सात समुंदर पार पहुंचेगा आदिवासी महिलाओं का हुनर, बांस से बनाई राखियां होंगी एक्सपोर्ट

सात समुंदर पार पहुंचेगा आदिवासी महिलाओं का हुनर, बांस से बनाई राखियां होंगी एक्सपोर्ट

Tejinder Singh
Update: 2018-08-21 14:42 GMT
सात समुंदर पार पहुंचेगा आदिवासी महिलाओं का हुनर, बांस से बनाई राखियां होंगी एक्सपोर्ट

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। महाराष्ट्र के आदिवासी बहुल क्षेत्र मेलघाट की आदिवासी महिलाओं का हुनर पहली बार सात समुंदर पार पहुंच रहा है। भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद ने यहां कि आदिवासी महिलाओं की कला तथा प्रतिभा को वैश्विक स्तर पर पहुंचाने के लिए उनके द्वारा बम्बू से बनाई राखियों को विदेश भेजने का निर्णय लिया है। भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के अध्यक्ष डॉ विनय सहस्त्रबुद्दे ने बताया कि भारत के विभिन्न देशों के बीच सांस्कृतिक संबंध और पारस्परिक समझ स्थापित और उन्हे सुदृढ करने के उद्देश से आईसीसीआर के 37 देशों में केन्द्र कार्यरत है। उन्होने  कहा कि बम्बू से बनाई गई राखियों के माध्यम से मेलघाट की आदिवासी महिलाओं का हुनर विदेशी बाजारों में पहुंचेगा।

उन्होंने बताया कि आईसीसीआर के इन केन्द्रों में छात्र-छात्राएं भरतनाट्यम, लावणी, कुचीपुडी आदि नृत्यों के अलावा भारतीय शास्त्रीय संगीत, संस्कृत, हिंदी आदि भाषाओं का अध्यन करते है। इन केन्द्रों में भारतीय त्यौहार भी बडे धूमधाम से मनाए जाते है। भाई-बहन का स्नेह पर्व रक्षाबंधन जिस तरह से भारत में मनाया जाता है, इसकी पहचान वैश्विक स्तर पर भी हो, इस उद्देश से पहली बार आईसीसीआर द्वारा मेलघाट की आदिवासी महिलाओं द्वारा बनाई गई राखियां भेजी जा रहा है। कैरो (इजिप्त), मॉस्को (रशिया), जकार्ता (इंडोनेशिया) समेत कुल 37 देशों में राखियां भेजी जाएगी।

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