सबसे साफ रही नागपुर की हवा, पोल्यूशन 5 वर्ष के न्यूनतम स्तर पर

सबसे साफ रही नागपुर की हवा, पोल्यूशन 5 वर्ष के न्यूनतम स्तर पर

Anita Peddulwar
Update: 2020-05-16 10:49 GMT
सबसे साफ रही नागपुर की हवा, पोल्यूशन 5 वर्ष के न्यूनतम स्तर पर

डिजिटल डेस्क, नागपुर। शहर के विश्वेश्वरैया राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (वीएनआईटी) द्वारा किए गए अध्ययन में पाया गया है कि इस वर्ष अप्रैल में नागपुर की हवा सबसे स्वच्छ रही। अप्रैल माह में प्रदूषण पिछले पांच वर्ष के अपने न्यूनतम स्तर पर पहुंचा और इस दौरान सल्फर डाइऑक्साइड (SO2), नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2) सहित पीएम-10 का प्रभाव सबसे कम रहा। 

राष्ट्रीय वातावरणीय वायु गुणवत्ता मानक (एनएएक्यूएस) के मानकों के तहत SO2 /NO2 की मात्रा 80 μg/m 3 और पीएम 10 की मात्रा 100 μg/m 3 होती है। अप्रैल में नागपुर शहर में इन प्रदूषण कणों की मात्रा सिमट कर 5 से 85 μg/m 3 के बीच रही। सिविल लाइंस स्थित एमपीसीबी कार्यालय के पास SO2 , NO2 और पीएम 10 की मात्रा क्रमश: 5, 12 और 47 μg/m 3 रही। वहीं, उत्तर अंबाझरी रोड स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियर्स के पास SO2 , NO2 और पीएम 10 की मात्रा क्रमश: 5, 14 और 80 μg/m3 रही। इसी प्रकार, एमआईडीसी हिंगना रोड, गवर्नमेंट पॉलिटेक्निक सदर जैसे क्षेत्रों में भी प्रदूषण में भारी गिरावट दर्ज की गई। वीएनआईटी के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर डॉ. दिलीप लटये ने यह अध्ययन किया है। संस्थान बीते कई वर्षों से महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रक बोर्ड और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रक बोर्ड के सहयोग से वायु प्रदूषण का अध्ययन करता है।

देश की हवा भी स्वच्छ
नागपुर शहर में 16 मार्च से लॉकडाउन है। अप्रैल माह में लॉकडाउन पूरी सख्ती के साथ लागू था। इसका प्रभाव प्रदूषण के स्तर पर देखा गया। इस अध्ययन के पूर्व वीएनआईटी द्वारा ही एक और अध्ययन किया गया था। नासा के तीन सैटेलाइट से प्राप्त डाटा का अध्ययन करके शहर के वीएनआईटी की टीम ने निष्कर्ष दिया था कि लॉकडाउन के कारण देश में प्रदूषण में भारी कमी देखने को मिली। टीम ने पिछले चार वर्ष के मार्च और अप्रैल माह के प्रदूषण स्तर का अध्ययन करके पाया कि 25 मार्च से 3 मई 2020 की अवधि में प्रदूषण सबसे कम रहा। विशेष रूप से राजस्थान, उत्तर भारत, पूर्वी भारत, दक्षिण भारत  और मध्य भारत में प्रदूषण सर्वाधिक कम हुआ, वहीं पश्चिमी भारत में प्रदूषण ज्यादा कम होता नहीं दिखा।  सिविल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर डॉ. यशवंत कटपताल और उनके एमटेक इनवायरमेंट इंजीनियरिंग के छात्र विकास पटेल और प्रकाश टकसाल के अध्ययन में यह निष्कर्ष निकला था।
 

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