गणेशोत्सव में पहुंचा बाहुबली, मुंबई से आई टीम कर रही बाहुबली नाटक का मंचन 

गणेशोत्सव में पहुंचा बाहुबली, मुंबई से आई टीम कर रही बाहुबली नाटक का मंचन 

Anita Peddulwar
Update: 2018-09-19 10:24 GMT
गणेशोत्सव में पहुंचा बाहुबली, मुंबई से आई टीम कर रही बाहुबली नाटक का मंचन 

डिजिटल डेस्क, नागपुर। गणेशोत्सव की सर्वत्र धूम मची हुई है। इन दिनों शहर में चल रहे कार्यक्रमों में बाहुबली नाटक विशेष आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है। नाटक का मंचन करने  पूरी टीम मुंबई से आई है, जिसमें करीब 100 लोग शामिल हैं। ये कलाकार बाहुबली फिल्म को नाटक के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं, जो अपनी सीरीज के लिए मशहूर हैं। इसका प्रस्तुतिकरण भव्यता के साथ किया जा रहा है। भव्य सेट और राजमहल बनाया गया है, वैसा ही सेट लगाया गया है जैसा कि बाहुबली फिल्म में था। नाटक में किरदारों ने भी बहुत मेहनत की है।

भव्य सेट और बाहुबली जैसे ही किरदार 
भल्लालदेव का किरदार निभा रहे श्रीकुमार मुंबई में अभिनय करते हैं। वे कहते हैं कि आज भी दर्शकों की दिलचस्पी नाटकों में है। जब से नाटक का मंचन किया जा रहा है तब से यहां भीड़ है। मानव जीवन के कुछ भाव और प्रसंग कालजयी होते हैं। वे भाषा और देशकाल की सीमाओं को भी लांघ जाते हैं। जैसे आप शेक्सपियर के नाटक देखते हैं, चार्ली चैप्लिन की फिल्में देखते हैं। बाहुबली से तो हर कोई परचिति है फिर भी लोग इसे देख रहे हैं। यहां तो हर वर्ष महाभारत या रामायण के प्रसंगों पर कोई न कोई नाटक का मंचन होता है और वह भी इतना ही भव्य होता है इस बार भी ये सेट बहुत भव्य है। ( श्रीकुमार, कलाकार)

लोगों को लुभा रहा लाइव शो
हमारा लाइव शो लोगों को लुभा रहा है। इसके लिए हमने कड़ी मेहनत की है। हम लोग रोज रिहर्सल करते हैं। लाइव शो में अभिनय करना ज्यादा चुनौतीपूर्ण है क्योंकि इसमें रीटेक नहीं होते हैं। बाहुबली नााटक में मैं बाहुबली का किरदार निभा रहा हूं, मैं मुंबई में भी कई शो कर चुका हूं। यहां से इस शो के लिए बुलावा आया तो मैंने इसे एक्सेप्ट कर लिया। ये बाहुबली की थीम पर बना है। हमने अपने हावभाव और कैरेेक्टर पर बहुत मेहनत की है।  ( पार्थ तिवारी, कलाकार)

आकर्षण फिर से बढ़ा
सिनेमा, टीवी, धारावाहिकों के प्रचलन ने नाटकों की परंपरा को कुछ समय के लिए धूमिल किया था, पर इधर नाटकों के प्रति उनका आकर्षण फिर से बढ़ा है। टीवी और सिनेमा में पात्रों के साक्षात दर्शन नहीं होते, लेकिन मंच पर पात्रों को बिल्कुल सामने देखने-सुनने का अपना अलग ही आनंद होता है। वैसे संवाद की सुविधा के लिए की व्यवस्था की गई है। भारतीय रंगमंच में यह भी एक नई शुरुआत है। ( संतकुमार, नाट्य प्रेमी)

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