शहडोल की प्यास बुझाएगी मुड़ना नदी, 19 करोड़ की लागत से तैयार होगा जलाशय
शहडोल की प्यास बुझाएगी मुड़ना नदी, 19 करोड़ की लागत से तैयार होगा जलाशय
डिजिटल डेस्क, शहडोल। नगर की पेयजल आपूर्ति के लिए मुड़ना नदी बड़ा विकल्प बनने जा रही है। नदी में जलाशय निर्माण को प्रशासकीय स्वीकृति मिल चुकी है। अगले दो माह में टेंडर आदि की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी और आने वाले दो वर्षों में यह बनकर तैयार हो जाएगा। 19 करोड़ की लागत से तैयार होने वाले मुड़ना जलाशय से न सिर्फ शहर की प्यास बुझेगी, बल्कि आसपास के गांवों को सिंचाई के लिए भी पानी मिल सकेगा। फिलहाल नगर के 38 वार्डों में सरफा प्लांट से पानी की सप्लाई की जाती है। जबकि वार्ड 39 में सबमर्शिबल पंप से पानी की आपूर्ति की जाती है। सरफा में कोयला खदानों का पानी आता है, जिसे प्लांट में साफ करके शहर में लाया जाता है।
गर्मी के दिनों में यहां भी पानी की दिक्कत होती है। इसे देखते हुए पिछले कुछ वर्षों से मिठौरी जलाशय के पानी को शहर के आरक्षित करा दिया जाता है। पिछले साल भी गर्मी के दिनों में मिठौरी जलाशय का पानी आरक्षित किया गया था और इस साल भी। हालांकि इसके पानी की जरूरत नहीं पड़ी, लेकिन पारी रिजर्व होने से इसका कोई और इस्तेमाल नहीं किया गया। काफी समय से सरफा के साथ-साथ शहर में पेयजल आपूर्ति के लिए एक विकल्प बनाने की कवायद की जा रही थी। शहर में पेयजल उपभोक्ताओं की संख्या 6000 से अधिक है।
नवंबर तक शुरू होगा काम
अधिकारियों के मुताबिक परियोजना को प्रशासकीय स्वीकृति मिल चुकी है। टेंडर की प्रक्रिया में करीब एक माह का समय लगेगा। इसके बाद अन्य औपचारिकताएं पूरी की जाएंगी और नवंबर में काम शुरू कर दिया जाएगा। योजना की निर्माण अवधि 18 माह है। इस तरह जून 2020 तक यह बनकर तैयार हो जाएगा। परियोजना के पूरा होने के बाद शहर पेयजल के लिए एक बड़ी समस्या का निदान हो जाएगा।
इन गांवों को मिलेगा पानी
मुड़ना जलाशय से शहर के साथ-साथ आसपास के गांव पचगांव, मझौली, सिंदुरी, विचारपुर दूधी, झगरहा आदि गांवों के लोग भी लाभान्वित होंगे। जल संसाधन विभाग की योजना के अनुसार इन गांवों में सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराया जाएगा। योजना में सिंचाई के लिए जल संसाधन विभाग काम करेगा, जबकि शहर में पेयजल की उपलब्धता के लिए पीएचई विभाग को पाइपलाइन आदि का काम करना है।
पहले हो चुका है विरोध
मुड़ना जलाशय योजना पहले से सर्वेक्षित योजना है। इसके प्रशासकीय स्वीकृति मार्च 2012 में मिल गई थी। निर्माण के लिए एजेंसी भी तय कर दी गई थी, लेकिन निर्माण कार्य शुरू होने से पहले ही प्रभावित ग्राम दूधी, झगरहा, पुरनिहा, विचारपुर, वासिन, मझौली एवं पचगांव की अधिग्रहित की जा रही भूमि के भू-स्वामियों ने विरोध शुरू कर दिया। अपर कलेक्टर की अध्यक्षता में समिति का गठन कर कलेक्टर से सात दिन के भीतर प्रतिवदेन मांगा। जांच दल द्वारा प्रस्तुत प्रतिवेदन से सहमत होते हुए कलेक्टर ने जून 2013 में इस पर रोक लगा दी थी। इसके बाद मप्र शासन जल संसाधन विभाग भोपाल द्वारा 22 सितंबर 2015 को परियोजना को कृषकों के विरोध के चलते निरस्त कर दिया गया था।
इनका कहना है
विधायक और अन्य जनप्रतिनिधियों के निर्देश पर योजना की डीपीआर तैयार कर फिर से भेजा गया था। स्वीकृति मिल चुकी है, जल्द ही टेंडर की प्रक्रिया पूरी की जाएगी।
डीआर आकरे, ईई जल संसाधन विभाग