जूनियर को प्रभारी बनाकर किया लाखों का गोलमाल , कमिश्नर ने ईई से मांगा जवाब

जूनियर को प्रभारी बनाकर किया लाखों का गोलमाल , कमिश्नर ने ईई से मांगा जवाब

Bhaskar Hindi
Update: 2019-02-21 07:33 GMT
जूनियर को प्रभारी बनाकर किया लाखों का गोलमाल , कमिश्नर ने ईई से मांगा जवाब

डिजिटल डेस्क,शहडोल। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग में अधिकारियों की मनमानी चल रही है। विभाग के कार्यपालन यंत्री ने यहां के एक उपयंत्री का स्थानांतरण होने के बाद भी उन्हेें रिलीव नहीं किया। इतना ही नहीं उन्हें नल-जल योजनाओं का प्रभारी बना दिया। वहीं बुढ़ार उपखंड में सीनियर अधिकारी होने के बाद भी जूनियर को प्रभारी सहायक यंत्री बना दिया। मामले में कमिश्नर जेके जैन ने कार्यपालन यंत्री राजेश जोशी ने जवाब तलब किया। दरअसल, अधीक्षण यंत्री लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंडल शहडोल ने पिछले माह ईई जोशी के  विरुद्ध प्राप्त शिकायत की जांच कर प्रतिवेदन कमिश्नर कार्यालय को भेजा था। इसमें कई तरह की वित्तीय अनियमितताएं और गड़बड़ी की बात कही गई है। साथ ही बताया गया है कि शिकायत के संबंध में जब ईई से जानकारी मांगी जाती है तो वे उपलब्ध नहीं कराते हैं।
सीनियर को किया नजरंदाज
शहडोल में पदस्थ उपयंत्री केएस गर्ग का स्थानांतरण कटनी हो गया था। इसके बाद भी ईई जोशी द्वारा उन्हें कार्यमुक्त नहीं करते हुए नल जल योजनाओं का प्रभारी बना दिया गया। इसी तरह लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी उपखण्ड बुढ़ार में उप यंत्री अजय श्रीवास्तव को प्रभारी सहायक यंत्री बना दिया गया, जबकि विभाग में श्रीवास्तव से वरिष्ठ उपयंत्री पदस्थ हैं।
लेखा परीक्षण में मिली 16 लाख की अनियमितता
कार्यपालन यंत्री कार्यालय का आंतरिक लेखा परीक्षण दिनांक 26 दिसंबर 2018 हो हुआ था। इसमें पाया गया कि ईई ने वर्ष 2016-17 एवं 2017-18 में लघु सुधार के रूप में कोटेशन के माध्यम से कार्य कराकर लगभग 16 लाख का भुगतान किया। यह भुगतान बिना निविदा प्रकाशन के कराया गया, जो वित्तीय नियमों के विपरीत है। साथ ही यह प्रदर्शित करता हैं कि ईई अपने कार्यों के प्रति गंभीर नहीं हैं। जांच प्रतिवेदन में इस बात का भी उल्लेख किया गया है कि इतनी बड़ी राशि से कार्य कराए जाने के बाद भी जिले में संचालित अधिकांश नल जल योजनाएं एवं हैंडपंप निरीक्षण के दौरान बंद पाए गए।
10 दिन में देना है जवाब
कमिश्नर की ओर से भेजे गए नोटिस में कहा गया है कि अधीनस्थ अधिकारियों द्वारा प्रेषित जानकारी को सही मानकर बिना परीक्षण किए भुगतान आदि की कार्रवाई ईई ने की है, जो वित्तीय अनियमितता के साथ-साथ स्वेच्छाचारिता का परिचायक है। यह कृत्य कर्तव्यों के प्रति लापरवाही एवं उदासीनता को प्रदर्शित करता है। 15 फरवरी को जारी नोटिस में 10 दिन के भीतर जवाब चाहा गया है। ऐसा नहीं होने पर ईई के विरुद्ध मप्र सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण तथा अपील) नियम 1966 के अंतर्गत अनुशासनात्मक की जाएगी।

 

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