मध्य प्रदेश: अगले महीने बिना बजट के 800 नए प्ले स्कूल शुरू करेगी सरकार

मध्य प्रदेश: अगले महीने बिना बजट के 800 नए प्ले स्कूल शुरू करेगी सरकार

Bhaskar Hindi
Update: 2020-01-30 08:33 GMT
मध्य प्रदेश: अगले महीने बिना बजट के 800 नए प्ले स्कूल शुरू करेगी सरकार

डिजिटल डेस्क,भोपाल। मध्य प्रदेश सरकार का महिला एवं बाल विकास मंत्रालय अगले महीने 800 बाल शिक्षा केंद्र यानी प्ले स्कूल शुरू करेगा। ये प्ले स्कूल ठीक निजी स्कूलों की तरह होंगे। जिनमें 3 से 6 साल की उम्र के बच्चे नर्सरी स्कूलों की तरह खेलेंगे और सीखेंगे। दिलचस्प बात यह है कि यह पूरा काम बिना अतिरिक्त बजट के किया जाएगा। अभी 313 ऐसे बाल शिक्षा केंद्र चल रहे हैं, जिनमें करीब 12000 बच्चे खेल-कूद के साथ पढ़ाई-सिखाई भी कर रहे हैं। इसके लिए बकायदा सिलेबस तैयार किया जा रहा है।

6 महीने में खोले गए 313 केन्द्र
महिला और बाल विकास मंत्री इमरती देवी का कहना है कि पिछले छह महीने में करीब 313 केंद्र खोले गए। इनमें जनसहयोग से संसाधन जुटाए गए। आंगनवाड़ी के किसी बजट को न प्रभावित होने दिया गया और न ही अतिरिक्त बजट का कोई प्रावधान करना पड़ा। किसी ने टेबल दान की, किसी ने पंखा दे दिया, किसी ने कूलर दे दिया, दीवालों पर पेंटिंग कर दी गई। भवन पहले से ही आंगनवाड़ी का था। बस आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण देना पड़ा। अब अगले महीने जब 800 नए बाल शिक्षा केंद्र शुरु करेंगे तो उसके लिए पहले से ही आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

बाल शिक्षा केन्द्र में अपग्रेड सुविधाएं होंगी
विभाग की कोशिश यह है कि ये केंद्र निजी स्कूलों की नर्सरियों अथवा प्ले स्कूलों से किसी भी सूरत में कम न हों। इमरती देवी का कहना है कि सुविधाओं को अपग्रेड किया जा रहा है। फर्शियों पर गिनती से लेकर सांप सीढ़ी तक खेल सकते हैं। खेल-खेल में सीखने का पूरा ध्यान रखा जा रहा है। इमरती देवी का कहना है कि वह खुद समाज के अंतिम पायदान से उठकर आई हैं और उन्हें इस बात का ख्याल है कि गरीबों और वंचितों के बच्चों को जब पर्याप्त सुविधाएं मिलती हैं तो वे बहुत अच्छे नतीजे लाते हैं। अभी आंगनवाड़ियों से निकलकर जो बच्चे राइट टू एजुकेशन में निजी स्कूलों में जा रहे हैं, उनके बहुत अच्छे नतीजे आ रहे हैं।

स्कूली शिक्षा विभाग की चिंता यह रही है कि सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या घट रही है। इमरती देवी का ख्याल है कि बाल शिक्षा केंद्र बड़ी भूमिका अदा कर सकते हैं। केंद्रों से निकले बच्चों को स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट जैसा ही प्रमाण पत्र भी दिया जाएगा। और यहां से बच्चों को सरकारी स्कूलों की तरफ ले जाया जा सकता है।

इमरती देवी का कहना है कि आंगनवाड़ी की जो दूसरी भूमिकाएं हैं, जिनमें टीकाकरण, ग्रोथ मॉनिटरिंग, कुपोषण और माताओं को पोषण व शिक्षा जैसे व्यापक कार्यक्रम शामिल हैं, वे पहले की तरह ही जारी रहेंगे। इमरती देवी का कहना है कि उनका एक अहम लक्ष्य यह भी है कि आदिवासी बच्चों को अंडे उपलब्ध कराएं ताकि उनके पोषण का ख्याल रखा जा सके। जो बच्चे अंडे नहीं खाना चाहते उन्हें फल दिए जाएंगे।

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