नागपुर से गहरा लगाव रखते थे पर्रिकर
नागपुर से गहरा लगाव रखते थे पर्रिकर
डिजिटल डेस्क, नागपुर। मनोहर पर्रिकर का नागपुर से सीधा कोई संबंध तो नहीं रहा है, पर विचार व राजनीति के मामले में वे यहां से गहरा संबंध जताते थे। यहां जब भी आते सामान्य कार्यकर्ताओं से बात करते थे। उनका कहना था कि नागपुर उनके लिए सम्मानजनक शहर है। यहां आने से उन्हेें समाज कार्य की ऊर्जा मिलती है। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के कार्यकर्ता के तौर पर पहचान रखनेवाले पर्रिकर को नाम भाजपा के अध्यक्ष पद के लिए भी चर्चा में रहा। हालांकि वे भाजपा के शीर्ष पद पर नहीं पहुंचे, लेकिन भाजपा में उनकी स्थिति काफी मजबूत थी।
सहज स्वभाव के नेता थे
2014 के लोकसभा चुनाव के पहले वे मोदी समर्थक के तौर पर भाजपा के बड़े नेताओं में उभरे थे। साई सभागृह में भारत के विकास के लिए भाजपा के विजन पर बौद्धिक मिलन कार्यक्रम हुआ था, तब पर्रिकर के साथ प्रदेश भाजपा की कोषाध्यक्ष सायना एनसी भी आयी थी। शहर के उद्यमी संगठनों के अलावा अन्य संगठनाें के प्रतिनिधियों को भी उस कार्यक्रम में आमंत्रित किया गया था। पर्रिकर ने सहज स्वभाव के राजनेता की छाप छोड़ी थी। मोदी सरकार के एक साल के बाद भाजपा के कुछ नेताओं व मंत्रियों में कसमसाहट की खबरें आने लगी थीं। तब भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह व अन्य नेताओं का भी संघ मुख्यालय में आना हुआ था। उसी दौरान मई 2015 की दोपहर में पर्रिकर का नागपुर चर्चा केंद्रीय स्तर पर काफी चर्चा में रहा।
विकास कार्यों में योगदान मिला
पर्रिकर ने संघ मुख्यालय में सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत के साथ चर्चा की। बाद में महल स्थित गडकरी वाड़ा में पहुंच गए। गडकरी ने उनका स्वागत किया था। इस बीच नागपुर में विकास कार्यों में भी पर्रिकर का योगदान मिलता रहा। मेट्रो से लेकर अन्य प्रकल्पों के लिए रक्षा विभाग की जमीन का मामला सुलझाने के लिए पर्रिकर ने नागपुर में अधिकारियों के साथ बैठक ली थी। कामठी व कोराडी में रक्षा विभाग व राज्य सरकार के बीच जमीन का मामला सुलझाने में उनका योगदान रहा। 2017 में वे नितीन गडकरी के साथ तब अधिक चर्चा में रहे, जब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के गोवा प्रमुख सुभाष वेलिंगकर ने बगावत कर दी। वेलिंगकर ने क्षेत्रीय भाषा के बजाय अंग्रेजी को समर्थन व अनुदान देने का मामला उठाया था। विवाद इतना बढ़ा था कि संघ ने वेलिंगकर को पदमुक्त कर दिया।
सामूहिक इस्तीफा दिया था
संघ के पुराने पदाधिकारी माने जाने वाले वेलिंगेकर के समर्थन में गोवा के 2000 से अधिक पूर्णकालिक कार्यकर्ताओं ने सामूहिक इस्तीफा दिया था। वेलिंगकर ने अलग से संघ व राजनीतिक दल का गठन भी कर लिया था। उनका आरोप था कि पर्रिकर व गडकरी उनकी बात को नागपुर में संघ मुख्यालय तक नहीं पहुंचने देते हैं। पर्रिकर ने कहा था कि वे केवल नागपुर के संघ को जानते हैं। वेलिंगकर की बगावत के बाद भी संघ कार्यकर्ताओं के सहयोग से पर्रिकर ने गोवा में भाजपा की ताकत कायम रखी।