छलका मैनिट छात्र पलाश के पिता का दर्द, बोले- कुछ तो गलत हुआ है

छलका मैनिट छात्र पलाश के पिता का दर्द, बोले- कुछ तो गलत हुआ है

Bhaskar Hindi
Update: 2017-09-06 05:02 GMT
छलका मैनिट छात्र पलाश के पिता का दर्द, बोले- कुछ तो गलत हुआ है

डिजिटल डेस्क,छिंदवाड़ा/भोपाल। पिछले दिनों मैनिट में खुदकुशी करने वाला छात्र परेशानियों से लड़ना जानता था, फिर ऐसा क्या हो गया जो उसने ये कदम उठाया। उसके साथ जरूर कुछ हुआ है, ये कहना है पलाश के पिता प्रमोद कोठे का। मैनिट प्रबंधन की सूचना पर भोपाल पहुंचे पलाश के माता-पिता का रो-रोकर बुरा हाल हो गया है।

गौरतलब है कि सोमवार रात पलाश ने मैनिट कैंपस स्थित हॉस्टल नंबर 10 में फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली थी। मंगलवार दोपहर पलाश के शव का हमीदिया अस्पताल में पोस्टमार्टम किया गया। इस दौरान प्रमोद ने बताया कि पलाश बचपन से ही मेधावी था। 10वीं कक्षा से ही वह राजस्थान के कोटा में IIT की तैयारी करने लगा था। वहां उसने JEE के जरिए मैनिट में दाखिला लिया। इन दो सालों में उसने जीवन की कठिनाइयों से लड़ना सीख लिया था। वह अंदर से बेहद मजबूत था। ऐसे में उसका ये कदम उठाना हमें परेशान कर रहा है। पुलिस को चाहिए कि पलाश की खुदकुशी की असल वजह तक जाए। 

पलाश का अपने दादा महादेव कोठे से बेहद लगाव था। दोनों में रोजाना फोन पर बात होती थी। सोमवार रात वे पलाश को फोन करते रहे, लेकिन फिर कॉल रिसीव नहीं हुआ। उसके बीमार होने की सूचना मैनिट प्रबंधन ने रात करीब साढ़े 10 बजे दी। मंगलवार सुबह उसके परिजन मैनिट पहुंचे तो पता चला कि उसका शव मर्चूरी में रखा गया है। ये सुनते ही वंदना बेसुध हो गईं। वे बार-बार यही कहती रहीं कि मुझे मेरा बेटा लौटा दो। पलाश का एक छोटा भाई भी है गोपी, जो दसवीं कक्षा में पढ़ता है। 

पलाश का आखिरी खत
पलाश के पास से मिले सुसाइड नोट में 5.15 बजे और 4 सितंबर का जिक्र है। इसमें लिखा है कि मेरे इस कदम का मैनिट से कोई संबंध नहीं है। इसकी वजह न रैगिंग है, न कोई स्टूडेंट और न ही कोई और। शायद मेरी जिंदगी में 35 दिन और थे खुशी के। मैनिट में लगभग 70 फीसदी स्टूडेंट कोटा के थे। पहले मेरे पास ऑप्शन था, पर अब नहीं। इसमें स्टूडेंट और मैनिट के किसी का भी कोई रोल नहीं है। मेरे रूम पार्टनर को डिस्टर्ब न करें, लेकिन मैंने गाली नहीं दी थी। गोपी मम्मी-पापा का ध्यान रखना और अच्छे से पढ़ना। मम्मी-पापा आप भी गोपी का ख्याल रखना और बाहर पढ़ना चाहे तो रोकना मत। बाय...

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