दुष्कर्म के मामलों में आरोपी पुरूषों का भी नाम गुप्त रखा जाए ,हाईकोर्ट में याचिका दायर

दुष्कर्म के मामलों में आरोपी पुरूषों का भी नाम गुप्त रखा जाए ,हाईकोर्ट में याचिका दायर

Bhaskar Hindi
Update: 2019-02-07 07:50 GMT
दुष्कर्म के मामलों में आरोपी पुरूषों का भी नाम गुप्त रखा जाए ,हाईकोर्ट में याचिका दायर

डिजिटल डेस्क,जबलपुर । हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर दुष्कर्म के आरोपी पुरूषों का उस समय तक नाम गुप्त रखने की मांग की गई है, जब तक की वह दोष सिद्द्ध न हो जाए। चीफ जस्टिस एसके सेठ और जस्टिस विजय शुक्ला की युगल पीठ ने केन्द्र सरकार और राज्य सरकार के विधि मंत्रालयों को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब-तलब किया है।

जबलपुर निवासी डॉ. पीजी नाजपांडे और डॉ. एमए खान की ओर से दायर जनहित याचिका में कहा गया कि 25 दिसंबर 1983 को भारतीय दंड विधान संहिता में धारा 228 (ए) जोड़ी गई। इस धारा के तहत यौन शोषण के मामलों में पीडि़ता का नाम गुप्त रखा जाएगा, ताकि पीडि़ता के सम्मान का ठेस नहीं पहुंचे। याचिका में कहा गया है कि दुष्कर्म के मामलों में महिलाओं का तो नाम गुप्त रखा जाता है, लेकिन पुरूष आरोपियों का नाम उजागर कर दिया जाता है। यह लिंग भेद की श्रेणी में आता है। इससे संविधान में मिले समानता के अधिकार भी उल्लघंन होता है।
फिल्म निर्माता मधुर भांडरकर की हुई बदनामी
जनहित याचिका में कहा गया कि फिल्म निर्माता मधुर भांडरकर ने एक युवती ने दुष्कर्म का आरोप लगाया। उनके खिलाफ न्यायालय में प्रकरण भी चलाया गया। बाद में युवती ने अपने आरोप वापस ले लिए। इस मामले में नाम उजागर होने से फिल्म निर्माता को अपूर्णीय क्षति पहुंची है।
76 फीसदी आरोप झूठे
याचिका में कहा गया कि नेशनल क्रक्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार दुष्कर्म के 76 प्रतिशत मामले झूठे साबित हुए। दहेज प्रताडऩा के 93 प्रतिशत और छेड़छाड़ के 70 प्रतिशत आरोप गलत पाए गए। अधिवक्ता अजय रायजादा और अंजना श्रीवास्तव ने तर्क दिया कि दुष्कर्म के मामलों में पुरूष आरोपियों का नाम तब तक गुप्त रखा जाए, जब तक की उन्हें दोष सिद्ध न कर दिया जाए। दुष्कर्म के मामलों में केवल महिलाओं का नाम गुप्त रखना लिंग भेद है। प्रांरभिक सुनवाई के बाद युगल पीठ ने केन्द्र और राज्य सरकारों के विधि मंत्रालयों को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया है।

 

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