कान्हा तो यशोदा का ही, कोर्ट ने कहा बच्चा लालन-पालन करने वाले का ही

कान्हा तो यशोदा का ही, कोर्ट ने कहा बच्चा लालन-पालन करने वाले का ही

Anita Peddulwar
Update: 2021-03-01 04:26 GMT
कान्हा तो यशोदा का ही, कोर्ट ने कहा बच्चा लालन-पालन करने वाले का ही

डिजिटल डेस्क, नागपुर। एक 6 वर्षीय बच्चे की कस्टडी के मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने स्पष्ट किया है कि बच्चा अपने पालनकर्ता मां-बाप के पास ही रहेगा। बच्चे के जन्मदाता माता-पिता की याचिका खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा है कि बच्चे की भावनाओं, उज्जवल भविष्य और सबूतों को देखते हुए उसका अपने पालनकर्ता  मां-बाप के साथ रहना ही सही है। 

विवाह के पूर्व ही गर्भवती 
नागपुर निवासी रुख्साना और सलमान (परिवर्तित नाम) के बीच प्रेम संबंध थे, जिसके चलते विवाह के पूर्व ही रुख्साना गर्भवती हो गई, लेकिन सलमान के साथ  निकाह से उसने साफ इनकार कर दिया। इसके बाद 30 अगस्त 2014 को रुख्साना ने एक बेटे को जन्म दिया, जो जन्म के समय काफी नाजुक हालत में था। बगैर पिता के एक कुंवारी मां के लिए संतान का लालन-पालन करना चुनौती भरा कार्य था। ऐसे में बच्चे के भविष्य की कामना करके नाना ने अपनी बेटी के साथ मिलकर बच्चे को शहर के बड़े चिकित्सक दंपत्ति को गोद दे दिया। दंपत्ति ने बच्चे के इलाज पर खूब खर्च किया और अब बच्चा 6 वर्ष का हो गया है। 

फिर दोनों एक हो गए
इधर, समय के साथ रुख्साना और सलमान एक हो गए। सलमान का यह दूसरा विवाह है। पहले विवाह से उसे एक बेटा और बेटी है। रुख्साना से भी उसे एक बेटी है। अब इस बेटे की कस्टडी के लिए सलमान ने चिकित्सक दंपत्ति के खिलाफ पुलिस में शिकायत कर दी, जिसके बाद दंपत्ति को हाईकोर्ट की शरण लेनी पड़ी। रुख्साना और सलमान ने बच्चे की कस्टडी के लिए कोर्ट में अर्जी भी दायर की। मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है।

सलमान पेशे से ऑटोरिक्शा चालक है। उसके पास कमाई का दूसरा जरिया नहीं है, खुद का घर नहीं है, पहले ही तीन बच्चे हैं। इसके उलट चिकित्सक दंपत्ति के पास केवल यही गोद लिया हुअा बेटा है। दोनों पेशे से चिकित्सक होने के कारण उनकी आर्थिक स्थिति अच्छी है। उन्होंने बच्चे के इलाज पर भी एक बड़ी रकम खर्च की है। ऐसे में बच्चे की कस्टडी पालनकर्ता  मां-बाप के पास देना ही सही है। इस निरीक्षण के साथ हाईकोर्ट ने रुख्साना और सलमान की अर्जी खारिज कर दी। इस मामले में चिकित्सक दंपत्ति की ओर से एड.मसूद शरीफ और आदिल मिर्जा ने पक्ष रखा। रुख्साना की ओर से एड.शबाना दीवान और रुख्साना के पिता की ओर से एड.पूनम मून ने पक्ष रखा। 

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