स्नातक चुनाव : नए चेहरों पर लग सकते हैं दांव

स्नातक चुनाव : नए चेहरों पर लग सकते हैं दांव

Anita Peddulwar
Update: 2020-10-26 04:56 GMT
स्नातक चुनाव : नए चेहरों पर लग सकते हैं दांव

डिजिटल डेस्क, नागपुर। विधानपरिषद की नागपुर स्नातक निर्वाचन सीट के चुनाव को लेकर अंदरूनी हलचल है। भाजपा व कांग्रेस की उम्मीदवारी को लेकर नई उम्मीदें भी की जाने लगी हैं। माना जा रहा है कि इस बार चुनाव में नए चेहरों पर ही दांव लगाया जा सकता है। कुछ अन्य संगठनों की ओर से भी उम्मीदवार दमदारी दिखाने का प्रयास कर सकते हैं। हालांकि अब तक इस चुनाव के लिए तारीख की घोषणा नहीं हुई है। फिलहाल भाजपा के अनिल सोले इस क्षेत्र से विधानपरिषद में प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। 18 जुलाई 2020 को उनका कार्यकाल पूरा हो गया है। कोरोना संकट के कारण विविध चुनावों के साथ ही इस सीट के लिए चुनाव भी लंबित रह गया है। परंपरागत तौर पर देखा जाए तो यह सीट भाजपा के कब्जे में रही है। गंगाधरराव फडणवीस, नितीन गडकरी इस सीट से विधानपरिषद में प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। लिहाजा जीत कायम रखने के लिए भाजपा ने पहले से ही तैयारी की है। 

पंजीयन में भाजपा आगे
स्नातकों का मतदाता पंजीयन कराने में भाजपा आगे है। भाजपा के सोले ने अपनी उम्मीदवारी कायम रहने की उम्मीद के साथ क्षेत्र में संपर्क बढ़ा रखा है। नागपुर स्नातक निर्वाचन क्षेत्र के अंतर्गत पूर्व विदर्भ के 6 जिले आते हैं। सोले ने गड़चिराेली, चंद्रपुर, गोंदिया, भंडारा में कार्यकर्ताओं से संपर्क कायम रखा है। लेकिन भाजपा से ही संदीप जोशी का नाम भी सामने आ रहा है। जोशी महापौर भी हैं। उन्होंने घोषणा की है कि वे अब मनपा का चुनाव नहीं लड़ेंगे। दावा तो यहां सुना जा रहा है कि जोशी के लिए उम्मीदवार बनने का रास्ता साफ हाे गया है। यह अवश्य कहा जा रहा है कि सोले के लिए संघ का आशीर्वाद काम आ सकता है। उधर कांग्रेस में अभिजीत वंजारी की उम्मीदवारी लगभग तय है। इस सीट के लिए कांग्रेस की कई बार चर्चा मुंबई में हुई है। 

मिलने लगे हैं संकेत
कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने संकेत दिए हैं कि वंजारी ही प्रमुख दावेदारों में हैं। हालांकि यह भी सुना जा रहा है कि किरण पांडव, आशीष देशमुख सहित अन्य नेता भी दांव आजमाने का प्रयास कर सकते हैं। शिक्षा क्षेत्र में मेघे, पांडव व मुलक परिवार का दबदबा देखते हुए कांग्रेस ऐसे कार्यकर्ता पर ही दांव लगा सकती है जो इन परिवारों के करीबी हो। विदर्भवादी संगठन, भीम सेना, बहुजनवादी संगठन के अलावा अन्य संगठनों के उम्मीदवार भी चुनाव मैदान में रह सकते हैं। अगले सप्ताह से इस चुनाव के लिए हलचल तेज होने के संकेत है। 
 

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