कुप्रथा : पीरियड्स के दौरान महिलाओं को इस कुरमा घर में रखते हैं

कुप्रथा : पीरियड्स के दौरान महिलाओं को इस कुरमा घर में रखते हैं

Bhaskar Hindi
Update: 2018-06-11 18:58 GMT
कुप्रथा : पीरियड्स के दौरान महिलाओं को इस कुरमा घर में रखते हैं

डिजिटल डेस्क, एटापल्ली (गडचिरोली)। आज महिलाएं हर क्षेत्र में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर कदमताल कर रही हैं, लेकिन गड़चिरोली के अतिदुर्गम क्षेत्रों में आज भी महिलाओं को यातनाएं झेलनी पड़ रही हैं। यहां महिलाओं को पीरियड्स के दौरान ऐसी यातना झेलनी पड़ती है, जिसे सुनकर कोई भी अवाक रह सकता है। अतिदुर्गम क्षेत्रों में महिलाओँ को पीरियड्स के दौरान अलग कमरे में रखा जाता है जिसे कुरमा घर कहा जाता है। गांव के बाहर मिट्टी से बने कुरमा घर में कोई सुविधा नहीं रहती है। सांप-बिच्छू अक्सर आसपास घूमते रहते हैं। आज भी इन सारे खतरों को झेलते हुए यहां की महिलाएं महीने के पांच दिन व्यतीत करने के लिए मजबूर हैं।

 

 

महिलाएं होती हैं सर्पदंश का शिकार
बता दें कि पिछले साल ही पीरियड्स के दौरान कुरमा घर में रहने के दौरान करीब 5 से 6 महिलाओं की सांप के काटने से मौत हो गई थी। वहीं अधिक रक्तस्त्राव के कारण महिलाओं की तबीयत और अधिक बिगड़ने के मामले भी उजागर हुए थे। आदिवासियों की चली आ रही कुरीति, कुप्रथा इस आधुनिक दौर में भी बदस्तूर चली आ रही है, जिसमें महिलाओं को घर में रहना वर्जित किया गया है।

पीरियड्स के दौरान महिलाएं अपने घर में भोजन नहीं पका सकती। इतनी ही नहीं वह अपना घर छोड़कर गांव से बाहर बने एक झोपड़ीनुमा कुरमा घर में चली जाती हैं। इसी घर में रहकर महिलाएं और युवतियां पीरियड्स के दौरान अपने पांच दिन बिताती हैं। गांव के गोटुल भवन सीमेंट कांक्रीट से बने होते हैं, मात्र इसी के मुकाबले कुरमा घर लकड़ी और फाटे से तैयार किया जाता है।

बारिश के दौरान इन घरों में सीधे पानी घुस जाता है। कीचड़युक्त कुरमा घरों में सांप-बिच्छू का खतरा भी मंडराता है। सरकार द्वारा आदिवासियों को विकास की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए कई प्रकार की योजनाएं चलायी जा रही हैं। कुरमा घरों से महिलाओं को आजादी दिलाने के लिए योजना चलाकर इन घरों का विकास करने की मांग एटापल्ली तहसील की महिलाओं और युवतियों द्वारा की जा रही है।

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