9 अगस्त को मुंबई में निकलेगा मराठा मोर्चा, सरकार चाहती है बातचीत

9 अगस्त को मुंबई में निकलेगा मराठा मोर्चा, सरकार चाहती है बातचीत

Bhaskar Hindi
Update: 2017-08-01 18:26 GMT
9 अगस्त को मुंबई में निकलेगा मराठा मोर्चा, सरकार चाहती है बातचीत

डिजिटल डेस्क, मुंबई। राज्य के विभिन्न जिलों के बाद अब राजधानी मुंबई में मराठा मोर्चे की तैयारियां तेज हो गई हैं। इसी बीच सरकार द्वारा कहा गया है कि वह मोर्चे से पहले मराठा समाज के प्रतिनिधियों से चर्चा करना चाहती है। राज्य के राजस्व मंत्री चंद्रकांत पाटील ने मंगलवार को कहा कि अब सरकार ने मराठा समाज की सभी मांगों को पूरी करने की कोशिश की है। जबकि मराठा आरक्षण का मामला अदालत में होने की वजह से इस बारे में सरकार कोई फैसला नहीं ले सकती।

विधानभवन में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि कोपर्डी घटना के बाद मराठा समाज की तरफ से राज्यभर में मोर्चे निकाले गए। सरकार मोर्चा निकालने के खिलाफ नहीं है। लोकतंत्र में मोर्चा निकालना अभिव्यक्ति का साधन है। मराठा समाज की जरूरतों को पूरा करने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं। शिक्षा के लिए आर्थिक रुप से कमजोर वर्ग के लिए मिलने वाली मदद के लिए वार्षिक आय सीमा को 1 लाख से बढ़ा कर 6 लाख करने का फैसला लिया है। सरकार राज्य के सभी जिलों में लड़के व लड़कियों के लिए हॉस्टल बनाने को तैयार है।

उन्होंने कहा कि एट्रासिटी पर फैसला लेने का अधिकार केंद्र सरकार के पास है। पाटील ने कहा कि आगामी 9 अगस्त को मुंबई में निकलने वाले मराठा मोर्चे से पहले सरकार चर्चा को तैयार है। इसके लिए एक समिति बनाई जानी चाहिए। एक सवाल के जवाब में पाटील ने कहा कि सरकार यह कतई नहीं चाहती की यह मोर्चा न निकले, पर मुंबई बेहद व्यस्त शहर है। मोर्चे से महानगर का जन जीवन अस्त-व्यस्त होगा।

मराठा मोर्चे को लेकर तैयारियां तेज

राज्य के विभिन्न इलाकों में निकाले गए मराठा मोर्चे में जुटी भारी भीड़ से उत्साहित मराठा क्रांति मोर्चा अब देश की आर्थिक राजधानी में निकाले जाने वाले मोर्चे को ऐतिहासिक बनाना चाहती है। इसके लिए जोरदार तैयारियां चल रही हैं। मराठा समाज से जुड़े विभिन्न सगठनों की बैठकों का सिलसिला जारी है। इस महामोर्चे में मराठा विद्यार्थियों को शुल्क माफी की मांग के साथ ही उच्च शिक्षा में भी राहत दिए जाने, किसानों की समस्याओं को सुलझाने की भी मांग होने वाली है। महामोर्चे में एट्रासिटी कानून रद्द करने की बजाय इसका दुरुपयोग रोकने की मांग की जाएगी।

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