फिर थमे 320 ‘आपली बस’ के पहिए, ऑपरेटरों का दावा- डीजल भरने तक के रुपए भी नहीं हैं

फिर थमे 320 ‘आपली बस’ के पहिए, ऑपरेटरों का दावा- डीजल भरने तक के रुपए भी नहीं हैं

Anita Peddulwar
Update: 2018-09-22 09:49 GMT
फिर थमे 320 ‘आपली बस’ के पहिए, ऑपरेटरों का दावा- डीजल भरने तक के रुपए भी नहीं हैं

डिजिटल डेस्क,नागपुर।  उपराजधानी की लाइफ लाइन कही जाने वाली मनपा की ‘आपली बस’ के पहिये फिर एक बार थम गए हैं। मनपा पर बकाया 45 करोड़ रुपए नहीं मिलने से तीनों कंपनी ऑपरेटर हड़ताल पर चले गए हैं। शनिवार को सुबह से शहर में एक भी बस नहीं चली है। ये बसें डिपो पर ही खड़ी हुई है। जिस वजह से शहरवासियों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। बस ऑपरेटर कंपनी का दावा है कि उसके पास न ड्राइवरों को वेतन देने के लिए पैसे हैं और न डीजल भरने के लिए । ऐसे में बिना पैसों के बसें चलाना अब संभव नहीं है। मनपा ने मई 2018 से कंपनी को पैसा भुगतान नहीं किया है।

ऐसे में प्रत्येक ऑपरेटर का 15-15 करोड़ यानी 45 करोड़ रुपए मनपा पर बकाया है। इस संबंध में मनपा सत्तापक्ष-प्रशासन को पत्र देकर भी सूचित किया, लेकिन मनपा ने इस पत्र को गंभीरता से नहीं लिया। अंतत: शनिवार सुबह से ऑपरेटर हड़ताल पर चले गए हैं। विशेष यह कि इस हड़ताल की मनपा परिवहन विभाग के व्यवस्थापक शिवाजी जगताप ने अधिकृत जानकारी सत्तापक्ष को नहीं दी है। परिवहन समिति के सभापति बंटी कुकडे ने इसकी प्रशासन से जानकारी मिलने से इनकार करते हुए कहा कि प्रशासन ने अभी तक आधिकारिक जानकारी देना भी मुनासिब नहीं समझा है। फिर भी हम संपर्क में हैं। बातचीत के जरिये कोई समाधान निकाला जाएगा।

बता दें कि पिछले काफी समय से मनपा और बस प्रबंधक के बीच बकाया राशि को लेकर विवाद जारी है। बकाया विवाद को लेकर ही पिछले दिनों केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी का ड्रीम प्रोजेक्ट कहे जाने वाली इथेनॉल पर आधारित ग्रीन बस बंद हो गई थी। केंद्रीय मंत्री के निवेदन करने के बाद भी स्कैनिया कंपनी ने अपना बोरिया बिस्तर समेट लिया था। बावजूद इसके मनपा सत्तापक्ष और प्रशासन ने कोई सबक नहीं लिया। ग्रीन बस बंद होने के बाद रेड बस (आपली बस) के ऑपरेटरों ने भी मनपा को पत्र देकर बकाया भुगतान करने को कहा था, अन्यथा बसें बंद करने की धमकी दी थी। शुक्रवार को भी इस संबंध में मनपा प्रशासन और पदाधिकारियों के साथ ही केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को पत्र देकर सूचना दी गई। आखिरकार शनिवार सुबह से बस ऑपरेटरों ने अपनी हड़ताल शुरू कर दी। फिलहाल हड़ताल शुरू होने के बाद सत्तापक्ष-प्रशासन किसी तरह हड़ताल तोड़ने में जुट गया है। दोपहर में परिवहन व्यवस्थापक शिवाजी जगताप ने इस संबंध में बैठक भी बुलायी थी। जिसमें बीच का रास्ता खोजने की तैयारी चल रही है। हालांकि बस ऑपरेटरों ने बिना भुगतान बसें चलाने से इनकार कर दिया है।

कहां जा रहे हैं सरकार के पैसे

बस ऑपरेटर या ड्राइवरों के हड़ताल पर जाना अब नियमित समस्या बन गई है। मामला हर बार बकाया भुगतान या फिर वेतनवृद्धि होती है। सवाल उठ रहे है कि सरकार से इस संंबध में मनपा को पैसा मिलता है। फिर वह जाते कहा है। प्रशासन भी इस बाबत अब तक कोई ठोस जवाब नहीं दे पाया है। आर्थिक तंगी के कारण पिछले अप्रैल में बस ऑपरेटरों का भुगतान रोक दिया गया था। ऐसे में पिछली बार ऑपरेटरों ने पूरे एक दिन बस सेवा बंद रखी थी। उसके बाद डेढ़-डेढ़ करोड़ रुपए देकर स्थिति सामान्य की थी। किन्तु इसके बाद बकाया फिर 15-15 करोड़ तक पहुंच गया है। बताया गया कि शुक्रवार शाम तो ऑपरेटर के पास डीजल भरने के भी पैसे नहीं बचे थे। सूत्रों ने बताया कि परिवहन विभाग के अकाउंट में 1.10 करोड़ रुपए टिकट से अर्जित हुए है। उसमें से थोड़ा-थोड़ा भुगतान कर बस हड़ताल से बचा जा सकता था। दो दिन पहले परिवहन विभाग की वित्त विभाग के प्रभारी उपायुक्त नितीन कापडणीस के साथ बैठक भी हुई। लेकिन कोई ठोस निष्कर्ष नहीं निकल सका।

प्रशासन की लापरवाही का नतीजा

बस ऑपरेटरों की हड़ताल प्रशासन की लापरवाही का नतीजा है। सुबह से बसें नहीं चली। लेकिन इस बाबत परिवहन व्यवस्थापक ने अब तक आधिकारिक तौर पर जानकारी तक नहीं दी है। मई से अब तक ऑपरेटरों को भुगतान नहीं किया गया। बकाया इतना ज्यादा है कि वे थोड़े-थोड़े पर मानने को तैयार नहीं है। (बंटी कुकडे, सभापति, मनपा परिवहन समिति)
 

Similar News