ओला प्रभावित दो गांवों के लिए 2,38,0000 रुपए मंजूर, राशन दुकानों पर मिलेगा महानंद दूध

ओला प्रभावित दो गांवों के लिए 2,38,0000 रुपए मंजूर, राशन दुकानों पर मिलेगा महानंद दूध

Bhaskar Hindi
Update: 2018-03-11 17:36 GMT
ओला प्रभावित दो गांवों के लिए 2,38,0000 रुपए मंजूर, राशन दुकानों पर मिलेगा महानंद दूध

डिजिटल डेस्क, मुंबई। परभणी की पुर्णा तहसील के नीला और महागांव के पुनर्वसन का काम पूरा करने के लिए 2 करोड़ 38 लाख रुपए की राशि दी गई है। राज्य सरकार के राजस्व विभाग की तरफ से इस संबंध में शासनादेश जारी किया गया। परभणी में साल 2005 में अतिवृष्टि और बाढ़ के कारण मांगणगांव, कुंभारीतांडा, महागांव और नीला गांव में काफी नुकसान हुआ था। इसके बाद सरकार ने सभी गांवों के पुनर्वसन को ठेका पद्धति से पूरा करने का फैसला लिया था। इसमें से मांगणगांव और कुंभारीतांडा गांव के पुनर्वसन का काम पूरा हो गया है। प्रभावित लोगों को घर हस्तांतरित कर दिए गए हैं। जबकि नीला और महागांव के पुनर्वसन का काम अंतिम चरण में है। इसके लिए परभणी के जिलाधिकारी ने सरकार को पत्र लिख करके निधि देने की मांग की थी। इसके मद्देनजर सरकार ने निधि आवंटित करने का फैसला लिया है।

राशन दुकानों पर मिलेंगे महानंद का दूध
प्रदेश की सभी सरकारी राशन दुकानों में महानंद का दूध व दुग्धजन्य पदार्थ मिलेंगे। राज्य सरकार ने राशन दुकानदारों को उनके दुकानों में महानंद के उत्पाद बेचने की अनुमति दी है। सरकार के खाद्य, आपूर्ति व ग्राहक संरक्षण विभाग ने इससे संबंधित शासनादेश जारी किया है। सरकार ने राशन दुकानों की आय में इजाफा करने के उद्देश्य से यह फैसला लिया है। महाराष्ट्र राज्य सहकारी दूध महासंघ (महानंद) के डेरियों के अधिकृत आपूर्तिकर्ता दूध व दुग्धजन्य पदार्थों को बेचने के लिए सभी राशन दुकानों को उपलब्ध कराएंगे।

आपूर्तिकर्ता से संपर्क करना होगा
महानंद की डेरी योजना के अनुसार दूध व दुग्धजन्य पदार्थों के बेचने से मिलने वाले कमिशन के लिए संबंधित दुकानों को महानंद के आपूर्तिकर्ता से संपर्क करना पड़ेगा। यह व्यवहार महानंद डेरी और संबंधित दुकानदारों के बीच होगा। राज्य सरकार इसमें कोई सहयोग अथवा हस्तक्षेप नहीं करेगी। इससे पहले सरकार ने मुंबई और ठाणे जिले की राशन दुकानों पर महानंद के दूध और अन्य उत्पाद को बेचने की अनुमति 19 जनवरी को दिया था। राज्य सरकार के मुताबिक प्रदेश में 51,273 राशन की दुकानें हैं। इसमें से आदिवासी इलाकों में 5427 राशन की दुकानें हैं। जबकि चलता-फिरता 28 राशन दुकानें हैं।

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