महाराजबाग के वन्यजीवों का बदला खान-पान, मिल रहा तरबूज, आम और खीरा

महाराजबाग के वन्यजीवों का बदला खान-पान, मिल रहा तरबूज, आम और खीरा

Anita Peddulwar
Update: 2019-04-04 10:12 GMT
महाराजबाग के वन्यजीवों का बदला खान-पान, मिल रहा तरबूज, आम और खीरा

डिजिटल डेस्क, नागपुर। शहर में गर्मी ने अपने तेवर दिखाने शुरू कर दिये हैं। इंसान ही नहीं पशु-पक्षियों पर भी इसका असर दिखने लगा है। ऐसे में शहर के महाराजबाग प्रशासन ने भी वन्यजीवों को गर्मी से राहत दिलाने की कवायदें शुरू कर दी है। एक ओर कूलर लगाकर ठंडी हवा दी जा रही है। वही दूसरी ओर इनके खान-पान में भी बदलाव किया गया  है। जहां मांसाहारी जानवरों का भोजन कम कर दिया गया है, वहीं शाकाहारी जानवरों को तरबूज, आम व खीरा दिया जा रहा है।

उल्लेखनीय है कि महाराजबाग जू नगरवासियों के साथ पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र है। यहां जंगल में रह नेवाले जानवरों को पिंजरे में रखा गया है। जिसमें बाघ, तेंदुआ, भालू आदि बड़े जानवरों के साथ मोर, इमू आदि पक्षी भी शामिल हैं। इनके रहने के लिए पिंजरे में शेड आदि की व्यवस्था की  गई है। जहां सुविधा अनुसार रहते हैं। बाकी मौसम में भले ही कोई दिक्कत न हो, लेकिन ग्रीष्म में बढ़ती धूप का सीधा असर इन पर देखने मिलता है। गर्मी से इनका हाल बे-हाल हो जाता है। ऐसे में प्रशासन की ओर से हर बार इनकी सुविधाओं के लिए कूलर की मदद ली जाती है।

दरअसल यह कूलर पिंजरे के बाहर से इस तरह लगाये जाते हैं, ताकि पशु-पक्षियों को ठंडी हवा मिल सके। जानवर  कूलर की ठंडी हवा में समय गुजारते हैं। महाराजबाघ में तेंदूआ, बाघ के साथ-साथ पक्षियों के पिंजरे में भी कूलर लगाये गये हैं। कूलर की ठंडी-ठंडी हवा वन्यजीव को भा रही है। आमतौर पर इनके खान पान में फलों की मात्रा बहुत ज्यादा नहीं रहती है। लेकिन ग्रीष्म में खान-पान में बदलाव करते हुए मांसाहारी वन्यजीवों को कम-कम डायट दिया जा रहा है। वहीं बंदर आदि को रसीले फल दिये जा रहे हैं। जिसमें तरबूज, खीरे, आम, पपीता हैं। पक्षियों को भी यह डायट मिल रहा है। आनेवाले 4 माह तक इसी तरह नियमित डायट दिया जाएगा। इसके अलावा पिंजरे के ठीक ऊपर व धूप आनेवाली जगहों पर ग्रीन नेट लगा दी गई है। इससे पिंजरे के अंदर सीधा धूप नहीं आने से भीतर का माहौल ठंडा रहता है।

सुबह व शाम को दर्शन
नागपुर का महाराजबाग जूशहरवासियों के लिए छुट्‌टी के दिन मनोरंजन का अच्छा स्थान है। हरियाली के बीच में वन्यजीव देखने का मजा ही और रहता है। खासकर बच्चों के लिए यह आकर्षण का केन्द्र बन जाता है। लेकिन इन दिनों यहां आनेवालों को मायूस होना पड़ रहा है। तेज धूप के कारण वन्यजीव बाहर ही नहीं निकलते हैं। केवल सुबह व शाम को ही वन्यजीवों को बाहर देखा जा सकता है। ऐसे में शाम के वक्त ही सैलानियों की भीड़ ज्यादा देखने मिल रही है।

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