कोरोना पर लगाम कसने 3600 कैमरों से मरीजों की निगरानी

कोरोना पर लगाम कसने 3600 कैमरों से मरीजों की निगरानी

Anita Peddulwar
Update: 2021-03-30 04:29 GMT
कोरोना पर लगाम कसने 3600 कैमरों से मरीजों की निगरानी

 डिजिटल डेस्क,नागपुर।  पॉजिटिव होने के बावजूद घर से बाहर घूमने वालों पर शिकंजा कसने में मनपा असफल रही है। संक्रमण बढ़ने का यह भी एक बड़ा कारण है। टीमें गठित हुईं, पर खानापूर्ति बनकर रह गई। इतने बड़ी संख्या में रोज मरीज सामने आ रहे हैं कि इनपर नजर रखना आसान नहीं है। इस समस्या से निपटने के लिए अब नई तकनीक का सहारा लिया जाएगा। ऐसे मरीजों पर शहर में लगे 3600 सीसीटीवी से नजर रखी जाएगी। इन कैमरों को फेशियल रिकग्निशन सिस्टम से जोड़ा जाएगा। इसकी मदद से बाहर घूमने वाले मरीजों की पहचान आसान होगी और इसकी रिपोर्ट मनपा के संबंधित विभाग तक पहुंचेगी। इसके बाद संबंधित मरीज के खिलाफ कार्रवाई करने में भी आसानी होगी। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत इस तकनीक का ट्रायल हनुमान नगर और लक्ष्मी नगर जोन में चल रहा है। रविवार को मनपा आयुक्त राधाकृष्णा बी. के सामने स्मार्ट सि टी परियोजना के अधिकारियों ने इस तकनीक का डेमो भी दिया। दावा किया जा रहा है कि इस तरह की पहल देश में पहली बार हो रही है। 

सैंपल लेते समय मास्क और बिना मास्क के लेंगे फोटो
हनुमान नगर जोन आैर लक्ष्मी नगर जोन में फेशियल रिकग्निशन सिस्टम का ट्रायल चल रहा है। इन क्षेत्रों के जांच केंद्रों पर आने वाले लोगों की मास्क और बिना मास्क के फोटो ली जाती है। जिनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई है, उनकी तस्वीर फेशियल रिकग्निशन सिस्टम में डाली गई है। इस तरह का अब चेहरा कैमरे की जद में आएगा तो ऑटोमेटिक रिपोर्ट मनपा को चली जाएगी। 

खास तकनीक का कहां कहां होता है प्रयोग  
-हवाई अड्डों पर आने-जाने वालों की निगरानी के लिए।
-कई मोबाइल कंपनियां फोन लॉक-अनलॉक करने के लिए करती हैं।
-फेसबुक, विदेश में जुआ अड्डों, रेलवे स्टेशन, देश की सीमा पर।

31 मार्च तक हो जाएगा निर्णय
मनपा कमिश्नर को डेमो दिया गया है। 31 मार्च तक यह पूरी तरह फाइनल हो जाएगा। 2 अप्रैल तक हम इसका उपयोग शुरू कर सकते हैं। शुरुआत में हम रेंडमली जगह चुनेंगे।  -शील घुले, जनरल मैनेजर, स्मार्ट एंड सस्टेनेबल सिटी डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड

क्या है यह तकनीक : चेहरे की पहचान बायोमेट्रिक सॉफ्टवेयर की एक श्रेणी है, जो किसी व्यक्ति के चेहरे की विशेषताओं को गणितीय रूप से मैप करती है। साथ ही डेटा को फेस प्रिंट के रूप में इकट्ठा करती है। सॉफ्टवेयर किसी व्यक्ति की पहचान को सत्यापित करने के लिए एक लाइव कैप्चर या डिजिटल इमेज को संग्रहीत फेसप्रिंट की तुलना करने के लिए डीप लर्निंग एल्गोरिदम का उपयोग करता है। कैमरा किसी व्यक्ति के चेहरे की छवि को कैप्चर करता है और विशिष्ठ चेहरे के स्थलों की जांच करता है। जैसे कि आंखों के बीच की दूरी, नाक की चौड़ाई और गाल की आकृति। मान्यता प्रणाली तब इन निष्कर्षों की तुलना अपने डेटाबेस में करती है। डेटाबेस में जितनी अधिक छवि होगी, उतनी ही अधिक प्रणाली चेहरे की पहचान करने मे सक्षम होगी।
 

Tags:    

Similar News