दुर्लभ क्षेत्र तक शिक्षा का संदेश पहुंचाना बड़ा कार्य : मालखेड़े

कुलपति का कथन दुर्लभ क्षेत्र तक शिक्षा का संदेश पहुंचाना बड़ा कार्य : मालखेड़े

Anita Peddulwar
Update: 2022-08-18 08:53 GMT
दुर्लभ क्षेत्र तक शिक्षा का संदेश पहुंचाना बड़ा कार्य : मालखेड़े

डिजिटल डेस्क, अमरावती। जहां आज भी बिजली और पानी पहुंचाना कठिन है ऐसे दुर्बल क्षेत्र में शिक्षा का संदेश पहुंचाना बहुत बड़ा कार्य है। ऐसे क्षेत्र में अपनी बात भावना, भाव और शब्द के साथ पहुंचाने का काम भारतीय शिक्षण मंडल कर रहा है। यह बात संत गाडगे बाबा अमरावती विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. दिलीप मालखेड़े ने कही। वह बुधवार 17 अगस्त को विश्वविद्यालय के सभागृह में आयोजित “शोध पत्र लेखन प्रतियोगिता’ के पोस्टर के अनावरण के अवसर पर बोल रहे थे। प्रतियोगिता का आयोजन भारतीय शिक्षण मंडल (बीएसएम) और युवा आयाम तथा रिसर्च फॉर रिसर्जंस फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में किया जाएगा।

 इस अवसर पर विश्वविद्यालय के उप कुलपित डॉ. विजयकुमार चौबे, बीएसएम के डॉ. नारायण मेहरे प्रमुख रूप से उपस्थित थे। डॉ. मालखेड़े ने कहा कि इस प्रतियोगिता के माध्यम से हम प्रतिभागियों में निर्माण करने की भावना आएगी। बिल्डिंग और उपकरण के अलावा जब वह एक रिसर्च पेपर बनाएगा तो यह कार्य उसमें आत्मविश्वास पैदा करेगा। उप कुलपति डॉ. चौबे ने कहा कि देश के विकास में रिसर्च का बड़ा योगदान होता है। रिसर्च से हमें खुद को समझने के साथ ही नए विचार को पैदा कर उसको आकार देने का मौका मिलता है। डॉ. नारायण मेहरे ने कहा कि ब्रिटिश के इतिहास पर एक भारतीय ने रिसर्च की तो ध्यान में आया कि 1832 के करीब हमारी साक्षरता 95 से अधिक थी। उसके बाद अंग्रेजों ने हमारी शिक्षा प्रणाली को ही बदल दिया जिससे शिक्षा के क्षेत्र में गिरावट आई। अब राष्ट्रीय शिक्षा नीति में पुरानी और नई दोनों ही प्रकार की ऐसी अच्छी बातों को लिया गया है जो राष्ट्रीयता को संबल देती हों। कार्यक्रम का संचालन डाॅ. स्वाती शेरेकर ने किया। इस अवसर पर डॉ. गजानन गुल्हाने, शिव सिंह बघेल, ज्ञानेश्वर गटकर, विश्वविद्यालय के प्राध्यापक उपस्थित थे।
 

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