मध्य प्रदेश: 4.25 लाख घरों में बिजली नहीं, आदिवासियों के लिए बन रही 54 करोड़ की वेबसाइट

मध्य प्रदेश: 4.25 लाख घरों में बिजली नहीं, आदिवासियों के लिए बन रही 54 करोड़ की वेबसाइट

Bhaskar Hindi
Update: 2018-08-25 04:49 GMT
मध्य प्रदेश: 4.25 लाख घरों में बिजली नहीं, आदिवासियों के लिए बन रही 54 करोड़ की वेबसाइट
हाईलाइट
  • शाम होते ही इन घरों में अंधेरा छा जाता है
  • उजाले के नाम पर इनके पास मोमबत्ती या लालटेन जलाने के अलावा और कोई दूसरा विकल्प नौजूद नहीं है।
  • इसके बाद भी सरकार वेबसाइट बनाने के लिए 54 करोड़ रुपए खर्च कर रही है।
  • मध्यप्रदेश में आज भी ऐसे लोगों का बड़ा तबका है
  • जो बिना बिजली के ही अपना जीवन गुजार रहे हैं।

सौरभ सोनी, भोपाल। क्या आप कल्पना कर सकते हैं किसी सरकारी महकमे की योजनाओं की जानकारी के लिए वेबसाइट बनाने पर 54 करोड़ रुपए खर्च किए जा सकते हैं। 54 करोड़ रुपए में वेबसाइट बनाने की बात किसी को भी शायद ही हजम हो, लेकिन मध्य प्रदेश में तो कुछ ऐसा ही हो रहा है। सूबे का जनजातीय कार्य विभाग आदिवासियों को योजनाओं की जानकारी देने के लिए 54 करोड़ रुपए की वेबसाइट बना रहा है। एक तरफ आदिवासी बाहुल्य इलाके बुनियादी सुविधाओं से जूझ रहे हैं, बिजली-पानी के संकट से त्रस्त हैं वहीं करोड़ों की ये वेबसाइट सवालों के घेरे में आ गई है। इस वेबसाइट को मध्यप्रदेश एजेंसी फॉर प्रमोशनल ऑफ इनफॉर्मेशन टेक्नालॉजी (मेपआईटी) की मदद से तैयार किया जा रहा है, जिसमें निजी एजेंसियां भी मदद कर रही हैं। 

 

मध्यप्रदेश में आज भी ऐसे लोगों का बड़ा तबका है, जो बिना बिजली के ही अपना जीवन गुजार रहा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक मप्र के 4.25 लाख घरों में अब तक बिजली नहीं पहुंच पाई है। जिन घरों तक बिजली नहीं पहुंच पाई है, उन का सर्वे करने का काम केंद्र सरकार ने डाक विभाग को दिया था। विभाग ने 6 नवंबर 2017 से 31 दिसंबर 2017 तक मप्र के 51 जिलों में सर्वे किया। 

वैसे तो सरकार ऐसे इलाकों में बिजली पहुंचाने के लिए कई योजनाएं चला रही है, लेकिन कागजों तक सीमित ऐसी योजनाओं से काफी लोग अब भी महरूम हैं। इनमें अधिकतर ऐसे इलाके शामिल हैं, जिनमें आदिवासियों की बहुलता है। मध्यप्रदेश के आदिवासियों को योजनाओं की जानकारी देने जनजातीय कार्य विभाग 54 करोड़ की लागत से एक वेबसाइट बना रहा है। इस वेबसाइट पर अब तक 36 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं।

 

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