कोयला खोदते वक्त अवैध खदान धंसी, बाल-बाल बचा कोयला चोर

कोयला खोदते वक्त अवैध खदान धंसी, बाल-बाल बचा कोयला चोर

Bhaskar Hindi
Update: 2018-08-28 08:36 GMT
कोयला खोदते वक्त अवैध खदान धंसी, बाल-बाल बचा कोयला चोर

डिजिटल डेस्क, अनूपपुर। कोयलांचल क्षेत्र में कोयला खदानों से कोयला चोरी का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। सिर्फ चालू खदाने ही नहीं बल्कि बंद पड़ी कोयला खदानों में भी आसपास के ग्रामीण जान जोखिम में डालकर कोयले की खुदाई कर उसे ईट भट्टों में बेच रहे हैं। बंद पड़ी खदानों की सुरक्षा अब भगवान भरोसे रह गई है। 27 अगस्त की सुबह भी हंसदेव क्षेत्र अंतर्गत राजनगर खुली खदान के समीप कोयला खोदते वक्त मिट्टी धसक जाने से एक ग्रामीण उसमें दब गया। कमर तक दबे रहने से मदद के लिए चीख-पुकार लगाने के बाद ग्रामीणों व प्रबंधन के लोगों द्वारा घंटों की मशक्कत के बाद उसे निकाला जा सका।

यह है मामला
राजनगर और उसके आसपास के बंद पड़ी व चालू कोयला खदानों से कोयला चोरी का सिलसिला बदस्तूर जारी है। 28 अगस्त की सुबह लगभग 6 बजे रामनगर   खुली खदान के समीप बाबूलाल प्रजापति पिता रामभजन प्रजापति उम्र 40 वर्ष जो कि ग्रामीणों के साथ ही कोयला खोदने के लिए गया हुआ था। अचानक ही मिट्टी धस जाने के कारण बाबूलाल उसमें दब गया। हादसे को देख ग्रामीण भाग निकले व मदद के लिए पुकार लगा रहे बाबूलाल प्रजापति की आवाज सुनकर प्रबंधन के अधिकारी व कर्मचारी मौके पर पहुंचे, जहां फावड़े और कुदाल की मदद से बाबूलाल को घंटों की मशक्कत के बाद बाहर निकाला जा सका।

सुरक्षा प्रहरियों का अभाव
16 जुलाई 2018 से कोल इंडिया द्वारा खदानों की सुरक्षा में लगे निजी सुरक्षा कंपनियों से अनुबंध समाप्त कर दिया गया है। जिसकी वजह से अब खदानों में सुरक्षाकर्मियों का अभाव उत्पन्न हो गया है। कालरी प्रबंधन के ही सुरक्षा प्रहरियों के जिम्मे खदानों की सुरक्षा को सुनिश्चित किए जाने की बात कालरी प्रबंधन द्वारा कही जा रही है किंतु अब तक इसके सकारात्मक परिणाम देखने को नहीं मिले हैं।

हादसों से सबक नहीं
बीते एक वर्ष में ही भालूमाड़ा थानान्तर्गत खदान धसने की वजह से एक ग्रामीण  की मौत हो गई थी। वहीं इस वर्ष शहडोल जिले की धनपुरी में भी कोयला चोरी करने के दौरान खदान धसने से दो लोगों की मौत हो गई थी। कोयला चोरी के दौरान  अलग-अलग स्थानों में आधा दर्जन से ज्यादा लोगों की मौते हो चुकी हैं। बावजूद इसके हादसों से सबक नहीं लेते हुए सुरक्षा के कोई भी पुख्ता इंतजाम नहीं किए गए हैं।

सुरक्षित नहीं हैं बंद पड़ी खदानें
कोयला उत्खनन के पश्चात कालरी प्रबंधन द्वारा भूमिगत व खुली खदानों को यूं ही छोड़ दिया जाता है। अनूपपुर जिले में ही एक दर्जन से ज्यादा ऐसी खदानें हैं जिन्हें उत्खनन के पश्चात बगैर सुरक्षा के ही छोड़ दिया गया है। इन बंद पड़ी खदानों से ग्रामीण कोयला निकालकर उसे ईट  कोयला माफिया को बेच देते हैं। रुपयों के लालच में सुरक्षा को दरकिनार करते हुए ग्रामीणों द्वारा चोरी की घटना को अंजाम दिया जाता रहा है। कालरी प्रबंधन भी इन बंद पड़ी खदानों की सुरक्षा के लिए कोई भी व्यापक इंतजाम नहीं किए हैं। जिसकी वजह से आए दिन हादसें होते रहते हैं।

इनका कहना है
घटना की जानकारी उप क्षेत्रीय प्रबंधक से ली जा रही है। सुरक्षा प्रहरियों की कमी के कारण दिक्कतेा का सामना करना पड़ रहा है। विभागीय लोगों से कार्य कराया जा रहा रहा है।
अशोक उदानिया, महाप्रबंधक हसदेव क्षेत्र

 

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