डिप्रेशन में मरीज ने डॉक्टर के केबिन में लगाई फांसी

डिप्रेशन में मरीज ने डॉक्टर के केबिन में लगाई फांसी

Anita Peddulwar
Update: 2019-05-14 07:03 GMT
डिप्रेशन में मरीज ने डॉक्टर के केबिन में लगाई फांसी

डिजिटल डेस्क, नागपुर।  डिप्रेशन में आकर एक मरीज ने डॉक्टर के केबिन में फांसी लगा ली। घटना सीए रोड स्थित शारदा अस्पताल की है।  मरीज मानसिक तनाव में था। वह बार-बार यह कह रहा था किसी ने फेसबुक पर गलत मैसेज किया है। पुलिस कम्प्लेंट में उसे फंसा देंगे। इस प्रकरण से अस्पताल प्रबंधन में हड़कंप मचा रहा। लकड़गंज थाने में आकस्मिक मृत्यु का प्रकरण दर्ज किया गया है। 

जानकारी के अनुसार वर्धा जिला के कारंजा घाडगे निवासी राहुल ईश्वरदास सतई (32) की कारजा घाडगे में दवा दुकान है। करीब चार-पांच दिन से राहुल मानसिक तनाव में था। वह बार-बार यह कहता था कि फेसबुक पर गलत मैसेज किया है। वे लोग उसे पुलिस कम्प्लेंट में फंसा देंगे। पत्नी श्रद्धा ने पति राहुल की यह हालत देखकर ससुर ईश्वरदास को राहुल को अस्पताल में ले जाने की सलाह दी थी। शुक्रवार को राहुल को सीए रोड स्थित सारडा अस्पताल में लाया गया था। उपचार के बाद उसे आराम हुआ। इसी दिन अस्पताल से छुट्टी लेकर राहुल को घर ले जाया गया, लेकिन घर जाने के बाद राहुल की हालत फिर से वैसी ही हो गई। रविवार को फिर से उसे इसी अस्पताल में ले जाया गया। सोमवार सुबह करीब साढ़े नौ बजे के दौरान डॉक्टर ने राहुल को अपने केबिन में बुलाया। उसके स्वास्थ्य की जांच पड़ताल की। इसके बाद डॉक्टर अन्य मरीजों को देखने राउंड पर गए,जबकि राहुल डॉक्टर की केबिन में ही आराम कर रहा था। उस समय नर्स को राहुल का ध्यान देने के लिए कहा गया था।

ईश्वरदास ने बताया कि घटना के चंद मिनट पहले ही वे मंजन करने और चाय पीने गए हुए थे, क्योंकि डॉक्टर ने इसके बाद राहुल का ईसीजी कराने का कहा था। तब तक उन्हें चाय पीकर आने को कहा गया था। इस करण वह नीचे गए हुए थे। इस बीच राहुल ने भीतर से डॉक्टर की केबिन नंबर-2 का दरवाजा बंद किया और सीलिंग फैन में बेडशीट बांधकर फांसी लगा ली। उसकी मौत हो गई। जब डाॅक्टर राउंड से वापस आए तो केबिन का दरवाजा बंद था। आवाज देने पर भी भीतर से प्रतिसाद नहीं मिल रहा था। अनहोनी की आशंका से दरवाजा तोड़ दिया गया। इसके बाद घटित प्रकरण का खुलासा हुआ। सूचना मिलते ही आला पुलिस अधिकारी दल-बल के साथ मौके पर पहुंचे। घटनास्थल से सुसाइड नोट वगैरह नहीं मिला है। प्रकरण को आकस्मिक मृत्यु के तौर पर दर्ज किया गया है।

उसे लग रहा था उसे कोई फंसाने वाला 
राहुल तीन महीने की बच्ची का पिता था। पत्नी पेशे से शिक्षिका थी, बच्ची के कारण उसने नौकरी छोड़ दी है।  प्रकरण से राहुल के दिमाग में यह वहम बैठा कि कोई उसे फंसाने वाला है। उसके दिमाग से यह वहम निकालने के लिए ही डॉक्टर की सलाह पर उसे कोतवाली थाना भी ले जाया गया था। मौजूद पुलिस अधिकारी ने राहुल को यह कहकर समझाया भी  कि उसके खिलाफ किसी ने भी पुलिस में शिकायत नहीं की तो वह कैसे इसमें फंस सकता है। इसके बाद भी राहुल का वहम दूर नहीं हुआ था। घटित प्रकरण को लेकर अस्पताल के डॉक्टर से संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन वहां से किसी भी तरह की जानकारी देने से इनकार कर दिया गया।

3 साल से इलाज चल रहा था
3 साल से मेरे पास इलाज जारी था। उसमें आत्महत्या के लक्षण दिख रहे थे और आज उसने मेेरे ही अस्पताल में फांसी लगा ली।
- डॉ. राजेंद्र सारडा, संचालक सारडा अस्पताल

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