गोरेवाड़ा में जून से शुरू होगी इंडियन सफारी, रेस्क्यू सेंटर भी निजी हाथों में सौंपने की तैयारी

गोरेवाड़ा में जून से शुरू होगी इंडियन सफारी, रेस्क्यू सेंटर भी निजी हाथों में सौंपने की तैयारी

Anita Peddulwar
Update: 2019-01-03 05:07 GMT
गोरेवाड़ा में जून से शुरू होगी इंडियन सफारी, रेस्क्यू सेंटर भी निजी हाथों में सौंपने की तैयारी

डिजिटल डेस्क, नागपुर। गोरेवाड़ा इंटरनेशनल जू में अगले वर्ष जून में इंडियन सफारी शुरू हो जाएगी। साथ ही यहां स्थित 25 हेक्टेयर में फैला रेस्क्यू सेंटर भी निजी हाथों में चला जाएगा। वन्यजीव विशेषज्ञ और पशु चिकित्सक पहले ही जू एंड रेस्क्यू सेंटर प्राेजेक्ट में गोरेवाड़ा के रेस्क्यू सेंटर को शामिल किए जाने पर सवाल उठा चुके हैं। उनकी दलील है कि सेंटर शुरू किए जाने का मूलभूत उदेश्य लुप्तप्राय: प्रजातियों पर रिसर्च और वन्यजीवों के स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों को पूरा करना था। निजी कंपनी के हाथों इन उद्देश्यों के पूरा होने पर संदेह है। उनकी प्राथमिकता लाभ कमाना होगा और रेस्क्यू सेंटर उनके लिए भारी जवाबदारी साबित होगी। वन्यजीव विशेषज्ञों के अनुसार, बीमार व घायल वन्यप्राणियों का इलाज व उन्हें वापस उनके लिए उचित स्थान पर छोड़ने का काम सही तरीके से हो, इसके लिए सेंटर को जू के बाहर रखा जाना चाहिए था। 452 करोड़ रुपए के इस प्रोजेक्ट में राज्य सरकार व्यवहार्यता अंतर वित्त पोषण या वीजीएफ फंड (वायबिलिटी गैप फंडिंग) के अंतर्गत 200 करोड़ रुपए और एस्सेल वर्ल्ड 251 करोड़ रुपए निवेश कर रही है।

सात अधिकारियों में चार एफडीसीएम के, तीन एस्सेल वर्ल्ड के 
14 नवंबर 2018 को एफडीसीएम एक्सेस वर्ल्ड गोरेवाड़ा जू प्राइवेट लिमिटेड कंपनी का गठन हो चुका है और दस दिसंबर को इसकी पहली बोर्ड मीटिंग भी हो चुकी है। कंपनी में सरकार के चार अधिकारी और एस्सेल वर्ल्ड के तीन अधिकारी शामिल हैं। प्राप्त सूचना के अनुसार, करार के मुताबिक फाॅरेस्ट डेवलपमेंट ऑफ महाराष्ट्र (एफडीसीएम) के पास 51 फीसदी और एस्सेल वर्ल्ड के पास 49 फीसदी शेयर कैपिटल होंगे। करार के अनुसार मुख्य आकर्षण जैसे इंडियन सफारी, अफ्रीकन एंड नाइट सफारी, बर्ड पार्क, वार्किंग ट्रेल, डीप टाइम ट्रेल समेत अन्य ट्रेल और रेस्क्यू सेंटर को जू प्रोजेक्ट के अंतर्गत रखा गया है और इसे जू एंड रेस्क्यू सेंटर प्रोजेक्ट का नाम दिया गया है।

छह वर्ष बाद एफडीसीएम का शेयर हो जाएगा कम
टेंडर के नियमानुसार, छह वर्ष बाद कंपनी में एफडीसीएम का शेयर 51 फीसदी से घटकर 40 फीसदी रह जाएगा और एस्सेल वर्ल्ड का शेयर बढ़कर साठ फीसदी हो जाएगा। इसके साथ ही एफडीसीएम का दावा कि रेस्क्यू सेंटर से जुड़े अहम मुद्दों पर वे अपना पक्ष रख सकेंगे, कमजोर पड़ जाएगा।

स्पीड से हो रहा काम
सफारी के तेंदुआ, बाघ और स्लोथ भालू के बाड़ों से संबंधित पचास फीसदी कार्य सहित जलाशय, कैफेटेरिया, टिकटघर, प्रवेश द्वार, प्रशासनिक भवन का कार्य लगभग 70 फीसदी पूरा हो चुका है। जू में 145 हेक्टेयर में प्रशासनिक भवन और इंडियन सफारी तैयार किया जा रहा है।
 

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