शिवाजी स्मारक को लेकर पर्यावरण मंत्रालय और सरकार को जवाब का अंतिम मौका

शिवाजी स्मारक को लेकर पर्यावरण मंत्रालय और सरकार को जवाब का अंतिम मौका

Tejinder Singh
Update: 2018-10-09 14:02 GMT
शिवाजी स्मारक को लेकर पर्यावरण मंत्रालय और सरकार को जवाब का अंतिम मौका

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने अरब सागर में प्रस्तावित छत्रपति शिवाजी महराज के स्मारक को लेकर दायर याचिका पर जवाब देने के लिए राज्य सरकार व केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय को आखिरी मौका दिया है। अदालत ने कहा कि आखिर इस मामले में पर्यावरण मंत्रालय अब तक अपना हलफनामा क्यों नहीं दायर कर सका? जस्टिस शांतनु केमकर व जस्टिस सारंग कोतवाल की बेंच ने कहा कि हम मामले में केंद्र व राज्य सरकरा तथा केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के हलफनामे पर गौर करने के बाद जरुरत पड़ने पर स्मारक के निर्माण कार्य पर रोक लगाने की मांग पर विचार करेंगे बेंच के सामने दि कंजरवेशन एक्सन ट्रस्ट की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई चल रही है।

इससे पहले याचिकाकर्ता के वकील आस्पी चिनाय ने दावा कि स्मारक के निर्माण के लिए पर्यावरण मंत्रालय से जरुरी अनुमति नहीं ली गई है। निर्माण कार्य को लेकर  लोगों के सुझावों व आपत्तियों को लेकर जनसुनवाई भी नहीं हुई है। फिर भी समुद्र के रिक्लामेशन की दिशा में काम शुुरु हो गया है। ऐसे में यदि कोर्ट इस मामले में निर्देश नहीं देती है तो याचिका में उठाए गए मुद्दों का महत्व नहीं रह जाएगा।  पिछली सुनवाई के दौरान भी सरकार व अन्य प्रतिवादियों ने जवाब देने के लिए वक्त मांगा था लेकिन अब तक हलफनामा नहीं दायर किया है। प्रकरण को लेकर सिर्फ महाराष्ट्र कोस्टल रेग्युलेशन जोन एथारिटी (MCZMA) नें हलफनामा दायर किया है। गौरतलब है कि MCZMA ने केंद्र सरकार की ड्राफ्ट अधिसूचना के आधार पर प्रोजेक्ट का समर्थन किया है।

इस पर राज्य सरकार की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता वीए थोरात ने कहा कि राज्य सरकार एक अनूठे प्रोजेक्ट पर काम कर रही है। निर्माण कार्य के लिए ज्यादातर मंजूरिया सरकार ने हासिल कर ली है। कुछ मंजूरियों की प्रतिक्षा की जा रही है। हम मामले को लेकर और जानकारी इकट्ठा कर रहे है इसलिए हलफनामा दायर करने में समय लग रहा है। हमे थोड़ा वक्त दिया जाए। केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के वकील ने भी हलफनामा दायर करने के लिए समय की मांग की। इस पर बेंच ने कहा कि हम हलफनामा दायर करने के लिए प्रतिवादियों को आखिरी मौका दे रहे है और मामले की सुनवाई 29 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दी।

उल्लेखनीय है कि ट्रस्ट के अलावा प्रोफेसर मोहन भिडे ने भी इस विषय पर जनहित याचिका दायर की है। जिसमें स्मारक के निर्माण पर खर्च होनेवाली 3600 करोड़ रुपए की अनुमानित लगात पर सवाल उठाए गए है। याचिका में कहा गया है कि राज्य सरकार पर काफी कर्ज है ऐसे में इतनी बड़ी रकम स्मारक के निर्माण पर खर्च करने की बजाय बुनियादि सुविधाओं के विकास के लिए खर्च किया जाना चाहिए। इस याचिका में भी दावा किया गया है स्मारक के निर्माण से समुद्र के जीवों पर असर पड़ेगा।

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