मंडला जिला भी नक्सल प्रभावित, बढ़ गई थीं लाल आंतक की गतिविधियां

मंडला जिला भी नक्सल प्रभावित, बढ़ गई थीं लाल आंतक की गतिविधियां

Bhaskar Hindi
Update: 2018-04-19 13:41 GMT
मंडला जिला भी नक्सल प्रभावित, बढ़ गई थीं लाल आंतक की गतिविधियां
हाईलाइट
  • 16 अप्रैल को केन्द्र शासन ने प्रदेश के बालाघाट के अलावा मंडला जिले को नक्सल प्रभावित माना है।
  • पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ की तरह मध्यप्रदेश के सीमावर्ती जिले में नक्सलवादियों का आंतक फैल रहा है।
  • पिछले तीन माह में जिस तरह नक्सलीयों ने मंडला के मवई
  • मोतीनाला क्षेत्र में धुसपैठ की है। इससे यहां भी खतरा बढ़ गया है।

डिजिटल डेस्क, मंडला। पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ की तरह मध्यप्रदेश के सीमावर्ती जिले में नक्सलवादियों का आंतक फैल रहा है। पिछले तीन माह में जिस तरह नक्सलीयों ने मंडला के मवई, मोतीनाला क्षेत्र में धुसपैठ की है। इससे यहां भी खतरा बढ़ गया है। सबसे संवदेनशील बालाघाट के साथ मंडला जिला को नक्सल प्रभावित में शमिल कराने के लिए पुलिस मुख्यालय भोपाल के द्वारा नए सिरे से समीक्षा कर केंद्र शासन को लगातार प्रस्ताव भेजे जाते रहे है।16 अप्रैल को केन्द्र शासन ने प्रदेश के बालाघाट के अलावा मंडला जिले को नक्सल प्रभावित माना है।

बताया गया है कि मंडला के केटीआर, मवई, मोतीनाला क्षेत्र के जंगल 1990 के दशक में नक्सली गतिविधि बढ़ी थी। नक्सलियों ने अपनी पैठ बढ़ाने लगातार मूवमेंट किया। इसे रोकने के लिए बड़ी संख्या में पुलिस भर्ती की गई, एक एसएएफ बटालियन, नक्सल सेल में आठ एक का बल तैनात किया गया था। इसके साथ केन्द्र सरकार ने सिक्यूरिटी रिलेटेड एक्सपेन्डीचर एसआरई में बालाघाट के साथ मंडला को नक्सल प्रभावित जिले का दर्जा दिया है। करीब सोलह साल के बाद केन्द्र ने मंडला को प्रभावित से संभावित मानते हुए वर्ष 2006-07 में एसआरई स्कीम से हटा दिया। जिसके चलते यहां तैनात पुलिस को मिलने वाली सुविधाओ में कटोत्री कर दी गई  इन क्षेत्रों में तैनात  पुलिस अफसर और कर्मीयों दुर्गम सेवा पदक को भी समाप्त कर दिया गया। लेकिन आज भी पुलिस बल को पोषण आहार भत्ता और सात दिवस का अवकाश की पात्रता मिलती है। केन्द्र सरकार से आईएपी योजना के तहत जिले को मिलने वाला फंड भी वर्ष 2014-15 से बंद कर दिया था।

प्रदेश के नक्सल प्रभावित जिले
मप्र शासन द्वारा प्रदेश की सीमावर्ती क्षेत्रों में घटनाओं गतिविधियों और भौगोलिक दृष्टि से शासन ने 8 जिलों को नक्सल प्रभावित माना है। इनमें बालाघाट सीधी सिंगरौली, मंडला, डिंडौरी, शहडोल, अनूपपुर और उमरिया शमिल हैं। इनमें बालाघाट के बाद सिंगरौली ही सर्वाधिक नक्सल प्रभावित बताया गया है। लेकिन केन्द्र सरकार ने एसआरई में केवल बालाघाट को ही नक्सल प्रभावित जिले का दर्जा दिया है। एसआरई के तहत आने वाले जिले में नक्सलवाद को खत्म करने सामाजिक और प्रशासनिक स्तर पर प्रयास किए जाते हैं। इसके लिए केन्द्र सरकार अलग से आर्थिक मदद करता है।

 यहां हो चुकी घटनाएं
12 फरवरी को केटीआर के नीमपानी बीट में वन क्षेत्र में नक्सलियों ने वारदात कर दहशत फैला दी। यहां पर चार वनकर्मियों को बंधक बनाकर उनके साथ मारपीट की और भोजन बनाकर खाया पिया भी। उनसे तीन वायरलेस सेट, मोबाइल व कैमरा लूट लिए थे। इस मामले में करीब 2 दर्जन हथियारबंद नक्सलियों के खिलाफ  मोतीनाला पुलिस थाने में मामला दर्ज किया गया। इसके बाद हॉक फोर्स बुला ली गई और जंगल में सर्चिंग तेज कर दी गई। सर्चिग में पुलिस व फोर्स का सामना तो नहीं हुआ लेकिन एक मार्च होलिका दहन की रात को फिर नक्सली गतिविधि ने क्षेत्र में  सन्नाटा फैला दिया। मोतीनाला थाना क्षेत्र के फैन अभयारण्य में नीमपानी बीट के लतावर दादर के अस्थाई कैंप में आग लगा दी, जिससे कैंप में रखा कर्मचारियों का सामान जल गया। लगातार घटनाओं के इन क्षेत्रों में चौकसी और बढ़ा दी गई थी।


केंद्र सरकार की नक्सल प्रभावित सूची मंडला जिला शमिल हुआ। प्रभावित क्षेत्रो में केन्द्र से मिलने वाली मदद से विकास के काम किए जाएगें, ग्रामीणों को मुख्यधारा से जोड़ा जाएगा। इसके साथ सुरक्षा और सर्तकता के लिए फोर्स बढ़ाया जाएगा।
राकेश कुमार सिंह, पुलिस अधीक्षक मंडला,

 

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