महाराष्ट्र : निवासी डॉक्टरों के स्टायपेंड से होगी इनकम टैक्स की वसूली

महाराष्ट्र : निवासी डॉक्टरों के स्टायपेंड से होगी इनकम टैक्स की वसूली

Tejinder Singh
Update: 2018-07-22 11:11 GMT
महाराष्ट्र : निवासी डॉक्टरों के स्टायपेंड से होगी इनकम टैक्स की वसूली

डिजिटल डेस्क, नागपुर। राज्य के सभी 16 मेडिकल कॉलेजों के निवासी चिकित्सकाें को दिए जाने वाले स्टायपेंड से आयकर वसूलने की तैयारी की जा रही है। महाराष्ट्र एसाेसिएशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर (मार्ड) ने इसका विरोध किया है। मार्ड का  कहना है कि हम कर्मचारी नहीं विद्यार्थी हैं, जिसकी फीस भी भरते हैं, फिर स्टायपेंड से आयकर की वसूली कैसे थोपी जा रही है। कर्मचारियों को तो बहुत सारी सुविधाएं मिलती हैं, हम तो सामान्य सुविधाओं के लिए भी मोहताज हैं।

किसी भी मेडिकल कॉलेज की रीढ़ की हड्डी उसके निवासी डॉक्टरों को कहा जाता है, क्योंकि वह 24 घंटे मरीजों को स्वास्थ्य सुविधाएं देते हैं। यही वजह है कि उनके हड़ताल पर जाने की स्थिति में चिकित्सा शिक्षा विभाग में भी खलबली मच जाती है। अस्पताल में पढ़ाई के साथ-साथ सेवाएं देने के लिए उन्हें मानदेय दिया जाता है, जिस पर आयकर लगाने की तैयारी की जा रही है। इस पर मार्ड ने कहा कि विद्यार्थियों को दिए जाने वाले मानदेय से टैक्स वसूलना सही नहीं है।

डायरेक्टर से की लिखित शिकायत
डॉ. आशुतोष जाधव, अध्यक्ष मेडिकल मार्ड के मुताबिक मानदेय से आयकर की वसूली करना उचित नहीं है। मार्ड इसका विरोध करता है। इसको लेकर मार्ड ने डीएमईआर डायरेक्टर डॉ. प्रवीण शिंगारे को लिखित शिकायत दी है और आगे भी हम इसको लेकर विरोध करने वाले हैं।

निवासी डॉक्टरों को स्टायपेंड के रूप में 53 से 54 हजार रुपए प्रतिमाह के िहसाब से िदया जाता है। ऐसे में उनका वार्षिक मानदेय (स्टायपेंड) करीब 6.48 लाख रुपए होता है। यदि मानदेय को आय में शामिल िकया गया, तो आयकर के तीसरे स्लैब अर्थात 5 से 10 लाख रुपए आय में शामिल होंगे। इसमें 20 फीसदी टैक्स चुकाना होगा। इस पर निवासी डॉक्टरों के मानदेय से 1.30 लाख रुपए की कटौती कर ली जाएगी।

मेडिकल में ये हैं समस्याएं
हॉस्टल के एक कमरे में 4-4 निवासी चिकित्सक रहते हैं।
सभी हॉस्टलों के शौचालय, स्नानागार दयनीय स्थिति में हैं।
विद्यार्थी की फीस भरकर वह अपनी सुविधाएं दे रहे हैं।
निवासी चिकित्सक लगातार 2 से 3 दिन काम करते हैं।

मार्ड ने की मांग
सातवें वेतन आयोग के हिसाब से भुगतान हो।
यात्रा सहित अन्य भत्ते दिए जाएं।
सर्दी, गर्मी की छुट्टियों के अलावा अन्य अवकाश दिए जाएं।
ड्यूटी के घंटे तय नहीं हैं, सप्ताह में 48 घंटे काम का नियम है।

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