कोरोना में सिर्फ 3 घंटे की ही नींद ले रहा था शिवराज का यह मंत्री, जो आज बना सब का 'विश्वास'

कोरोना में सिर्फ 3 घंटे की ही नींद ले रहा था शिवराज का यह मंत्री, जो आज बना सब का 'विश्वास'

Bhaskar Hindi
Update: 2021-06-10 04:33 GMT
कोरोना में सिर्फ 3 घंटे की ही नींद ले रहा था शिवराज का यह मंत्री, जो आज बना सब का 'विश्वास'

डिजिटल डेस्क, भोपाल। मध्य प्रदेश में कोरोना की दूसरी लहर पीक पर थी। अस्पताल मरीजों से खचाखच भरे हुए थे। श्मशानों में चिताओं का अंबार लगा हुआ था। चारों ओर हाहाकार की स्थिति थी। सभी लोगों ने अपने आपको घरों में बंद कर लिया था। कई बड़े मंत्री जिनके पास बड़े विभागों की जिम्मेदारी है। संक्रमण काल में उतनी सक्रियता के साथ सड़कों पर नहीं दिखाए दिए, लेकिन इन सब के बीच मध्य प्रदेश में एक ऐसा नेता भी है जो पूरे कोरोना काल में केवल 2 से 3 घंटे की ही नींद ले रहा है और बाकी का समय पीड़ित मरीजों और उनके परिजनों की सेवा में लगा रहा है। हम बात कर रहें है मध्य प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास कैलाश सारंग की। सारंग शिवराज कैबिनेट का वह मंत्री है जिसने कोरोना काल में बड़ी मजबूती के साथ अपनी भूमिका और जनता की सेवा करने के कर्तव्य को निभा रहा है। जो शायद प्रदेश का कोई और जनप्रतिनिधि उतनी बखूबी से नहीं निभा पा रहा। 

जरूरतमंदों की हर संभव की मदद
मुख्यमंत्री शिवराज ने अपने सभी मंत्रियों को कोरोना की रोकथाम के लिए जिम्मेदारी सौंपी है। लेकिन उन सभी मंत्रियों में केवल विश्वास सारंग ही पूरी ईमानदारी और मजबूती से सड़कों पर और पीड़ितों के बीच नजर आ रहे हैं। इस पूरे संक्रमण काल में सारंग का मोबइल नंबर मानो टोल फ्री हो गया है। दिन भर प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों से उनके पास मदद के लिए लोग के फोन आते और शायद ही कभी ऐसा हुआ हो कि उनसे फोन न उठा हो। कभी किसी कारण से फोन नही उठा पाए तो स्वयं कॉल बैक कर के बात करते और जरूरी मदद करने का हर संभव प्रयास करते। 

शिवराज के साथ कंधे से कंधा मिला कर किया काम
प्रदेश में कोरोना को काबू करने के लिए अगर किसी ने सबसे ज्यादा योगदान दिया तो वह थे खुद प्रदेश के मुख्या शिवराज सिंह चौहान और इस पूरे कोरोना काल में उनके साथ कंधे से कंधा मिला कर काम करने वाले प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास कैलाश सारंग। इस पूरे कोरोना काल में विश्वास सारंग ने बतौर जनप्रतिनिधि प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेज में व्यवस्थाओं पर नजर बनाए रखी। वहीं लगातार भोपाल के अस्पतालों में उन्होंने दौरे किए। 

रात को 3-3 बजे तक करते है काम
इस कोरोना काल में सारंग रात के तीन-तीन बजे तक काम कर रहे हैं। अगर रात को 3:00 बजे भी किसी जरूरतमंद का फोन उनके पास आया तो उन्होंने उसी समय उसकी हरसंभव मदद करने का प्रयास किया। इसकी जानकारी तब लगी जब कुछ मरीजों के परिजन मरीज के ठीक होने के बाद उनसे मिलने आए और मदद के लिए उनका धन्यवाद किया। 

हर रोज किया अस्पताल का निरीक्षण
लोगों में कोरोना का इतना भय था कि कुछ लोग तो अपने परिजन के शव तक लेने अस्पताल नहीं गए। अस्पताल प्रबंधन और नगर निगम द्वारा उन शवों के अंतिम संस्कार करवाए गए। इन सब के बीच कोरोना काल में एक दिन भी ऐसा नहीं गया जब विश्वास सांरग ने अस्पतालों के कोविड वार्डों का निरीक्षण न किया हो और मरीजों का हालचाल न जाना हो। कई बार मरीजों की मौत और उनके परिजनों को रोता बिलखता देख सारंग भावुक तक हो गए। इसकी गवाही खुद अस्पताल स्टाफ तक देते हैं। 

पूरा परिवार कोरोना संक्रमित हो गया था, पर जन सेवा नहीं छोड़ी
दूसरी लहर में स्थिति भयावह हो चुकी थी। इसी बीच उनका पूरा परिवार कोरोना से संक्रमित हो गया। ऐसी स्थिति में भी अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए सारंग पूरे समय जन सेवा में लगे रहे। दिन में सिर्फ एक बार अपने परिवार से मिलने जाते थे। वो भी केवल दूर से इशारों में ही बात हुआ करती थी। एक समय सोशल मीडिया पर उनका यह वीडियो खूब वायरल हुआ था। अस्पताल आए मरीज के किसी परिजन ने यह वीडियो बनाया था जो काफी वायरल हुआ। 

सारंग का भोपाल मॉडल पूरे देश में लागू हुआ
सारंग को भोपाल और सीहोर जिले का कोरोना प्रभारी मंत्री बनाया गया। भोपाल में कोरोना की रोकथाम के लिए जो उन्होंने व्यवस्थाएं की इसको लेकर उनकी काफी सराहना भी हुई। प्रदेश में कोरोना की रोकथाम में भोपाल मॉडल सबसे सफल रहा। उसी मॉडल को पूरे प्रदेश में लागू किया गया। वहीं पूरे देश में राज्य के इस मॉडल को स्थापित किया गया। 

चिकित्सीय व्यवस्थाओं ठीक ढंग से किया मैनेज
चिकित्सा शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से दुरुस्त रखना और साथ ही साथ हर किसी को सुचारु रूप से कोरोना का टिका लगे इसकी जिम्मेदारी भी विश्वास सारंग के पास है, जिस पर वें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की मंशाओं पर पूरी तरह से खरे उतरे है। कोरोना काल में सबसे बड़ी चुनौती थी चिकित्सीय व्यवस्था का सुचारू रूप से संचालन किया जाना। प्रदेश में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान कई बार अपनी मांगों को लेकर जूनियर डॉक्टर (जुडा) हड़ताल पर चले गए, जिससे चिकित्सीय व्यवस्थाओं पर असर पड़ने लगा। लेकिन जुडा की यह हड़ताल एक बार भी आधे दिन से ज्यादा नहीं चल पाई। सारंग की समझाइश पर हर बार जुड़ा काम पर लौट गए और उनकी मांगों को भी अच्छी तरह मैनेज कर स्वीकार कर लिया गया। 

सारंग के समन्वय ने आसान करदी मुश्किलें
इस कोरोना काल में उद्योग, राजस्व और स्वास्थ्य व्यवस्थाओं समेत अन्य जगहों पर काफी नुक्सान देखने को मिला है, लेकिन चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में जहां पर डाक्टर, नर्स समेत पैरामेडिकल स्टाफ है वहां विश्वास सारंग ने अपनी भूमिका बखूबी निभाई है। जिसका एक मात्र कारण है विश्वास सारंग का समन्वय जो इस पूरे कोरोना काल के दौरान दिखाई दिया है।

कॉमन मैन की छवि
एक अच्छा नेता सच्चा, समसामयिक, पारदर्शी, दूरदर्शी और एक सुखद व्यक्तित्व वाला होता है। उसके पास एक मिशन, एक दर्शन, बलिदान, करुणा और प्रतिबद्धता की भावना होती है। जिस तरह जनता के बीच मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की एक सरल नेता और कॉमन मैन की छवि है, ठीक उसी प्रकार इस कोरोना काल में उनके साथ कंधे से कंधा मिला कर काम करने वाले उनके कैबिनेट के मंत्री विश्वास कैलाश सारंग की जनता के बीच बनी है। कोरोना के मामले में प्रदेश को तीसरे स्थान से 19वें स्थान पर लाने में सबसे बड़ा योगदान अगर किसी का रहा है तो वह शिवराज और सारंग की जोड़ी का है। पूरे कोरोना काल में इस जोड़ी ने सैडकों पर उतर का काम किया। जो शायद कोई और जनप्रतिनिधि नहीं पाया फिर भले ही वह सत्ता पक्ष का हो या विपक्ष का। महामारी के दौर में सारंग कई लोगों के लिए मसीहा बने और यही कारण है को लोगों ने उनमें अपनापन महसूस किया। इसलिए अब मध्य प्रदेश में सारंग शिवराज और जनता का विश्वास बन चुके है।

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