नदियों के किनारे तट पर हो रहा अंतिम संस्कार - बढ़ रहा प्रदूषण

नदियों के किनारे तट पर हो रहा अंतिम संस्कार - बढ़ रहा प्रदूषण

Bhaskar Hindi
Update: 2018-11-15 09:21 GMT
नदियों के किनारे तट पर हो रहा अंतिम संस्कार - बढ़ रहा प्रदूषण

डिजिटल डेस्क छिन्दवाड़ा/ पांढुर्ना। पांढुर्ना विकासखंड के अधिकांश गांवों में नदियों के तट पर ही शवों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है जिससे नदियों में प्रदूषण बढ़ रहा है। लगभग 170 गांवों में से करीब 112 गांवों में अंतिम संस्कार के लिए मोक्षधाम की व्यवस्था नही है। ऐसे में किसी अपने की मौत पर परिजनों को गांवों के समीप से गुजरने वाली नदियों के किनारे पर खुले आसमान के नीचे अंत्येष्टि की प्रक्रिया निभानी पड़ती है  विकासखंड के केवल 58 गांवों में मोक्षधाम की व्यवस्था है, पर यहां भी अधिकांशों में पेयजल और बैठक व्यवस्था के हाल-बेहाल है। इनके रखरखाव को लेकर भी लापरवाही की बात सामने आ रही है । ऐसे में अंत्येष्टि के लिए उपयुक्त स्थान बनाने और अंतिम यात्रा में शामिल होने वाले लोगों के लिए पेयजल और बैठक की व्यवस्था बनाने के लिए पहल होना जरूरी है। बताया जा रहा है कि पांढुर्ना विकासखंड के 170 गांवों में से अब तक केवल 58 गांवों में ही मोक्षधाम निर्माण को लेकर ग्राम पंचायत प्रबंधन ने आधारशिला रखी है। 31 गांवों में मोक्षधाम निर्माण या फिर टीनशेड का निर्माण कार्य हो रहा है। जिन गांवों में मोक्षधाम बनकर तैयार हुए वहां इनके रखरखाव पर कोई विशेष ध्यान नही दिया जा रहा है। अंतिम यात्रा के दौरान जब लोग मोक्षधाम पहुंचते है, तब वे पंचायतों की व्यवस्थाओं पर उंगलियां उठाते है। लोगों का कहना है कि मोक्षधाम में कोई बार-बार नही जाता है, पर जीवन की अंतिम यात्रा के इस पड़ाव को लेकर पंचायतों ने संवेदनशील रहकर अंतिम यात्रा में शामिल होने वाले मृतकों के परिजनों और लोगों के लिए बेहतर व्यवस्था रखनी चाहिए। निर्माण स्वीकृत होने के बावजूद ग्राम आजनगांव, बिरोली, हरदोली, चिमनखापा, भैसाडोंगरी, उत्तमखेड़ा रैयत, ढोलनखापा रैयत, बिछुआसाहनी, गोरलीखापा, ईटावा, मरकावाड़ा, मुंडीढाना, जुनेवानी हेटी, झिरपानी, काराघाट कामठी, पवारढाना, मालापुर, गायखुरी, मोरगोंदी, बामला, मांडवी, रिंगनखापा, वाकोरा, परसोड़ी, रायबासा, राजडोंगरी, डुड्डेवानी, टेमनी साहनी आदि में मोक्षधाम निर्माण के कार्य धीमी गति से चल रहे है।

पांढुर्ना शहर में मोक्षधाम को बना दिया तीर्थस्थल
पांढुर्ना विकासखंड के गांवों में भले ही अंतिम संस्कार को लेकर कोई खास व्यवस्थाएं नही है, पर पांढुर्ना शहर में मौजूद मोक्षधाम किसी तीर्थस्थल से कम नही है। शहर के वरिष्ठ समाजसेवी हसमुखभाई शाह की लगन से पांढुर्ना शहर का मोक्षधाम पूरे मध्यप्रदेष के साथ विदर्भ में अलग पहचान बनाए हुए है। हसमुखभाई शाह की लगनता से मोक्षधाम के नवनिर्माण की पहल से शहर स्मशान भूमि तीर्थस्थल बन गई है। देवी-देवताओं और संत-महात्माओं के प्रतिमाओं से सुसज्जित हरियालीयुक्त वातावरण में डर के बजाय हर व्यक्ति को यहां चिरषांति का अनुभव होता है। करीब 25 वर्षों पहले शहरवासी भी मृतकों का अंतिम संस्कार नदी के किनारे खुले आसमान में धूप में खड़े होकर करने को मजबूर थे। वर्ष 1988-89 में समाजसेवी हसमुखभाई शाह ने मोक्षधाम के नवनिर्माण की पहल की और मोक्षधाम को तीर्थस्थल बना दिया।

 

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