सरकारी अस्पतालों में गरीब मरीजों के नहीं हो रहे किडनी ट्रांसप्लांट, 3 मरीजों  ने तोड़ा दम 

सरकारी अस्पतालों में गरीब मरीजों के नहीं हो रहे किडनी ट्रांसप्लांट, 3 मरीजों  ने तोड़ा दम 

Anita Peddulwar
Update: 2018-08-12 09:44 GMT
सरकारी अस्पतालों में गरीब मरीजों के नहीं हो रहे किडनी ट्रांसप्लांट, 3 मरीजों  ने तोड़ा दम 

डिजिटल डेस्क, नागपुर।  सरकार के अंगदान जागरूकता अभियान में हिस्सा लेने के बाद लोग उत्साहपूर्वक अंगदान कर रहे हैं, लेकिन सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में कैडेवर किडनी ट्रांसप्लांट बहुत ही धीमी गति से चल रहा है। यही वजह है कि सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में पंजीकृत 13 मरीजों में से 3 मरीज उपचार की आस में दम तोड़ चुके हैं और 3 बाहर ट्रांसप्लांट करवा चुके हैं। अभी सिर्फ 6 मरीज वहां पंजीकृत हैं, जबकि नागपुर जोन ट्रासंप्लांट कोर्डिनेशन कमेटी (ZTCC) के संयोजन में हुए  64 कैडेवर किडनी ट्रांसप्लांट हो चुके हैं। सरकारी अस्पतालों की लेटलतीफी का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि अभी तक  निजी अस्पतालों में 62 कैडेवर किडनी ट्रांसप्लांट हो चुके हैं, जबकि सुपर स्पेशलिटी में सिर्फ दो कैडेवर किडनी ट्रांसप्लांट हुए हैं।

कैडेवर करवाने के लिए यह ध्यान रखें
कैडेवर ट्रांसप्लांट करने हेतु  रजिस्ट्रेशन  कराने के लिए मरीज का डायलिसिस आरंभ होना जरूरी है। इसके अतिरिक्त नेफ्रोलॉजिस्ट की अनुसंशा पर ही उसे ZTCC की सूची में शामिल किया जाता है।

निजी अस्पतालों को मिल रहा फायदा
सरकारी अस्पताल में कैडेवर ट्रांसप्लांट न होने से सारे मरीज निजी अस्पताल में अपना रजिस्ट्रेशन कराते हैं। इस वजह से उनकी सूची ज्यादा लंबी हो गई है और किडनी मिलने पर सबसे पहले निजी अस्पताल का नंबर लगता है, जबकि सुपर स्पेशलिटी में एक ओर पंजीयन नहीं हो रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर अब यदि वहां कोई रजिस्ट्रेशन करवाता है तो उसे लंबा इंतजार करना पड़ेगा।

सुपर ने बंद कर दिया था रजिस्ट्रेशन
सुपर स्पेशलिटी में कैडेवर किडनी ट्रांसप्लांट का रजिस्ट्रेशन 2015 से शुरू हुआ। इसके बाद उसे बंद कर दिया था क्योंकि अलग से ऑपरेशन थियेटर न होने के कारण खासी परेशानी उठानी पड़ती थी। कार्डियोलॉजी के ऑपरेशन थियेटर में कैडेवर ट्रांसप्लांट के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ती थी। इसके चलते सुपर में कैडेवर के लिए पंजीयन बंद कर दिया था वहीं मरीजों ने भी जाना छोड़ दिया क्योंकि आए दिन निजी अस्पताल में ऑपरेशन हो रहे हैं। इतना ही नहीं, सुपर में रेजिडेंट डॉक्टर भी नहीं है। इसके बाद मेडिसिन विभाग से 3 सीनियर रेजिडेंट दिए गए। इसके अतिरिक्त वरिष्ठ चिकित्सकों का भी अभाव है। सुपर में यूरोलॉजी का ऑपरेशन थियेटर मार्च से तैयार हो गया है।

क्या कहते हैं आंकड़े
वोक्हार्ट हॉस्पिटल        - 24
ऑरेंज सिटी हॉस्पिटल         - 18
केयर हॉस्पिटल         - 12
सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल    - 2
मेडीट्रिना हॉस्पिटल          - 1
नोट- इसके अतिरिक्त 7 ऑपरेशन बाहर के व अन्य अस्पतालों में किए गए। कुल 64 कैडेवर ट्रांसप्लांट किए गए।

जानिए, कितना खर्च
सुपर में कैडेवर ऑपरेशन कराने पर 2 से 3 लाख रुपए का ही खर्च आएगा।
निजी अस्पताल में ऑपरेशन कराने पर 9 से 10 लाख रुपए का खर्च आता है।
शहर में करीब 15 नेफ्रोलॉजिस्ट हैं।
किडनी के लिए 260 मरीज वेटिंग में हैं।

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