्वांधिक नागपुर डिपो से निकलनेवाली बसों पर फर्क पड़ा है। जहां से 10 प्रतिशत बसें भी नहीं चल सकी है।

पेट्रोल व डीजल दर वृध्दि को लेकर देशभर में राजकीय कार्यकर्ताओं की ओर से भारत बंद का ऐलान किया गया। ऐसे में दुकान, कार्यालय से लेकर परिवहन व्यवस्था पर भी इसका असर देखने मिला। जिसमें सरकारी एस टी बसों की तोड़-फोड़ की ज्यादा आशंका थी। ऐसे में नागपुर विभाग अंतर्गत चलनेवाली बसें प्रभावित हुई। नागपुर विभाग अंतर्गत रोजाना 589 बसें शामिल होती है।  जिसमें लाल बसों के साथ शिवशाही बसों का भी सामावेश है। यह बसें अमरावती, नांदेड़, पुसद, औरंगाबाद, नाशिक, रामटेक, उमरेड, काटोल, कलमेश्वर, यवतमाल, आदि तक यात्रियों को मामूली किराये के भरोसे पहुंचाती है।

जिससे रोजाना केवल नागपुर विभाग से ही 40 हजार यात्री इन बसों पर निर्भर रहते हैं। उक्त कुल 589 बसों में कई बसें एक ही दिन में दो  या तीन बार गंतव्य तक आवागमन करती है। जिससे रोजाना इनकी फेरियों की संख्या 903 हो जाती है। इसके भरोसे रोजाना महामंडल को 30 लाख के करीब आमदनी हो जाती है। लेकिन सोमवार को 833 बसें नागपुर विभाग में ही ठिठकी रही।  तोड़-फोड़ के डर से इन बसों को आगे नहीं बढ़ाया गया । ऐसे में बसों का इंतजार करनेवाले यात्रियों के हाल बेहाल हुए।

एस टी बसों पर बंद का संकट
गत काफी समय से राज्य सरकार की एस टी बसें घाटे में चल रही है। ऐसे में अधिकारियों द्वारा लगातार बसों से यात्रियों को जोड़ने के लिए नई-नई तरकीब लगाई जाती है। लेकिन हर बार बंद के कारण तालमेल बिगड़ रहा है। हाल ही में बस कर्मचारियों ने वेतन वृध्दि को लेकर बसों को रोके रखा था। जिससे लाखों का नुकसान हुआ था। गत वर्ष भी 4 दिन दिवाली के बाद चक्काजाम किया गया था। लगातार बसों के पहिये थमने व पहले घाटे में चलने से  संकट साफ देखने मिल रहा है।

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