वैनगंगा में मिल रहा नागनदी का गंदा पानी 

वैनगंगा में मिल रहा नागनदी का गंदा पानी 

Anita Peddulwar
Update: 2019-04-23 10:43 GMT
वैनगंगा में मिल रहा नागनदी का गंदा पानी 

डिजिटल डेस्क, भंडारा। वैनगंगा नदी पर बने गोसेखुर्द बांध में संग्रहित दूषित पानी की समस्या हल होने का नाम नहीं ले रही है। नाग नदी का गंदा पानी वैनगंगा नदी में मिश्रित होने से जिले के जलस्त्रोत दूषित होने लगे हैं। वैनगंगा नदी में पानी उपलब्ध तो है किंतु यह दूषित पानी स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक है। गर्मी के मौसम में वैनगंगा के पानी में इकोर्निया वनस्पति बढ़ रही है। जिले के वैनगंगा नदी पर पवनी तहसील में गोसे ग्राम में महत्वकांक्षी गोसेखुर्द प्रकल्प बनाया गया। बांध में वैनगंगा नदी का पानी संग्रहित किया गया है। नदी तट पर बसे ग्रामों में पेयजल योजना के माध्यम से नदी के पानी की आपूर्ति की जाती है। किंतु नाग नदी के गंदे पानी से वैनगंगा नदी का पानी दूषित हो गया है।

परिणामवश दूषित जल प्राशन करने वाले नागरिकों में चर्मरोग, पेट से जुड़ी समस्याए बढ़ रही है। कुछ ग्रामों में आरो प्लान्ट लगाए गए हैं। इसके बाद भी दूषित जल की समस्या से निजात नहीं मिल पायी है। नदी का पानी केवल मनुष्य ही नहीं बल्कि गांव के पालतू जानवरों के लिए खतरा बन गया है। नदी तट पर बसे ग्रामों के किसान सिंचाई हेतु इसी पानी का उपयोग करते है। ग्रीष्मकाल शुरू होते ही नदी के पानी में जलपर्णी (इकॉर्निया) वनस्पति बढऩे लगी है। गोसेखुर्द बांध में संग्रहित पानी में जलपर्णी नजर आती है। दूषित पानी का प्रभाव नदी तट पर बसे ग्रामों के जलस्त्रोतों पर होने लगा है।  गांव के कुएं, बोरवेल का पानी दूषित हो गया है। गोसेखुर्द प्रकल्प के पानी में नाग नदी का दूषित पानी संग्रहित होने से यह समस्या उभर कर आयी है। जनप्रतिनिधि, प्रशासन इस समस्या को हल नहीं कर पाए। इसलिए अब वैनगंगा के पानी के शुध्दिकरण की समस्या पर नजरअंदाज करना शुरू कर दिया है। 

फ्लोराइडयुक्त पानी का पीने के लिए उपयोग
जिले के अनेक ग्रामों में फ्लोराइडयुक्त दूषित पानी की आपूर्ति हो रही है। इनमें धारगांव, पहेला, सावरी, ठाणा, खरबी, सालेभाटा, राजेगांव, लवारी, लाखोरी, माडगी आदि ग्रामों का समावेश है। फ्लोराइडयुक्त पानी का पीने हेतु उपयोग किया जा रहा है। दूषित पानी की समस्या गहराने लगी है। 

कोई ठोस उपाय नहीं
वैनगंगा नदी में छोड़े जा रहे दूषित पानी पर प्रक्रिया कर शुध्द पानी छोडऩे हेतु नागपुर में प्रकल्प शुरू किया गया है। किंतु प्रकल्प की क्षमता से अधिक पानी महानगर से छोड़ा जा रहा है। परिणावश दूषित पानी की समस्या जस की तस है। दूषित पानी की समस्या गांव तथा तहसील तक सीमित न होकर व्यापक बन गई है। नागरिकों के स्वास्थ्य से जुड़ी इस समस्या पर प्रभावी व ठोस उपाय करने की आवश्यकता है। 

बनी रहेगी दूषित पानी की समस्या
शहर में वैनगंगा नदी के पानी से जलापूर्ति की जाती है। फलस्वरूप वर्षोंं से शहरवासी दूषित पेयजल की समस्या से जूझ रहे हैं। जिसे लेकर नागरिकों ने कई बार नगर परिषद को शिकायत दी है। शहरवासियों को शुध्द पेयजलापूर्ति करने नगर परिषद द्वारा 56  करोड़ रुपयों की पेयजलापूर्ति योजना को मंजूरी दी है। लेकिन इसका काम पूर्ण होने में 18 माह का समय लगेगा। जिसके चलते शहरवासियों को और कुछ दिनों तक दूषित पानी की समस्या का सामना करना पड़ेगा। 

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