सुई धागा से लेकर सेफ्टी पिन भी होंगे लोकसभा उम्मीदवारों के चुनाव चिह्न

सुई धागा से लेकर सेफ्टी पिन भी होंगे लोकसभा उम्मीदवारों के चुनाव चिह्न

Anita Peddulwar
Update: 2018-11-15 08:30 GMT
सुई धागा से लेकर सेफ्टी पिन भी होंगे लोकसभा उम्मीदवारों के चुनाव चिह्न

रघुनाथसिंह लोधी,नागपुर। लोकसभा चुनाव 2019 में उम्मीदवारों के चिह्न सुई धागे से लेकर सेफ्टी पिन तक रहेंगे। प्रमुख राजनीतिक दलों के साथ ही विविध राजनीतिक संगठनों ने अपना प्रभाव दिखाने का प्रयास आरंभ किया है। लिहाजा चुनाव आयोग के पास संगठन पंजीयन की संख्या बढ़ने लगी है। राज्य में लगभग हर चुनाव में प्रभाव दिखाने का प्रयास कर रहे रिपब्लिकन पार्टी आफ इंडिया के विविध गुटों ने भी ताकत दिखाने की तैयारी की है। चुनाव तैयारी को देखते हुए अायोग के पास पहुंचे पंजीयन आवेदनों में सबसे अधिक राज्य से ही आवेदन शामिल है। उसमें भी आरपीआई के 16 संगठन पंजीयन कराकर क्षेत्रीय दलों में सबसे आगे हैं। 

राज्य चुनाव आयोग से जुड़े सूत्र के अनुसार लाेकसभा चुनाव को देखते हुए देश में लगभग 486 दलों ने नया पंजीयन कराया है। अब चुनाव आयोग के पास पंजीकृत दलों की संख्या 2069 हो गई है। सभी दलों की लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी को देखते हुए चुनाव आयोग ने नए 74 चिन्ह चुने हैं। चिह्नों में वातानुकूलित यंत्र, कूलर,पंखा से लेकर सुई धागा व सेफ्टीपिन शामिल है। जानकारी के अनुसार पिछले लोकसभा चुनाव में देश में 6 राष्ट्रीय राजनीतिक दल व 1593 पंजीकृत राजनीतिक दल थे। विविध दलों के उम्मीदवारों के लिए 87 चुनाव चिन्ह का चयन किया गया था। इस बार 486 नए दलों के पंजीयन को देखते हुए चुनाव चिन्ह की संख्या 161 कर दी गई है। 

प्रादेशिक दर्जा पाने का प्रयास
राजनीतिक संगठनों ने प्रादेशिक दर्जा पाने का प्रयास भी किया है। राष्ट्रीय दलों में शामिल बहुजन समाज पार्टी के पास फिलहाल एक भी लोकसभा सदस्य नहीं है। लिहाजा बसपा का राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा संकट में है। इस संकट को दूर करने के लिए बसपा पूरा प्रयास कर रही है। उत्तरप्रदेश में तो वह प्रभाव दिखाने का प्रयास करेगी ही महाराष्ट्र व मध्यप्रदेश से भी लोकसभा सदस्य जीतवाने का प्रयास करेगी। बसपा के प्रदेश अध्यक्ष सुरेश साखरे ने कहा है कि उनका दल प्रदेश में लोकसभा चुनाव में खाता खोलने का पूरा प्रयास कर रहा है। इसी रणनीति के तौर पर ही काम चल रहा है। आरपीआई के किसी भी गुट के पास राष्ट्रीय या प्रादेशिक दल का दर्जा नहीं है। लिहाजा आरपीआई भी लोकसभा व विधानसभा के चुनाव में अपने उम्मीदवार को जितवाना चाहती है।

आरपीआई के एक गुट के प्रमुख व केंद्रीय राज्यमंत्री रामदास आठवले कहते हैं-हमने राजग गठबंधन के तहत भाजपा से लोकसभा की दो सीट मांगी है। अन्य सीटों पर भी दावा किया है। उनके नेतृत्व का आरपीआई गुट प्रादेशिक राजनीतिक दल का दर्जा कायम रखने के लिए राजग से सहयोग भी मांग रहा है। शिवसेना व महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना को प्रादेशिक दल का दर्जा मिला है। दोनों दल के अधिकृत चुनाव चिह्न भी हैं। लेकिन महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना का चिह्न संकट में पड़ गया है। 2009 में मनसे के 12 विधानसभा सदस्य चुने गए थे। 2014 में 1 उम्मीदवार ही जीत पाया। मनपा व स्थानीय निकाय संस्थाओं की सत्ता से भी मनसे को बाहर होना पड़ा है। लिहाजा इस बार मनसे उम्मीदवार को समान चिन्ह मिल पाना मुश्किल है। 

 

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