मेट्रो कारशेड जमीन विवाद : हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के मालिकाना हक के दावे पर उठाए सवाल

मेट्रो कारशेड जमीन विवाद : हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के मालिकाना हक के दावे पर उठाए सवाल

Anita Peddulwar
Update: 2020-12-11 13:08 GMT
मेट्रो कारशेड जमीन विवाद : हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के मालिकाना हक के दावे पर उठाए सवाल

डिजिटल डेस्क, मुंबई। मेट्रो कारशेड के लिए कांजुर मार्ग की 102 एकड़ जमीन के विषय में राज्य सरकार के मालिकाना हक होने से जुड़ा दावा बांबे हाईकोर्ट में सवालों के घेरे में आ गया है। हाईकोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि इस विषय से जुड़े राजस्व रिकार्ड जमीन को लेकर केंद्र सरकार के मालिकाना हक की तस्दीक करते हैं। क्या महाराष्ट्र सरकार इस मामले से जुड़े अपने दस्तावेजों का खंडन कर सकती है। 
इस तरह से मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता व न्यायमूर्ति गिरीष कुलकर्णी की खंडपीठ ने राज्य सरकार के जमीन के मालिकाना को लेकर राज्य सरकार के दावे पर सवाल उठाए। खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान विशेष रुप से जमीन के मालिकाना हक को लेकर मुंबई महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण(एमएमआरडीए) व नगर विकास विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव की ओर से लिखे गिए पत्रों तथा राजस्व  रिकार्ड का जिक्र किया। हलांकि इस दौरान राज्य के महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोणी ने कहा कि जब यह पत्र लिखे गए थे उस समय जमीन के मालिकाना हक से जुड़ा कोई विषय नहीं था। 

उन्होंने कहा कि कांजुर मार्ग की जमीन का मालिकाना हक 1981 से राज्य सरकार के पास है। यह जमीन कभी किसी विवाद का हिस्सा नहीं रही। राज्य सरकार के पास काफी पहले से यह जमीन है। इस पर खंडपीठ ने इस विषय से संबिधित नगरविकास विभाग के तत्कालीन अतिरिक्त मुख्य सचिव के पत्र का जिक्र किया। और जमीन से जुड़े राजस्व रिकार्ड के आधार पर कई सवाल उठाए। खंडपीठ के सामने केंद्र सरकार की ओर से मेट्रो के कारशेड के लिए कांजुरमार्ग की जमीन स्थनांतरिक किए जाने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई चल रही है। याचिका में केंद्र सरकार ने दावा किया है कि कांजुरमार्ग की खार जमीन पर मालिकाना हक उसका है। राज्य सरकार ने अवैध तरीके से जमीन का स्थनांतरण किया है। इसलिए जमीन स्थनांतरण से जुड़े 1 अक्टूबर 2020 के निर्णय को रद्द कर दिया जाए। केंद्र सरकार की ओर से एडिशनल सालिसिटर जनरल अनिल सिंह ने पक्ष रखा।

उन्होंने दावा किया कि जमीन का स्वामित्व केंद्र सरकार के पास काफी पहले से है। एमएमआरडीए ने एक पत्र में इसे स्वीकार किय है और उसने जमीन लेने के एवज में बजार भाव से रकम देने की भी पेशकस की थी। पहले मेट्रो कारशेड आरे में बनना था बाद में इसे कांजुरमार्ग में बनाना तय किया गया है। इस बीच एमएमआरडीए की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि एमएमआरडीए के लिए मेट्रो कारशेड की जमीन काफी महत्वपूर्ण है। काकशेड बनने के बाद ही मेट्रो की चार लाइन शुरु हो सकेगी। खंडपीठ ने फिलहाल मामले की सुनवाई 14 दिसंबर 2020 तक के लिए स्थगित कर दी है। 
 

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