नागपुर मनपा बजट: मुंढे द्वारा रोके गए कामों को फिर मंजूरी, वार्ड फंड को भी हरी झंडी 

नागपुर मनपा बजट: मुंढे द्वारा रोके गए कामों को फिर मंजूरी, वार्ड फंड को भी हरी झंडी 

Anita Peddulwar
Update: 2020-10-21 06:09 GMT
नागपुर मनपा बजट: मुंढे द्वारा रोके गए कामों को फिर मंजूरी, वार्ड फंड को भी हरी झंडी 

डिजिटल डेस्क, नागपुर। नागपुर महानगरपालिका के इतिहास में पहली बार स्थायी समिति का बजट कटौती भरा रहा। बजट पर कोरोना का असर साफ दिखा। मनपा स्थायी समिति के सभापति विजय (पिंटू) झलके ने आर्थिक वर्ष 2020-21 के लिए 2731.00 करोड़ रुपए का प्रस्तावित बजट दिया। इसमें भी 231 करोड़ रुपए पिछले वर्ष के शेष है। 

वसूली पर कोरोना का सीधा असर
बड़ी राहत यह है कि कटौती पूर्ण बजट के बावजूद किसी कर में न बढ़ोतरी की गई और न कोई नया कर प्रस्तावित किया गया। हालांकि संपत्ति कर, जल कर, बाजार, एलबीटी, विज्ञापन सहित अन्य कर वसूली के आर्थिक लक्ष्य को भी बढ़ाया नहीं गया। इसकी बड़ी वजह, कोरोना के कारण वसूली पर सीधा असर है। कोरोना संकट के कारण करदाताओं  ने संपत्ति, जल कर सहित अनेक करों का भुगतान नहीं किया।  

स्थिति के अनुसार लिया निर्णय 
संपत्ति व जलप्रदाय विभाग के अनेक कर्मचारियों के कोरोना पॉजिटिव होने से भी काम ठप रहा। जब यह साफ हो गया कि आर्थिक लक्ष्य साधना आसान नहीं है, तो बजट को वास्तविकता के करीब रखने का निर्णय लिया गया। 

पोहाणे ने 3197.60 करोड़ का बजट दिया था
स्थायी समिति ने  2500 करोड़ रुपए  रुपए का बजट दिया। पिछले वर्ष के 231 करोड़ रुपए शेष मिलाकर कुल 2731 करोड़ रुपए का बजट महापौर संदीप जोशी को सौंपा गया। गत वर्ष स्थायी समिति के तत्कालीन सभापति प्रदीप पोहाणे ने 3197.60 करोड़ का बजट दिया था। इसकी तुलना में करीब 466 करोड़ की कटौती का बजट रहा। 

संतुलित और वास्तविक बजट 
यह अवास्तव नहीं, वास्तविक बजट है। हमें वास्तविकता पता है। अगर यह बजट मार्च-अप्रैल में होता तो और बात होती। अभी छह महीने गुजर चुके हैं। तीन और महीने कोरोना में जांएगे। ऐसे में समय नहीं बचा है। संपत्ति, जलप्रदाय विभाग के अनेक कर्मचारी पॉजिटिव होने से टैक्स वसूली पर भी असर हुआ है। इसके बावजूद स्थायी समिति सभापति ने संतुलित और वास्तविक बजट देने का प्रयास किया है। हर सभापति को लगता है कि उनके कार्यकाल में फलां-फलां योजना होनी चाहिए, लेकिन उन्होंने वास्तविकता को देखते हुए बजट पेश किया।  -संदीप जोशी, महापौर 

हर जोन में मोबाइल हॉस्पिटल
कोरोना संकट से मनपा ने सबक भी लिया। बजट पेश करते हुए स्थायी समिति सभापति पिंटू झलके का जोर स्वास्थ्य सेवाओं पर रहा। इस बार सभी तरह की स्वास्थ्य सेवाओं पर सर्वाधिक 70 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया। पंडित दीनदयाल उपाध्याय अंत्योदय योजना अंतर्गत चलता-फिरता दवाखाना शुरू करने का निर्णय लिया गया। प्रत्येक जोन में एक चलता-फिरता (मोबाइल)दवाखाना शुरू किया जाएगा। इसके लिए वैद्यकीय चिकित्सक व नर्सिंग स्टाफ भी रहेगा। इसके अलावा 10 जोन में एक-एक शीतपेटी लेने का भी निर्णय लिया गया। कोरोना संकट के कारण इन चीजों की जरूरत देखी गई। इसके अलावा रुके हुए कार्यों को गति देने पर ज्यादा जोर दिया गया। 

20 लाख हुआ वार्ड फंड
कोरोना संकट के कारण वार्ड फंड की निधि में मामूली कटौती की। 21 लाख के बजाय इसे घटाकर 20 लाख कर दिया। बजट भाषण में श्री झलके ने बजट में देरी के लिए मुंढे को जिम्मेदार माना। उन्होंने कहा कि नियमानुसार मुंढे को 15 फरवरी के पहले बजट पेश करना चाहिए था, लेकिन बजट देरी से मिलने के कारण प्रशासन से लेन-देन और खर्च की जानकारी समय पर नहीं मिल पाई। यहीं नहीं, तुकाराम मुंढे पर नियमों को दरकिनार कर बजट पेश करने का भी आरोप लगाया गया। किसका कितना लेन-देन है या बांधिल खर्च है, इसकी जानकारी नहीं दी गई। 

वन-टाइम सेटलमेंट योजना पर विचार
 कोरोना संकट के कारण अनेक लोगों के रोजगार गए हैं। इस कारण बकाया कर भुगतान करने में अनेक लोग असमर्थ हैं। इसे ध्यान में रखते हुए स्थायी समिति ने मनपा सभागृह से संपत्ति कर पर लगने वाला शास्ती कर माफ करने और संपत्ति कर बकाया की एकमुश्त वसूली के लिए आयुक्त से वन-टाइम सेटलमेंट योजना पर निर्णय लेने को कहा है। इसके अलावा पानी बिल में 50 प्रतिशत की माफी और तत्कालीन आयुक्त तुकाराम मुंढे द्वारा पानी कर में की गई 5 प्रतिशत वृद्धि को भी स्थगित करने की मांग प्रशासन से की है। स्थानीय संस्था कर (एलबीटी) के बकाया वसूली के लिए भी वन-टाइम सेटलमेंट करने के लिए सरकार से पत्र-व्यवहार करने को कहा है।

बजट का ज्यादातर हिस्सा मुंढे पर फोकस 
बजट का ज्यादातर हिस्सा पूर्व आयुक्त तुकाराम मुंढे पर केंद्रित रहा। मुंढे द्वारा रोके गए 347 करोड़ के कामों को फिर से शुरू करने की मंजूरी दी गई। जिसमें सभी तरह के कामों को शामिल किया गया। यही नहीं, मुंढे ने अपने बजट में वार्ड फंड में बड़े पैमाने पर कटौती की थी। पिंटू झलके ने अपने बजट में वार्ड फंड की निधि को ज्यों का त्यों रखा। 
 

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