मत्स्योद्योग क्षेत्र में महाराष्ट्र के पास अपार संभावनाएं : गडकरी

मत्स्योद्योग क्षेत्र में महाराष्ट्र के पास अपार संभावनाएं : गडकरी

Anita Peddulwar
Update: 2018-11-27 08:58 GMT
मत्स्योद्योग क्षेत्र में महाराष्ट्र के पास अपार संभावनाएं : गडकरी

डिजिटल डेस्क, नागपुर। दुनिया में मांग की तुलना में मछलियों की आपूर्ति बेहद सीमित है। उत्पादन भर से यह कमी पूरी नहीं की जा सकती। महाराष्ट्र के पास मत्स्योद्योग क्षेत्र में आगे जाने के अपार अवसर है, जिसका युवकों को लाभ उठाना चाहिए। वेस्ट कोस्ट एक्वा कल्चर के तकनीकी प्रमुख नितीन निकम ने सोमवार को 10वें एग्रोविजन में "मत्स्यपालन, मार्केटिंग और निर्यात" विषय पर आयोजित कार्यशाला में अपने विचार रखे। इस दौरान मंच पर गोंदिया मत्स्य व्यवसाय संघ संचालक विवेक भुते, मत्स्य व्यवसाय विभाग के सहायक आयुक्त समीर परवेज प्रमुख रूप से उपस्थित थे।

निकम ने आगे कहा कि मछलियों का आहार सर्वोत्तम आहार है। यह प्राकृतिक और सस्ता स्त्रोत है। यह क्षेत्र बड़े पैमाने पर रोजगार निर्मिति के साथ ही विदेशी चलन उपलब्ध कराने का भी जरिया है। पर्याप्त पानी, जमीन और निवेश के साथ जिद, दृढ़ता और परिश्रम की तैयारी रखने वाले युवा यह व्यवसाय शुरू करें तो सफलता प्राप्त कर सकते हैं। तालाब कृषि, बांध, पिंजरा पद्धति, खेत तालाब में मत्स्य करके फायदा प्राप्त किया जा सकता है। झिंगे और मछलियां तैयार करके बिक्री करने के क्षेत्र में भी असीमित अवसर है। लेकिन मत्स्यपालन शुरू करने के पहले मार्केटिंग और ब्रांडिंग पर जोर देने की सलाह भी निकम ने दी है। विवेक भुते ने गोंदिया में एकात्मिक मत्स्य विकास संकल्पना  व समीर परवेज ने मत्स्योद्योग के लिए सरकार द्वारा संचालित विविध योजनाओं की जानकारी दी।

‘ई-नाम’ किसानों के लिए लाभकारी
महाराष्ट्र राज्य कृषि व पणन मंडल के महेंद्र लोखंडे ने सोमवार को 10वें एग्रोविजन में ‘ई-नाम प्रक्रिया, फायदे और विश्वसनीयता’ विषय पर आयोजित कार्यशाला में किसानों को विश्वास दिलाया कि कृषि माल खरीदी बिक्री के लिए राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित की गई। कृषि बाजार यंत्रणा माने ‘ई-नाम’ से खरीददारों में भी स्पर्धा निर्माण होगी। परिणाम स्वरूप अन्नदाताओं को अधिक से अधिक मुआवजा मिलेगा। यह यंत्रणा किसानों के लिए लाभदायक है और उनके उज्ज्वल भविष्य के अवसर है। इस दौरान एमसीएक्स की दक्षा जानी प्रमुख रूप से उपस्थित थी। श्री लोखंडे ने ई-नाम प्रक्रिया से जुड़े विविध पहलुओं पर प्रकाश डाला।

नवंबर 2016 से महाराष्ट्र में इस उपक्रम को लागू किया गया, जिसके बाद राज्य की 60 बाजार समितियों को इससे जोड़ा गया है। किसानों के बाजार समिति तक माला लाने से लेकर माल के गुणवत्ता प्रमाणपत्र समेत वजन और जानकारी सचित्र पोर्टल पर उपलब्ध करवाकर नीलामी प्रक्रिया आयोजित की जाती है। स्थानीय व्यापारियों से लेकर तो दूसरे राज्य के व्यापारी भी इस नीलामी में हिस्सा लेते हैं। उन्होंने दावा किया कि इसका मुआवजा सीधे किसान के खाते में जमा होता है। इससे किसानों से धोखाधड़ी की सारी संभावनाएं समाप्त हो गई हैं।

एग्रोविजन प्रदर्शनी का समापन 
मध्य भारत की सबसे बड़ी एग्रोविजन राष्ट्रीय प्रदर्शन का सोमवार को केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी की उपस्थिति में समापन हुआ। समापन कार्यक्रम में महापौर नंदा जिचकार, जिप अध्यक्ष निशा सावरकर, एग्रोविजन के समन्वयक पूर्व मंत्री दत्ता मेघे, सलाहकार समिति के अध्यक्ष डॉ. सी.डी. मायी, एग्रोविजन संगठन सचिव रवि बोरटकर और रमेश मानकर उपस्थित थे। रेशमबाग मैदान पर चार दिन चली प्रदर्शनी में लाखों किसानों ने भेंट दी। आर्थिक व्यवहार की जानकारी, तकनीक और कृषि विपणन क्षेत्र से संबंधित जानकारियों का लेन-देन बड़े पैमाने पर किया।

400 स्टाल्स धारकों ने लिया लाभ
प्रदर्शनी में 7 बड़े डोम में छोटे-बड़े 400 स्टॉल्स धारकों ने एग्रोविजन का लाभ लिया। प्रदर्शनी में कपास, फूल खेती, चंदनखेती, मत्स्यपालन, रेशम खेती, जलयुक्त शिवार, संतरा प्रक्रिया, रसायनों का उपयोग, वित्त सहायता, डिजिटल पेमेंट सहित लगभग 28 विविध विषयों पर कार्यशाला ली गई। नागपुर के अलावा विदर्भ, महाराष्ट्र, पंजाब, कर्नाटक, हरियाणा, मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश के किसानों ने बड़े पैमाने पर उपस्थिति दर्ज कराई। कार्यशाला में 60 से अधिक वक्ताओं ने हिस्सा लिया। कार्यशाला में खेती विषय से संबंधित जिन विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया, उनकी सूचनाएं संंबधित मंत्रालय को भेजी जाएंगी। एग्रोविजन के संगठन सचिव रमेश मानकर ने सबका आभार माना। 
 

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