बढ़ गया नवजात शिशुओं की मौत का आंकड़ा, चालू तिमाही में ही 42 नवजातों ने तोड़ा दम

बढ़ गया नवजात शिशुओं की मौत का आंकड़ा, चालू तिमाही में ही 42 नवजातों ने तोड़ा दम

Bhaskar Hindi
Update: 2018-09-10 08:51 GMT
बढ़ गया नवजात शिशुओं की मौत का आंकड़ा, चालू तिमाही में ही 42 नवजातों ने तोड़ा दम

डिजिटल डेस्क, कटनी। जिला अस्पताल में संचालित स्पेशल केयर न्यू बोर्न यूनिट (एसएनसीयू) में घटने की बजाए नवजात शिशुओं की मौत का आंकड़ा बढ़ गया है।  स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी हेल्थ बुलेटिन के अनुसार पिछले वर्ष अप्रैल से लेकर मार्च तक जहां यहां पर नौ प्रतिशत मासूमों की मौत हुई थी। वहीं चालू वित्तीय वर्ष के प्रथम तिमाही में ही इसमें एक प्रतिशत बढ़ोत्तरी हुई है, और मौत का आंकड़ा दस प्रतिशत तक बढ़ गया है। फिर भी स्वास्थ्य विभाग ऑल इज वेल का राग अलाप रहा है। यहां पर पदस्थ अमले का कहना है कि कक्ष में किसी तरह से संसाधन की कमीं नही है। वर्तमान समय में यहं पर 20 वार्मर मशीन है। इस अस्पताल में जिला अस्पताल के अलावा अन्य विकासखण्डों और प्राइवेट अस्पतालों के बच्चों को भी रखा जाता है।

हर माह 14 मौतें
अप्रैल, मई और जून माह में 42 नवजातों की मौत एसएनसीयू में इलाज के दौरान हो चुकी है। इस तरह से औसत प्रत्येक माह 14 मासूमों की मौत अलग-अलग कारणों से हुई है। हेल्थ बुलेटिन के अनुसार इस तीन माह में एसएनसीयू में 410 गंभीर नवजात को भर्ती किया गया । पिछले वर्ष अप्रैल से लेकर मार्च माह तक 1561 गंभीर नवजात को इलाज के लिए एसएनसीयू में लाया गया। जिसमें 136 बच्चों की मौत हो गई। इस तरह से जहां पिछले वर्ष प्रत्येक माह मौत का औसत आंकड़ा 11 बच्चों का रहा। वहीं इस वर्ष प्रथम तिमाही में यह आंकड़ा बढ़ कर 14 बच्चों पर पहुंच गया। प्रथम तिमाही में मध्यप्रदेश में एसएनसीयू में औसत मौत का आंकड़ा भी दस प्रतिशत है।

बीस वार्मर मशीन
वर्तमान समय में एसएनसीयू में बीस वार्मर मशीन लगाए गए हैं। जिसमें अस्पताल में जन्म लेने वाले गंभीर रुप से बच्चों को तो यहां पर भर्ती किया ही जाता है। इसके साथ विकासखण्ड और अन्य प्रसव केन्द्रों में गंभीर नवजातों को इलाज के लिए लाया जाता है। इसके साथ प्राइवेट अस्पतालों से भी गंभीर बच्चों को यहां पर इलाज के लिए लाया जाता है। जिसमें कई बच्चे प्री-मैच्योर डिलेवरी वाले होते हैं। कटनी जिले में प्रथम तिमाही में 4161 जीवित बच्चों ने जन्म लिया। जिसमें 217 बच्चों को न्यू बोर्न स्टेबलाइजेशन यूनिट में भर्ती किया गया। यह आंकड़े पिछले तिमाही के है। बताया जाता है कि जिस तरह से यहां पर सुविधा दी जा रही है। उससे आगामी समय में यह आंकड़ा और बढ़ेगा।

मेन्टनेन्स कॉस्ट स्वीकृत
एसएनसीयू में सुविधाएं बढ़ाने के लिए शासन ने शिशु स्वास्थ्य वर्ष 2018-19 में मेन्टनेन्स कॉस्ट भी स्वीकृत की है। जिसमें 12 लाख रुपए का बजट स्वीकृत किया गया है। इस संबंध में कहा गया है कि राशि के उपयोग हेतु चार सदस्यीय एसएनसीयू संचालन समिति का गठन किया जाए। जिसमें सिविल सर्जन को अध्यक्ष बनाया गया है। संयोजक के रुप में एसएनसीयू प्रभारी चिकित्सक होंगे। आरएमओ और प्रभारी स्टाफ नर्स को सदस्य बनाया गया है। इसका उपयोग अग्रिशमन यंत्र की रिफिलिंग के लिए किया जा सकता है। साथ ही उपकरणों की एएमसी का भुगतान जो राज्य स्तर द्वारा एएमसी में शामिल नहीं किए गए हैं। उपकरणों की क्रियाशीलता को प्रभावित करने वाली सामग्री जैसे की वेन्टीलेटर एवं सी-पेप टयूबिंग्स, प्रोब्स आदि की खरीदी की जा सकती है। इसके साथ अन्य निर्देश भी दिए गए हैं।

रिपोर्ट के आधार पर समीक्षा
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन एसएनसीयू के कार्यों की समीक्षा प्रत्येक वर्ष करता है। रिपोर्ट के आधार पर रेटिंग भी करता है। निर्धारित 15 से 20 बिंदुओं के आधार पर विभागीय दल जांच करता है। इसमें सभी इंडीकेशन पर वर्क को देखा जा सकता है। जिसके बाद रेटिंग दी जाती है। हांलाकि जबलपुर, डिण्डौरी और मण्डला में चालू वर्ष के तिमाही में नवजात की मौत का प्रतिशत कटनी की अपेक्षा अधिक है। नरसिंहपुर की स्थिति अन्य जिलों की अपेक्षा बेहतर है। यहां पर आंकड़ा तीन प्रतिशत ही है।

इनका कहना है
इस संबंध में अभी कोई जानकारी नहीं है। प्रभारी से जानकारी लेकर आवश्यक सुधार कार्य किया जाएगा।
- डॉ.एस.के निगम, सीएमएचओ

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