वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार उमेश चौबे नहीं रहे

वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार उमेश चौबे नहीं रहे

Bhaskar Hindi
Update: 2018-08-09 05:12 GMT
वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार उमेश चौबे नहीं रहे

डिजिटल डेस्क, नागपुर। शहर के वरिष्ठ समाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार उमेश बाबू चौबे नहीं रहे। बुधवार रात करीब 11.30 बजे उन्होंने मेडिकल अस्पताल में अंतिम सांस ली। गुरुवार 9 अगस्त को शाम 4 बजे उनके निवास स्थान चांडक ले-आउट, गुजरवाड़ी से अंतिम यात्रा निकलेगी। मोक्षधाम घाट पर अंतिम संस्कार किया जाएगा। 


उन्होंने कई अविस्मरणीय काम किए

नागपुर के 300 साल पूरे होने पर मनाया गया त्रिशताब्दी महोत्सव भी उनकी देन रही। उन्होंने तत्कालीन पालकमंत्री शिवाजीराव मोघे को त्रिशताब्दी महोत्सव का महत्व बताते हुए आयोजन के लिए तैयार किया था। इसी का नतीजा था कि जीरो माइल चौक पर शहीदों की याद में स्मारक बनाया गया। उन्होंने अनेक अविस्मरणीय काम किए हैं।

 

शोषित-पीड़ितों के मसीहा थे उमेश चौबे

शोषित-पीड़ितों के लिए वो मसीहा से कम नहीं थे। अपनी समस्या लेकर कोई भी उनकी चौखट पर पहुंचता था, तो खाली हाथ नहीं लौटता था। वो कभी किसी को निराश नहीं करते थे। न्याय दिलाने के लिए कड़ा संघर्ष करते थे। ऐसा माना जाता है कि अगर ‘बाबूजी’ किसी बात पर अड़ जाते थे तो सरकार-प्रशासन को भी उनकी बात माननी पड़ती थी। अंधश्रद्धा के खिलाफ भी उन्होंने खूब लड़ाई लड़ी। अखिल भारतीय अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति से वो जुड़े रहे। 

 

उनके नाम पर हुआ  सड़क का नामकरण

उन्होंने कई ढोंगी बाबाओं की पोल भी खोली। इस पर एक किताब भी प्रकाशित की थी। अनेक वर्षों तक एक प्रतिष्ठित अखबार में रहे। उसके बाद खुद का ‘नया खून’ नामक साप्ताहिक अखबार शुरू किया। वह संभवत: पहले व्यक्ति थे, जीते-जी जिनके नाम पर शहर में किसी सड़क का नामकरण ‘उमेश बाबू चौबे मार्ग’ रखा गया।

Similar News