कुपोषण का तांडव: 16 महीने में 272 बच्चों की मौत

कुपोषण का तांडव: 16 महीने में 272 बच्चों की मौत

Anita Peddulwar
Update: 2018-11-12 10:13 GMT
कुपोषण का तांडव: 16 महीने में 272 बच्चों की मौत

डिजिटल डेस्क, नागपुर। अमरावती जिले की कुपोषण प्रभावित धारणी तहसील में सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद बच्चों की मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। पिछले 16 महीने में 6 साल तक के 272 बच्चों की मौत होने का खुलासा आरटीआई में हुआ है। धारणी तहसील को कुपोषण से बाहर निकालने के लिए सरकार के अलावा कई एनजीआे लगे हुए हैं। सरकार यहां ज्यादा से ज्यादा स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के साथ ही एनजीआे की मदद से कुपोषण दूर करने में भी लगी है। गर्भवती माताआें व शिशुआें को ताकत की गोली व प्रोटीनयुक्त चीजें भी मुहैया कराती है। 1 अप्रैल 2017 से 31 अगस्त 2018 (16 महीने) तक धारणी तहसील के तहत आने वाले 169 गांवों में शून्य से 6 साल तक के 272 बच्चों की मौत हुई है। इसी तरह इस दौरान 1,710 बच्चों का जन्म भी हुआ है। हालांकि माता मृत्यु रोकने में सरकार को सफलता मिली है। इस दौरान केवल एक गर्भवती माता की ही मौत हुई है।

सोनोग्राफी बड़ी समस्या 
धारणी में सोनोग्राफी की व्यवस्था नहीं होने से रोगियों व गर्भवती माताआें को धारणी से दूर जाकर सोनोग्राफी करानी पड़ती है। इसका भी अप्रत्यक्ष असर जच्चा-बच्चा के स्वास्थ्य पर पड़ता है। 

तहसील की 2 लाख 1 हजार 133 जनसंंख्या 
धारणी तहसील में 2 लाख 1 हजार 133 लोग रहते हैं। यह इलाका आदिवासी बहुल है। आदिवासियों की जनसंख्या 1 लाख 58 हजार 380 है। शिक्षा व स्वास्थ्य के प्रति अज्ञानता से भी इन्हें समय पर इलाज नहीं मिल पाता।

मेडिकल ट्रीटमेंट से दूर भागते 
शिक्षा का अभाव व स्वास्थ्य के प्रति अज्ञानता होने से लोग मेडिकल ट्रीटमेंट से दूर भागते हैं। मेडिकल ट्रीटमेंट की बजाय दूसरे उपायों पर ज्यादा जोर देते हैं। बच्चों की मौत का एक बड़ा कारण यह भी हो सकता है। सरकार यहां ज्यादा से ज्यादा शिक्षा व स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने में लगी है, लेकिन जागरूकता जरूरी है।  -अभय कोलारकर, आरटीआई एक्टिविस्ट नागपुर 

प्रॉपर पोषक तत्व मिलना चाहिए 
बच्चों की मौत का एक बड़ा कारण प्रॉपर पोषक तत्व नहीं मिलना भी होता है। जन्म से लेकर 6 साल तक बच्चे को हर जरूरी टीके मिलना चाहिए। बीसीजी, डीपीटी पोलियो, गोवर व निमोनिया का टीका मिलना चाहिए। निमोनिया का टीका 1500 का होता है, जो देहातों व आदिवासी बहुल इलाकों में सभी को लगाना संभव नहीं हो पाता। यह टीका सरकार उपलब्ध नहीं कराती। आर्थिक तंगी भी यह टीका नहीं लेने का कारण हो सकता है। जच्चा-बच्चा दोनों को प्रोटीन मिलना चाहिए। कार्बोहाइड्रेड, विटामिन मिलना चाहिए। स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता भी होनी चाहिए। अभी जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है, ताकि लोग कुपोषण के प्रति जागरूक हो सकें।                                                                  -डॉ. दीपक गुप्ता, बाल रोग विशेषज्ञ

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