महाराष्ट्र में MP से अधिक होती है मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं
महाराष्ट्र में MP से अधिक होती है मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं
कुंदन साहू , नागपुर। महाराष्ट्र मेें मध्यप्रदेश में मुकाबले कम वन्यजीव हैं बावजूद इसके यहां मानव-वन्यजीव संघर्ष की कई घटनाएं सामने आई है। पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश में वन्यजीव अधिक होने के बाद भी यह आंकड़ा अपेक्षाकृत कम है। इसका मुख्य कारण जंगल-विस्तार है और इसकी पुष्टि भारतीय वन सर्वेक्षण की इस वर्ष जारी रिपोर्ट से भी हो रही है। महाराष्ट्र में राज्य की कुल भौगोलिक क्षेत्र के मुकाबले वन परिक्षेत्र 16.4 प्रतिशत है और कुल वन-परिक्षेत्र के मात्र 17.23 प्रतिशत में ही घना जंगल है। शेष वनक्षेत्र या तो मध्यम घना हैं अथवा छोटे-मोटे। रिपोर्ट के मुताबिक छोटे-मोटे वन परिक्षेत्र ही ज्यादा हैं और ऐसे वन प्राय: जंगली जानवरों, विशेष तौर से वन्यजीवों के अधिवास के लिए उपयुक्त नहीं बन पाते। बनते भी हैं तो उनका भविष्य मानव-वन्यजीव संघर्ष की बलि चढ़ जाता है। इसके अलावा एक अन्य अहम कारण यह है कि वन क्षेत्रों में बड़े जलस्रोतों की संख्या एक दशक में बहुत बढ़ी है। इस कारण सकल वन क्षेत्र का दायरा संकुचित हुआ है। या फिर कहें मध्यम घने जंगल छोटे-मोटे जंगलों (खुले जंगलों) में तब्दील हुए हैं।
मध्य प्रदेश की तुलना में हमारा प्रदेश
बाघ जैसे विलुप्तप्राय वन्यजीव के अधिवास के लिए 1000 से 5000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र के वनखंड (फॉरेस्ट पैच) उपयुक्त माने जाते हैं। महाराष्ट्र में ऐसा वनखंड केवल 1 है, जबकि मध्य प्रदेश के पास यह 58 है।
मध्य प्रदेश में 5 हजार से 10 हजार वर्ग किलोमीटर के दायरे वाले 5 वनखंड हैं, पर महाराष्ट्र में एक भी नहीं। जाहिर है यह रिपोर्ट महाराष्ट्र राज्य को पर्यावरण संतुलन की नीतियों, विशेष तौर से वन संरक्षण और संवर्धन को नए सिरे से सोचने के लिए मजबूर कर रही है।
प्रदेश में वन परिक्षेत्र
महाराष्ट्र में राज्य की कुल भौगोलिक क्षेत्र के मुकाबले वन परिक्षेत्र 16.4 प्रतिशत है जो 50 हजार 682 वर्ग किलोमीटर है और कुल वन परिक्षेत्र के मुकाबले मात्र 17.23 प्रतिशत इलाका ही घने वन का है।
8736 वर्ग किलोमीटर - घना
20652 वर्ग किलोमीटर - मध्यम घना
21,294 वर्ग किलोमीटर - खुला वन का है
इन महत्वपूर्ण सिद्धान्तों को भी ठेंगा
वनों की उत्पादकता में वृद्धि। {वन प्रबन्ध में जन सहभागिता।
जल, मृदा व जैवविविधता संरक्षण। {विद्यमान वन भूमि तथा वनों की पूर्ण सुरक्षा। {वनों एवं ग्रामों के मध्य ग्रीन काॅरिडोर का सृजन।
विद्यमान बंजर, ऊसर क्षेत्र में वनाच्छादन। {घास के मैदान, वाॅटर बाडी, पौधारोपण आदि का प्रबन्ध।
वन क्षेत्रफल के हिसाब से भी पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश आगे
मध्य प्रदेश का भौगोलिक क्षेत्र 3 लाख 8 हजार 252 है। इसके अनुपात में कुल वन क्षेत्र 77 हजार 414 अर्थात 25.11 प्रतिशत है। वहीं वन घनत्व के अनुपात में घना वन 6563 वर्ग किलोमीटर है और मध्यम घने वन का क्षेत्र 34571 वर्ग किलोमीटर का है, जबकि खुले वन का इलाका 36280 वर्ग किलोमीटर है। यहां रिकॉर्डेड वन क्षेत्र राज्य के सकल भौगोलिक क्षेत्र के मुकाबले 30.72 प्रतिशत है।
2319 जलस्रोत मध्यप्रदेश में
मध्य प्रदेश में भी वर्ष 2005 से 2015 के दशक के दरम्यान 389 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र का जलस्रोत क्षेत्र बढ़ा है। 2005 में जहां मध्य प्रदेश के वन क्षेत्रों में 1930 जलस्रोत हुआ करते थे, वह बढ़कर 2319 पर पहुंच गए। यह राज्य के सकल वन क्षेत्र के मुकाबले 2.48 प्रतिशत से बढ़कर 2.99 प्रतिशत तक जा पहुंचा है। फिर भी महाराष्ट्र के मुकाबले कम ही है।
1548 जलस्रोत महाराष्ट्र में
वन क्षेत्रों में एक दशक के दौरान जल स्रोतों में बहुत बदलाव आया है। वर्ष 2005 से 2015 के दरम्यान लगभग 432 वर्ग किलोमीटर का विस्तार देखा गया है। 2005 में जहां जंगल में 1116 जल स्रोत चिन्हित थे, वह 1548 पर पहुंच गए हैं। जानकारों का मानना है कि यह छोटे-मोटे जलस्रोत नहीं, बल्कि डैम, नहर, बांध आदि हैं। कुल वन क्षेत्र के मुकाबले जलस्रोतों का क्षेत्र 2.20 प्रतिशत से बढ़कर 3.05 प्रतिशत पर पहुंच गया है।