खस्ताहाल खजाना : किराए के विमान से काम चलाएगी महाराष्ट्र सरकार

खस्ताहाल खजाना : किराए के विमान से काम चलाएगी महाराष्ट्र सरकार

Bhaskar Hindi
Update: 2020-02-14 05:49 GMT
खस्ताहाल खजाना : किराए के विमान से काम चलाएगी महाराष्ट्र सरकार

डिजिटल डेस्क, मुंबई। राज्य की खराब आर्थिक हालत को देखते हुए सरकार नया सरकारी विमान खरीदने की बजाय किराए के विमान से काम चलाएगी। फिलहाल निजी कंपनियों से लीज पर विमान लेने के लिए टेंडर निकालने की प्रक्रिया शुरु की गई है। दरअसल राज्य सरकार के पास दो हेलिकाप्टर और एक विमान है। जिसका इस्तेमाल मुख्यमंत्री-राज्यपाल सहित अन्य विशिष्ट व्यक्ति करते हैं। फिलहाल ये दोनों हेलिकाप्टर और विमान तकनीकी कारणों से बंद पड़े हुए हैं। राज्य सरकार के बेडे में शामिल विमान 12 साल पुराना है। इस विमान का ज्यादा से ज्यादा 15 सालों तक इस्तेमाल किया जा सकता है। तत्कालिन मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख ने 2008 में अमेरिकी कंपनी का सेसना सिटीशन एक्सएलएस जेट विमान खरीदा था। 52 करोड़ की कीमत वाले इस विमान पर टैक्स आदि जोड़ कर करीब 67 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे। राज्य सरकार को अब एक नया विमान खरीदने की जरुरत है। लेकिन राज्य सरकार पर बढ़ते कर्ज के बोझ को देखते हुए फिलहाल सरकार ने नया विमान खरीदने की बजाय किराए (लीज) पर विमान लेने का फैसला किया है। 

अगले महीने से नया हेलिकॉप्टर

राज्य सरकार द्वारा खरीदा गया नया हेलिकाप्टर अगले महिने से सरकार के हवाई बेडे में शामिल हो जाएगा। 2017 में तत्कालिन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की लातूर यात्रा के दौरान राज्य सरकार के हेलिकाप्टर  के दुर्घटनाग्रस्त हो जाने के बाद उसका इस्तेमाल बंद कर दिया गया था।

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इस बीच अमेरिका स्थित सिकोरस्की इंटरनेशनल कंपनी से खरीदा गया हेलिकाप्टर बीते सितंबर माह में राज्य सरकार को डिलीवर हो गया था लेकिन अभी यह हेलिकाप्टर डीजीसीए के सुरक्षा जांच से गुजर रहा है। सामान्य प्रशासन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने ‘दैनिक भास्कर’ को बताया कि अगले माह से यह हेलिकाप्टर राज्य सरकार की सेवा में आ जाएगा। 

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पुराने हेलिकाप्टर को नहीं मिल रहे खरीदार

इस बीच सेवा से रिटायर हो चुके राज्य सरकार के पुराने विमान को खरीदार नहीं मिल रहे हैं। तीन बार टेंडर निकाले जाने के बावजूद अभी तक कोई खरीदार सामने नहीं आया। सरकार ने 2008 में इस हेलिकाप्टर को खरीदा था। इस हेलिकाप्टर का 54 करोड़ का बीमा था। फिलहाल इसे बेचने की जिम्मेदारी बीमा कंपनी को दी गई है। बीमा कंपनी ने राज्य सरकार को 40 करोड़ का भुगतान भी कर चुकी है।

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