टिड्डियों को लेकर महाराष्ट्र सरकार पूरी तरह अलर्ट : कदम 

टिड्डियों को लेकर महाराष्ट्र सरकार पूरी तरह अलर्ट : कदम 

Anita Peddulwar
Update: 2020-05-29 07:27 GMT
टिड्डियों को लेकर महाराष्ट्र सरकार पूरी तरह अलर्ट : कदम 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। देश के कई राज्यों में टिड्डियों के प्रकोप के बाद अब महाराष्ट्र में इनका प्रवेश हो गया है। इसे लेकर राज्य सरकार पूरी तरह अलर्ट है। टिड्डियों से फसलों व फलों को बचाने के लिए कीटनाशक छिड़काव किया जा रहा है। राजस्थान, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश के बाद राज्य के विदर्भ और अमरावती विभाग के किसानों को कृषि विभाग के अधिकारियों ने सतर्क कर दिया है। कृषि राज्य मंत्री विश्वजीत कदम ने बताया किरात में कीटनाशक दवाईयों का छिड़काव किया जा रहा है। उन्होंने दावा किया कि हम लोग पूरी सावधानी बरत रहे हैं। कृषि राज्य मंत्री कदम ने कहा कि सालों बाद इस राज्य में टिड्डियों के हमले हुए हैं। इनकों आगे बढ़ने से रोकने के लिए हम लोग काम कर रहे हैं। दिन में टिड्डियों को मार नहीं सकते क्योंकि वे एक जगह से दूसरे जगह पर चले जाते हैं इसलिए रात में इन्हें मारने का काम किया जा रहा है।

दमकल से कर रहे छिड़काव
कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक रवि भोंसले का कहना है कि गुरुवार की भोर कृषि विभाग की टीम भंडारा के तेमानी गांव के एक किलोमीटर के दायरे में दो दमकल की गाड़ियों से कीटनाशक का छिड़काव किया। आम, सागौन, मोहा, जामुन, बेर और अन्य पेड़ों पर कीटों को देखा गया। उसके बाद कीटनाशकों का छिड़काव किया गया और सुबह तक बड़ी संख्या में फसल खाने वाले कीट मर कर पेड़ों से गिर गए।टिडि्डयों  के हमले से आम के पेड़ सबसे ज्यादा प्रभावित हुए थे। कीटों ने पत्तियां खा लीं, लेकिन फल खराब नहीं हुए। धान के खेतों में भी कोई नुकसान नहीं हुआ।
 
टिड्डियों से निपटने के काम आ रहे प्रतिबंधित कीटनाशक 
क्रॉप केयर फेडरेशन ऑफ इंडिया के सलाहकार हरीश मेहता का कहना है कि जब देश में टिड्डयों का कहर कई राज्यों और शहरों में जारी है ऐसे में भारत सरकार ने 27  कीटनाशकों को प्रतिबंधित करने का आदेश दिया है। खास बात यह है की इन 27 प्रतिबंधित कीटनाशकों में 2 कीटनाशक क्लोरपैरिफोस और मेलाथिऑन भी हैं जिन्हें भारत के कृषि विभाग द्वारा टिड्डियों पर काबू पाने के लिए इस्तेमाल किए जाने की सिफारिश की गई है। किसानों की मेहनत पर पानी फेर रही टिड्डियों से निपटने में ये प्रतिबंधित किटनाशक ही काम आ रहे हैं। ऐसे में यह सवाल उठता है की जब यह कीटनाशक इतने कारगर हैं तो इन्हें क्यों बैन किया जा रहा है?  

मेहता का कहना है कि सरकार को चाहिए की वह कीटनाशकों को प्रतिबंधित करने से पहले इनके महत्त्व को समझे और इनके बैन होने से होने वाले दुष्परिणामों को ध्यान में रखते हुए तर्कसंगत निर्णय ले, न की कुछ पर्यावरणविदों के बहकावे या दबाव में आकर ऐसे  कदमउठाए, जिससे खेती-किसानों की मुश्किल बढ़ जाए। 

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