जावडेकर का राहुल गांधी पर हमला, कहा - संवैधानिक संस्थाओं का आदर करना सीखें

जावडेकर का राहुल गांधी पर हमला, कहा - संवैधानिक संस्थाओं का आदर करना सीखें

Bhaskar Hindi
Update: 2020-12-17 10:13 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भाजपा के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर ने कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को संवैधानिक संस्थाओं का आदर करने की नसीहत दी है। उन्होंने कहा है कि अगर वो संवैधानिक संस्थाओं का आदर करना नहीं सीखे तो फिर लोकतंत्र में उनकी भूमिका और नगण्य होती जाएगी। देश के सूचना एवं प्रसारण मंत्री ने राहुल गांधी के रक्षा मामलों की स्थाई समिति की बैठक का बहिष्कार करने पर करारा हमला बोला है।

केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर ने गुरुवार को मीडिया से कहा, राहुल गांधी पार्लियामेंट्री कमेटी ऑन डिफेंस की बैठक से बाहर चले गए। डेढ़ साल में कुल 14 मीटिंग हुई। जिसमें से सिर्फ दो बैठकों में वे उपस्थित रहे। अन्य 12 बैठकों में वह अनुपस्थित रहे। यहां तक कि वह एजेंडा सेंटिंग बैठक में भी उपस्थित नहीं थे। खुद अनुपस्थित रहेंगे और फिर दोष व्यवस्था और भाजपा को देंगे।

प्रकाश जावडेकर ने कहा कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और सांसद राहुल गांधी ने बुधवार को रक्षा विषय स्थाई समिति की बैठक से वॉकआउट करने के बाद तर्क दिया कि महत्वपूर्ण विषयों के बदले छोटे-छोटे विषय क्यों लिए जा रहे हैं? शायद उन्हें पता नहीं एजेंडा तय करने की भी बैठक होती है, जिसमें तय होता है कि वर्ष में क्या-क्या विषय लेने हैं? उस बैठक में भी वह गायब थे। उनके साथियों ने भी वह विषय नहीं बताए, जिस पर वह चर्चा चाहते थे।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि संसद की स्थाई समिति प्रोटेस्ट और भाषण देने का स्थान नहीं है। राहुल गांधी के मन में संवैधानिक संस्थाओं के प्रति कितना आदर है, यह तब भी दिखा था, जब सत्ता में रहते मनमोहन सरकार के प्रस्ताव को उन्होंने मीडिया के सामने फाड़कर कचरे में डाल दिया था। संविधान संस्थाओं के प्रति उनकी यह आस्था कल भी दिखी। डिफेंस कमेटी से बाहर आकर उन्होंने कारण भी बताए। जबकि स्थाई समिति की बैठक की रिपोटिर्ंग नहीं होती है। सदस्यों को इसकी प्रतिक्रिया नहीं देनी चाहिए।

केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर ने कहा, कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने संविधान संस्थाओं का अपमान किया है। हम उनके रवैये की भर्त्सना करते हैं। संविधानिक संस्थाओं का उन्हें आदर करना सीखना चाहिए। नहीं तो लोकतंत्र में उनकी भूमिका और नगण्य होती जाएगी।

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