MP में 6 IAS का ट्रांसफर, अशोक वर्णवाल बने सीएम कार्यालय के प्रमुख सचिव

MP में 6 IAS का ट्रांसफर, अशोक वर्णवाल बने सीएम कार्यालय के प्रमुख सचिव

Bhaskar Hindi
Update: 2018-12-19 16:11 GMT
MP में 6 IAS का ट्रांसफर, अशोक वर्णवाल बने सीएम कार्यालय के प्रमुख सचिव

डिजिटल डेस्क, भोपाल। मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आने के बाद से प्रशासनिक सर्जरी चल रही है। बुधवार को भी कमलनाथ सरकार ने भारतीय प्रशासनिक सेवा के 6 अधिकारियों की नवीन पदस्थापना के आदेश जारी किये हैं। सीएम कमलनाथ ने प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारियों को बदल दिया है।

इस फेरबदल में अशोक वर्णवाल को मुख्यमंत्री कार्यालय में प्रमुख सचिव बनाया गया है। वर्णवाल लोक सेवा प्रबंधन के प्रमुख सचिव भी होंगे। उनके अलावा प्रमोद अग्रवाल को नगरीय विकास एवं आवास विभाग का प्रमुख सचिव, विवेक अग्रवाल को लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग का प्रमुख सचिव, हरिरंजन राव को पर्यटन विभाग का प्रमुख सचिव, रेनू तिवारी को संस्कृति विभाग का सचिव और पी नरहरि को जनसंपर्क विभाग का सचिव बनाया गया है। उधर, बरकतउल्ला यूनिवर्सिटी के कुलसचिव यूएन शुक्ल हटा दिया गया है। अब वह रायसेन में प्रोफेसर होंगे। ग्वालियर के जीवाजी यूनिवर्सिटी में रजिस्ट्रार रहे आंनद मिश्रा का भी तबादला किया गया है।

इससे पहले, राज्य सरकार ने छिंदवाड़ा एसपी अतुल सिंह को हटाकर मनोज राय को छिंदवाड़ा एसपी बनाए जाने का आदेश जारी किया था। रीवा कमिश्नर महेश चौधरी को भी हटाया गया था। उन्हें मंत्रालय में ओएसडी का प्रभार दिया गया है। वहीं शहडोल कमिश्नर जेके जैन को अतिरिक्त प्रभार दिया गया था। कमलनाथ ने सीएम बनने के बाद तीन बड़े पदों पर नई नियुक्ति भी की थी। उन्‍होंने राजेन्द्र तिवारी को एमपी का महाधिवक्ता और अजय गुप्ता को अतिरिक्त महाधिवक्ता बनाया था। इसके अलावा शशांक शेखर भी अतिरक्त महाधिवक्ता बनाए गए हैं। 

बता दें कि विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान सागर जिले में एक रैली को संबोधित करते हुए कमलनाथ ने अफसरों को चेतावनी देते हुए कहा था कि, "जो भी सरकारी कर्मचारी सही काम नहीं करता और बीजेपी का बिल्ला जेब में लेकर घूमता है। 11 दिसंबर के बाद उन सबकी गिनती की जाएगी, इसलिए याद रखें कमलनाथ की चक्की देर से चलती है पर बहुत बारीक पीसती है।" शपथ ग्रहण करने के बाद भी कमलनाथ ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए अफसरों को चेताया था।

कमलनाथ को यह तमाम फैसले 29 दिसंबर तक ही लेने होंगे। क्योंकि इसके तुरंत बाद मतदाता पुनरीक्षण का काम शुरू हो रहा है और उसके बाद आला अफसरों को चुनाव आयोग की मंजूरी के बिना नहीं हटाया जा सकेगा।

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