खनिज निगम अध्यक्ष को रास नहीं आ रहा आयोग अध्यक्ष का रवैया 

बालाघाट खनिज निगम अध्यक्ष को रास नहीं आ रहा आयोग अध्यक्ष का रवैया 

Sanjana Namdev
Update: 2022-11-26 04:29 GMT
खनिज निगम अध्यक्ष को रास नहीं आ रहा आयोग अध्यक्ष का रवैया 

डिजिटल डेस्क ,बालाघाट।  मप्र के खनिज निगम अध्यक्ष और वारासिवनी-खैरलांजी के निर्दलीय विधायक प्रदीप जायसवाल मप्र पिछड़ा वर्ग आयोग अध्यक्ष और बालाघाट विधायक गौरीशंकर बिसेन के रवैये को लेकर खफा होने के साथ ही इन दिनों बेहद ही आक्रोशित हैं। शुक्रवार को खनिज निगम अध्यक्ष प्रदीप जायसवाल ने सर्किट हाउस में पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए श्री बिसेन के रवैये पर आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा कि बिसेन मेरे विस क्षेत्र में हस्तक्षेप कर रहे है और मेरे द्वारा जागपुरघाट के वैनगंगा नदी पर करीब 24 करोड़ से ज्यादा की लागत से स्वीकृत कराए गए उच्चस्तरीय पुल को लेकर झूठा श्रेय रहे हैं, जबकि मैने एक नहीं एक साथ चार पुल स्वीकृत कराए हैं। उन्होने कहा जागपुरघाट पुल के अलावा वारासिवनी के वारा में फ्लाईओवर तथा रामपायली स्थित चंदननदी पर उच्चस्तरीय पुल की स्वीकृति भी उन्होनें ही कराईं हैं। श्री बिसेन अपने क्षेत्र में विकास नहीं कर पा रहे है। बालाघाट में फ्लाईओवर 35 साल पहले बन जाना था, उसे भी मैने स्वीकृत कराया हैं। वर्ष 2018 में यातायात की बैठक में मैने सरेखा रेलवे फाटक और गर्रा रेलवे क्रांसिग में जाम लगने का मुद्दा उठाया था। 

 

बिसेन की सभी घोषणाएं आधी-अधूरी, सरकार रहने के बाद भी कुछ नही किया  
एस्ट्रोटर्फ भी मेरे प्रयासों से स्वीकृत हुआ हैं। विधायक गौरीशंकर बिसेन 12 साल मंत्री रहे हैं और 15 साल से भाजपा की सरकार हैं लेकिन उन्होने अपनी कोई भी घोषणा पूरी नहीं कर सके हैं। बालाघाट में मेडिकल कॉलेज के लिए मैने अपने 15 महीने के खनिज मंत्री के कार्यकाल में जगह आबंटित कर दी थी। कमलनाथ की सरकार में मप्र में 10 में से 8 मेडिकल कॉलेज खुल गए हैं। सिवनी में मेडिकल कॉलेज का निर्माण चल है, लेकिन बालाघाट में न तो मेडिकल कालेज स्वीकृत हो सका हैं और न ही अब तक शक्कर कारखाने की सौंगात मिल सकी हैं। विकास के नाम पर श्री बिसेन जनता को गुमराह कर रहे हैं। श्री जायसवाल ने आरोप लगाया कि  आग लगने के बाद विधायक बिसेन कुंआ खोदने प्रारंभ करते हैं, जिसका उदाहरण सरेखा रेलवे फाटक का फ्लाईओवर हैं। 

 

 प्रोटोकॉल को नहीं मानते आयोग अध्यक्ष, राज्यमंत्री भी नहीं मिलता स्थान 
इधर, दो दिन पहले गुरूवार को सांसद डॉ. ढालसिंह बिसेन ने भी अपनी पीड़ा प्रोटोकॉल को लेकर जाहिर की थी, जिसमें उन्होने विधायक गौरीशंकर बिसेन के इशारे पर ही प्रशासन का प्रोटोकॉल चलने का आरोप लगाया था। अब विधायक प्रदीप जायसवाल ने भी खुलकर कहा कि बालाघाट में प्रशासन के सामने प्रोटोकॉल नाम की कोई चीज बची नहीं हैं। मेरे क्षेत्र में गत दिनों रामपायली के शासकीय कार्यक्रम में सरपंच, नगरपालिका अध्यक्ष एवं विधायक को प्रोटोकॉल के अनुसार शामिल नहीं किया गया। इतना ही नहीं प्रदेश में भाजपा की सरकार हैं और राज्यमंत्री रामकिशोर कावरे को भी श्री बिसेन के हस्तक्षेप के चलते प्रोटोकॉल के अनुसार सम्मान नहीं मिलता हैं।

 

भाऊ पर की गई गंभीर और आपत्तिजनक टिप्पणी
पत्रकार वार्ता में खनिज निगम अध्यक्ष ने अपना आपा खोते हुए भाऊ के संबंध में इशारों में कई तरह के गंभीर एवं आपित्तजनक टिप्पणी भी अनेक उदाहरण देते हुए की गईं। हालाकि एक ओर जहां निर्दलीय एवं खनिज निगम अध्यक्ष क्षेत्र विकास को लेकर सरकार को समर्थन देने की बात कहतें नही थकते है वहीं दूसरी और भाजपा नेता के बारे में खासकर विधायक गौरीशंकर बिसेन को लेकर उनके गंभीर आरोप हैं जिसमें उन्होने कहा कि मैने सरकार को समर्थन दिया है, पार्टी से टिकट नहीं मांगा हैं।

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