मप्र में नक्सल समर्पण नीति लागू होने में लग सकता है वक्त 

बालाघाट मप्र में नक्सल समर्पण नीति लागू होने में लग सकता है वक्त 

Sanjana Namdev
Update: 2022-11-05 05:35 GMT
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डिजिटल डेस्क, बालाघाट । मध्यप्रदेश के नक्सल प्रभावित बालाघाट, मंडला और डिंडोरी में नक्सल समर्पण नीति लागू होने में अभी और वक्त लग सकता है। सूत्रों के मुताबिक राज्य सरकार ने चार राज्यों अध्ययन के बाद बनाई गई सरेंडर पॉलिसी के ड्राफ्ट के कुछ प्रावधानों पर असहमति जताई है। साथ ही इसमें संशोधन के भी निर्देश दिए गए हैं। अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) राजेश राजौरा केे अनुसार, तैयार किए गए ड्राफ्ट का मुख्यमंत्री, गृह मंत्री और वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के सामने प्रजेंटेशन दिया गया था। उसमें कुछ सुझाव आए थे। उन्हीं के अनुसार प्रदेश की समर्पण नीति को और बेहतर बनाने की प्रक्रिया चल रही है। इसके लिए कुछ बिंदुओं पर विचार हो रहा है। जल्द ही इससे जुढ़ा प्रस्ताव कैबिनेट के समक्ष रखा जाएगा।

कुछ प्रावधान स्पष्ट नही

छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, तेलंगाना तथा ओडिशा में लागू नक्सल समर्पण नीति के अध्ययन के बाद जो ड्राफ्ट तैयार हुआ था उसमें नक्सली के सरेंडर करने के बाद उसे राशन, घर या नकदी उपलब्ध कराने के प्रावधान स्पष्ट नहीं थे। नक्सलियों को स्वास्थ्य सुविधा के दायरे में किस तरह लाया जाएगा, इस पर भी संशय है। मप्र की 1997 की समर्पण नीति के भी कुछ बिंदु इस ड्राफ्ट में शामिल रखे गए हैं। बताया जाता है कि प्रजेंटेशन देखने के बाद मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैस ने ड्राफ्ट में जरूरी संशोधन के निर्देश दिए हैं।

ये सुविधाएं देने की है तैयारी

सूत्रों के अनुसार नई सरेंडर पॉलिसी में नक्सल प्रभावित परिवारों को सरकारी योजनाओं का लाभ देने के साथ नौकरी व ट्रेनिंग देने के बिंदु शामिल किए गए हैं। सरेंडर करने वाले नक्सलियों को घर, खेती की जमीन, 5 लाख रुपए नकद, राशन तथा मुफ्त इलाज का प्रावधान भी शामिल है। रोजगार के लिए प्रोफेशनल ट्रेनिंग करने छह हजार रुपए दिए जाने और नक्सली को उस पर घोषित ईनाम की पूरी राशि देने का प्रावधान भी शामिल है।

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