नागपुर खंडपीठ ने कोलकाता न्यायालय का समन किया खारिज

नागपुर खंडपीठ ने कोलकाता न्यायालय का समन किया खारिज

Anita Peddulwar
Update: 2021-03-15 08:21 GMT
नागपुर खंडपीठ ने कोलकाता न्यायालय का समन किया खारिज

डिजिटल डेस्क, नागपुर ।  बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने गड़चिरोली जिले के दो व्यक्तियों के खिलाफ कलकत्ता मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट की कोर्ट में चल रही फौजदारी कार्रवाई को खारिज किया है। भजन मलकाम (50) और पतिराम हिमाची (45) दोनों निवासी आर्मोरी गड़चिरोली याचिकाकर्ता का नाम है। कलकत्ता की निचली अदालत ने दोनों याचिकाकर्ताओं के खिलाफ भादवि 420, 406 व 120-बी के तहत समन जारी किया था। न्या. सुनील शुक्रे व न्या. अविनाश घारोटे की खंडपीठ ने संविधान के आर्टिकल 226 के तहत दिए अपने अधिकारों का उपयोग करते हुए यह आदेश जारी किया है। 

अधिकार क्षेत्र में नहीं
मामले में प्रतिवादी एलएनटी फायनांस कंपनी का दावा था कि समन कलकत्ता कोर्ट द्वारा जारी किया गया है, यह मामला नागपुर खंडपीठ के अधिकार क्षेत्र के बाहर का है। ऐसे में नागपुर खंडपीठ को मामले में निर्णय देने के अधिकार नहीं हैं। आर्टिकल 226 का हवाला देते हुए नागपुर खंडपीठ ने स्पष्ट किया है कि इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि आदेश जारी करने वाला प्राधिकरण नागपुर खंडपीठ के अधिकार क्षेत्र का है या नहीं, यदि घटना नागपुर खंडपीठ के अधिकार क्षेत्र में घटित हुई है, तो नागपुर खंडपीठ को इस मामले में फैसला देने का अधिकार है। 

यह था मामला 
याचिकाकर्ता ने एलएनटी फायनांस कंपनी से वाहन खरीदने के लिए लोन लिया था, लेकिन कुछ किश्तें देने के बाद ये लोन नहीं चुका पाए। मिडियेशन में याचिकाकर्ता पर 6,62,664 रुपए की रिकवरी निकाली गई। जब तक ये पैसे न भरें, कंपनी को इनका वाहन अपने पास रखने की अनुमति भी दी। फिर भी जब ये लोन नहीं भर पाए, तो कंपनी ने मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट कलकत्ता के समक्ष 7 फरवरी 2018 को दोनों याचिकाकर्ताओं के खिलाफ शिकायत दायर की थी। कलकत्ता की इस निचली अदालत ने 26 मार्च 2018 को दोनों याचिकाकर्ताओं के खिलाफ भादवि 420, 406 व 120-बी के तहत समन जारी किया था। ऐसे में दोनों कर्जदारों ने हाईकोर्ट की शरण ली। हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान पाया कि फायनांस कंपनी को वाहन जप्त करने और उसे बेच कर कर्ज वसूलने के अधिकार थे। यह पहलू और अन्य जरूरी मुद्दे उन्होंने छिपा कर मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट के पास शिकायत की थी। ऐसे में कंपनी की मंशा पर सवाल उठाते हुए कलकत्ता कोर्ट द्वारा जारी कार्रवाई को रफा-दफा कर दिया। 

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