मुस्लिम परिवार ने की शिवलिंग की पूजा, कर्नाटक में वीडियो वायरल

शिवलिंग पूजा मुस्लिम परिवार ने की शिवलिंग की पूजा, कर्नाटक में वीडियो वायरल

IANS News
Update: 2022-03-04 06:00 GMT
मुस्लिम परिवार ने की शिवलिंग की पूजा, कर्नाटक में वीडियो वायरल

डिजिटल डेस्क, विजयनगर। कर्नाटक के विभिन्न जिलों में सांप्रदायिक झड़पों और तनाव की विचलित करने वाली खबरों के बीच एक मुस्लिम परिवार के शिवलिंग की पूजा करते हुए फोटो और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गए हैं। विजयनगर जिले के कोट्टर शहर के केलागेरी के रसूल हदगली के परिवार की कर्नाटक के लोगों ने धर्म की सीमाओं को पार करने और सहिष्णुता और सह-अस्तित्व के लिए आगे का रास्ता दिखाने के लिए प्रशंसा और सराहना की है।

रसूल हदगली का परिवार महाशिवरात्रि पर्व पर 16 साल से शिवलिंग की पूजा कर रहा है। रसूल की बहन के परिवार के सदस्य, ससुराल वाले और रिश्तेदार उसके घर उत्सव और विशेष पूजा के लिए आते हैं। वे त्योहार के दिन मांसाहारी भोजन भी नहीं बनाते हैं।

कंडागल तालुक में मोरारजी देसाई आवासीय विद्यालय के प्रधानाचार्य के रूप में काम करने वाले रसूल ने अपने पिता स्वर्गीय करीम साब से शिवलिंग प्राप्त किया था। उनके पिता एक स्थानीय नगर पालिका में ड्राइवर के रूप में काम करते थे और मूर्तिकला भी करते थे। उन्होंने शिवलिंग को तराशा था, मगर वह इसे संवारने का काम पूरा नहीं कर सके।

उन्होंने शिवलिंग को घर में रखा और उनके परिवार ने महा शिवरात्रि के त्योहारों के दौरान शिवलिंग की पूजा करना शुरू कर दिया। उन्हें हिंदू पड़ोसियों और दोस्तों ने अनुष्ठान और पूजा की सलाह दी थी। अब, परिवार सभी अनुष्ठान करता है और बिना किसी दोष के शिवलिंग की पूजा करने की परंपरा का पालन करता है। शिवरात्रि पर्व के बाद शिवलिंग को सावधानी पूर्वक अलमारी में रख दिया जाता है।

रसूल हदगली बताते हैं कि शिवलिंग को उनके पिता ने किसी को देने के लिए बनाया था। वे कहते हैं, हमने इसे सुरक्षित रखा और महा शिवरात्रि के दौरान 16 साल तक शिवलिंग की पूजा करते रहे। परिवार शिवलिंग की पूजा के लिए पास की पहाड़ियों से 11 तरह के फूल लेकर आता है। शाम छह बजे से रात 9 बजे तक त्योहार के दौरान विशेष पूजा अर्चना की जाती है। परिवार जागरण (रात भर जागने का समारोह) भी करता है।

परिजनों का कहना है कि शिवलिंग की पूजा करने से मन की शांति मिलती है। यह सद्भाव, सह-अस्तित्व का उपहार है, जो हमारे पिता स्वर्गीय करीम साहब ने दिया है।

आईएएनएस

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