अनाधिकृत धार्मिक स्थलों के अतिक्रमण मामले में हाईकोर्ट का फरमान, तीन श्रेणियों में बांटकर नए सिरे से लिस्ट तैयार करने के निर्देश

अनाधिकृत धार्मिक स्थलों के अतिक्रमण मामले में हाईकोर्ट का फरमान, तीन श्रेणियों में बांटकर नए सिरे से लिस्ट तैयार करने के निर्देश

Anita Peddulwar
Update: 2018-09-20 06:28 GMT
अनाधिकृत धार्मिक स्थलों के अतिक्रमण मामले में हाईकोर्ट का फरमान, तीन श्रेणियों में बांटकर नए सिरे से लिस्ट तैयार करने के निर्देश

डिजिटल डेस्क, नागपुर। शहर में अनाधिकृत धार्मिक स्थलों के अतिक्रमण के मामले में  बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच में सुनवाई हुई। जस्टिस भूषण गवई और जस्टिस सुनील शुक्रे की बेंच ने मनपा को नया फरमान दिया है कि मनपा आयुक्त की अध्यक्षता में एक समिति गठित करें और 29 सितंबर 2009 के पहले स्थापित किए गए अनाधिकृत धार्मिक स्थलों की सूची नए सिरे से बनाएं। इसमें नियमितीकरण और तोड़-फोड़ दोनों प्रक्रियाओं की पूर्ण जानकारी दें। यह सूची शहर के प्रमुख हिंदी, मराठी, उर्दू और अंग्रेजी अखबारों में प्रकाशित करें। इसके बाद इस पर आक्षेप मंगाए जाएं। तीन माह के भीतर आक्षेपों पर सुनवाई पूरी करें। कोर्ट ने आदेश दिए हैं कि इस सूची को तीन श्रेणियों में बांटें। 

कार्रवाई जारी रखने के आदेश
हाईकोर्ट ने मनपा और नासुप्र को आदेश दिए हैं कि 29 सितंबर 2009 के बाद शहर में कहीं भी अनाधिकृत रूप से निर्माण किए गए धार्मिक स्थलों के खिलाफ कार्रवाई जारी रखें, लेकिन इसके पूर्व स्थापित किए गए अनाधिकृत धार्मिक स्थलों के अतिक्रमण को हटाने पर हाईकोर्ट ने एक विस्तृत दिशा-निर्देश शहर प्रशासन को दिए हैं। नागपुर शहर के अनाधिकृत धार्मिक स्थलों पर बीते कुछ महीनों से हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया था, जिसके बाद मनपा और नासुप्र ने अनाधिकृत धार्मिक स्थलों के खिलाफ धड़ल्ले से कार्रवाई की थी। उन्होंने अनाधिकृत धार्मिक स्थलों की सूची बनाई, इसे विविध श्रेणियों में विभाजित कर उन्हें गिराने का नोटिस जारी किया, लेकिन इस कार्रवाई के खिलाफ कई स्थानीय निवासियों ने असंतोष जताया और कोर्ट में अर्जी दायर कर अपना पक्ष सुनने की गुजारिश की।

उनके वकीलों ने दावा किया कि प्रशासन द्वारा तैयार की गई सूची ही त्रुटि पूर्ण है। ऐसे में बुधवार को हाईकोर्ट ने इस पर एक निर्देश जारी किया। हाईकोर्ट ने मनपा और नासुप्र से अब तक अतिक्रमण के खिलाफ की गई कार्रवाई का ब्योरा एक सप्ताह में प्रस्तुत करने के आदेश दिए हैं। मामले में याचिकाकर्ता मनोहर खोरगडे की ओर से एड. फिरदौस मिर्जा, मंदिर समिति की ओर से एड. अनिल किल्लोर, नासुप्र की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एस. के. मिश्रा, मनपा की ओर से एड. सुधीर पुराणिक, राज्य सरकार की ओर से विशेष सरकारी वकील सुनील मनोहर ने पक्ष रखा। 

कोर्ट ने क्या कहा
ए श्रेणी में ऐसे अनाधिकृत धार्मिक स्थलों को रखें, जिन्हें नियमित किया जा सकता है।  कोर्ट ने 1 मई 1960 के बाद के अनाधिकृत धार्मिक स्थलों को नियमित करने के लिए राज्य स्तरीय समिति से एक माह में मंजूरी लेने को कहा है। 
बी श्रेणी में ऐसे अनाधिकृत धार्मिक स्थलों को रखें, जिन्हें गिराना जरूरी हो, लेकिन इन्हें गिराने के पहले राज्य स्तरीय समिति से एक माह पूर्व मंजूरी लें। 
सी श्रेणी में ऐसे अनाधिकृत धार्मिक स्थलों काे रखा जाए, जिन्हें गिराने की जगह अन्य किसी स्थान पर स्थानांतरित किया जा सकता हो। अगर स्थानांतरण तीन माह में पूर्ण नहीं किया गया, तो फिर मनपा अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई जारी रख सकती है। 

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