राज्य के अनाथ बच्चों को आरक्षण देने पर हो रहा विचार : पंकजा मुंडे

राज्य के अनाथ बच्चों को आरक्षण देने पर हो रहा विचार : पंकजा मुंडे

Anita Peddulwar
Update: 2017-12-20 05:03 GMT
राज्य के अनाथ बच्चों को आरक्षण देने पर हो रहा विचार : पंकजा मुंडे

डिजिटल डेस्क, नागपुर । महिला व बाल कल्याण मंत्री पंकजा मुंडे ने मंगलवार को विधानसभा में  कहा कि सरकार राज्य में अनाथ बच्चों को आरक्षित वर्ग के बच्चों की तरह आरक्षण देने का विचार  कर रही है। उन्होंने बताया कि विधि व न्याय, सामाजिक न्याय व अन्य विभागों से अभिप्राय मंगवाए गए हैं। अनाथ बच्चों की जाति नहीं होती है। उन्हें किसी एक वर्ग में शामिल नहीं किया जा सकता है। मुंडे ने कहा कि जाति प्रमाण-पत्र नहीं होने से शैक्षणिक, आर्थिक व सामाजिक मामलों में उन्हें सहूलियत नहीं मिल पाती है। लिहाजा, यह विचार किया गया कि उच्च शिक्षा, एमपीएससी व अन्य शिक्षा में अनाथों के लिए आरक्षण कोटा होना चाहिए। इन मामलों में आवेदन फार्म में जाति कालम के साथ अनाथ लिखा हुआ कालम भी होना चाहिए। 
बच्चू कड़ू ने उठाया मामला: ध्यानाकर्षण सूचना के तहत विधायक बच्चू कड़ू ने अनाथ बच्चों का मामला उठाया था। कड़ू ने कहा कि अनाथालयों की स्थिति ठीक नहीं है। राज्य में सरकारी व अर्धसरकारी अनाथालयों से 10 हजार से अधिक बच्चे भाग जाते हैं। जवाब में मंत्री मुंडे ने कहा कि अनाथ बालक-बालिकाओं को संरक्षण, उच्च शिक्षा, छात्रवृत्ति, बाल निधि के माध्यम से प्रोत्साहन देने के लिए ठोस योजना की आवश्यकता है। 

महाधिवक्ता को भेजा प्रस्ताव : मुख्य सचिव को संबंधित प्रस्ताव भेजा गया है। मुख्य सचिव ने उस प्रस्ताव को महाधिवक्ता के पास भेजा है। प्रस्ताव पर निर्णय मिलते ही नीतिगत फैसला लिया जाएगा। बाल न्याय अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार, बच्चों को परिवार में रहने का अधिकार है। मुंडे ने यह भी कहा कि बालगृह में रहने वाले बच्चों को परिवार में प्रस्थापित करने का प्रयत्न प्रमुखता से किया जाता है। जिन बच्चों के परिजन नहीं मिल पाते हैं या जो पूरी तरह से अनाथ होते हैं, उन्हें 18 वर्ष की उम्र तक बालगृह में रखा जाता है। अनाथ बच्चों के लिए आरक्षण-गृह की योजना चलाने के बारे में भी उन्होंने जानकारी दी। 

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