आने वाले विधानसभा सत्र में नहीं शुरु हो पाएगा जनता का प्रहर

आने वाले विधानसभा सत्र में नहीं शुरु हो पाएगा जनता का प्रहर

Bhaskar Hindi
Update: 2019-01-24 05:47 GMT
आने वाले विधानसभा सत्र में नहीं शुरु हो पाएगा जनता का प्रहर

भोपाल। अगले माह मप्र की राजधानी भोपाल में 18 फरवरी से प्रारंभ होने वाले तीन दिवसीय विधानसभा सत्र में ‘जनता का प्रहर’ नहीं शुरु हो पाएगा। कांग्रेस ने अपने वचन-पत्र में ऐसे प्रहर की व्यवस्था का वचन दिया हुआ है। ऐसा इसलिए क्योंकि राज्य के संसदीय कार्य विभाग ने इस संबंध में कोई प्रस्ताव विधानसभा सचिवालय को नहीं भेजा है। कांग्रेस के वचन-पत्र में संसदीय कार्य विभाग के अंतर्गत शीर्षक जनता प्रहर की व्यवस्था के अंतर्गत उल्लेख है कि विधानसभा के नियमों में संशोधन कर 30 मिनट के जनता प्रहर का प्रावधान करेंगे, जिसमें जनता सीधे मंत्रियों से सवाल पूछ सकेगी।

 

दिग्विजय शासनकाल में थी ऐसी ही व्यवस्था
तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के दस साल के शासनकाल में जनता के प्रहर जैसी ही एक अन्य व्यवस्था विधानसभा में 17 फरवरी 2003 से प्रारंभ हुई थी। उस समय विधानसभा सत्र के दौरान प्रत्येक सोमवार को प्रश्नकाल के बाद आधा घण्टे का मुख्यमंत्री से संबंधित प्रश्नकाल होता था, जिसमें कोई भी विधायक सीधे सीएम से सवाल कर सकता था और स्वयं सीएम उठकर इसका जवाब देते थे। वर्ष 2003 में भाजपा की उमा भारती सरकार आने पर मुख्यमंत्री से संबंधित प्रश्नकाल खत्म कर दिया गया था।

 

जनता प्रहर की रुपरेखा तय करना होगी
कमलनाथ ने मुख्यमंत्री की शपथ लेने के बाद राज्य के मुख्य सचिव को कांग्रेस का वचन-पत्र सौंपा था। मुख्य सचिव ने इस वचन-पत्र को सभी संबंधित विभागों को इस वचन-पत्र को भेज दिया था। कई विभागों मसलन कृषि, सामाजिक न्याय आदि ने वचन-पत्र के कतिपय बिन्दुओं का पालन भी किया है जिसमें कृषि ऋण की माफी और कन्या विवाह योजना की सहायता राशि 51 हजार रुपये करना आदि शामिल है। संसदीय कार्य विभाग ने अभी तक विधानसभा सचिवालय को वचन-पत्र के उन बिन्दुओं को जिसमें जनता प्रहर का भी वचन शामिल है, नहीं भेजा है। वैसे इस प्रहर की रुपरेखा भी तय करना काफी मुश्किल है, क्योंकि विधानसभा में सरकार के मंत्रियों से सवाल पूछने का अधिकार सिर्फ विधायकों को है। जनता सीधे सवाल नहीं कर सकती है क्योंकि संसदीय कार्य नियमों में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है।

ये भी शामिल हैं वचन-पत्र में
कांग्रेस के वचन-पत्र में संसदीय कार्य विभाग के अंतर्गत ये वचन भी शामिल हैं कि  विधान परिषद का गठन किया जायेगा, विधानसभा की कार्यवाही का सीधा प्रसारण करने की व्यवस्था करेंगे, विधायकों द्वारा सदन की कार्यवाही बाधित करने की स्थिति में उस दिन का भत्ता विधायकों को नहीं दिया जायेगा आदि।

 

संसदीय कार्य विभाग भेजे प्रस्ताव
मप्र विधानसभा के प्रमुख सचिव एपी सिंह ने बताया कि कांग्रेस का वचन-पत्र हमें नहीं मिला है और न ही संसदीय कार्य विभाग ने हमें अभी तक भेजा है। जनता प्रहर के बारे में संसदीय कार्य विभाग जब प्रस्ताव भेजेगा तभी उस पर कार्रवाई होगी। आने वाले सत्र में यह प्रहर नहीं हो पाएगा। जुलाई में होने वाले सत्र में जरूर इसकी व्यवस्था हो सकती है बशर्ते संसदीय कार्य विभाग प्रस्ताव भेजे।

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