नागपुर : FCI के पास रहने वाले हो गए त्रस्त, कान-नाक ही नहीं भोजन-कपड़े में भी घुस जाता है घुन

नागपुर : FCI के पास रहने वाले हो गए त्रस्त, कान-नाक ही नहीं भोजन-कपड़े में भी घुस जाता है घुन

Anita Peddulwar
Update: 2020-06-17 07:11 GMT
नागपुर : FCI के पास रहने वाले हो गए त्रस्त, कान-नाक ही नहीं भोजन-कपड़े में भी घुस जाता है घुन

डिजिटल डेस्क, नागपुर।    एफसीआई के आस-पास रहने वाले लोग घुन के डर से फ्लैट्स छोड़कर एरिया से बाहर रहने को मजबूर हैं। जो यहां रहने का साहस कर रहे हैं, वे दरवाजे, खिड़कियां बंद कर दिन गुजार रहे हैं।  बारिश शुरू होते ही एफसीआई गोदामों से आने वाले घुनों का हमला बढ़ जाता है। घुन का सबसे ज्यादा हमला जुलाई में होता है।   एफसीआई गोदामों में रखे सरकारी अनाज को कीड़े नुकसान न पहुंचाए, इसके लिए एफसीआई प्रशासन की तरफ से अनाज पर कीटनाशक दवा का छिड़काव व टैबलेट्स का इस्तेमाल समय-समय पर किया जाता है।

बारिश में घुन की समस्या विकराल होने से अनाज पर प्री-मानसून कार्यक्रम के तहत अप्रैल, मई और जून ऐसे तीन महीने तक लगातार दवा का छिड़काव किया जाता है। घुन से सबसे ज्यादा परेशान समर्थनगर में रहने वाले लोग हैं। घुन के हमले से गजानन नगर तथा प्रशांत नगर के लोग भी नहीं बच पाए हैं। समर्थनगर के शिव-विष्णु पैलेस में 4 फ्लैट घुन के कारण खाली पड़े हैं। फ्लैट मालिक घुन के डर से यहां रहने के बजाय दूसरी जगह रह रहे हैं। श्री गणेश अपार्टमेंट में रहने वाले राकेेश खंडेलवाल भी पिछले 3 महीने से परिवार समेत दूसरी जगह रह रहे हैं। गोदाम की सुरक्षा दीवार से सटकर रहने वाले कुछ लोगों ने अपना मकान बेचने के लिए निकाला है, तो कुछ लोग मकान किराए पर देकर खुद दूसरी जगह रहने जाना चाहते हैं

दरवाजे-खिड़की पर जाली लगाई 
घुन से बचने के लिए कुछ लोगों ने अपने घर के दरवाजे और खिड़कियों पर बारिक जाली लगाई है। ग्रीन नेट का भी सहारा लिया जा रहा है। समर्थनगर स्थित शिव-विष्णु पैलेस निवासी नंदकिशोर जोशी ने 30 हजार रुपए खर्च कर दरवाजे और खिड़कियों पर बारिक जाली लगाई है। उनका कहना है कि 4 फ्लैट्स खाली पड़े हैं। जो लोग रह रहे हैं वे दरवाजे-खिड़कियां बंद कर रहने को मजबूर है। अनाज व सामानों के अलावा कान, नाक, मुंह में कब घुन चला जाए, इसका डर बना रहता है। जुलाई में स्थिति भयावह होने की चिंता सता रही है।

इस बार नहीं होने देंगे घुन का हमला
बारिश के दिनों में अनाज में घुन ज्यादा हाेते हैं। प्री मानसून प्रोसेस के तहत कीटनाशक दवा का छिड़काव व टेबलेट का इस्तेमाल किया गया है। दवा ज्यादा मारने पर घुन उड़कर बाहर चले जाने या नुकसान होने का डर है। स्थिति का आकलन किया गया है। घुन पर नियंत्रण के लिए विशेषज्ञों की राय ली जा रही है। अन्य कीटनाशक के छिड़काव पर भी विचार किया जा रहा है। इस बार घुन का हमला समीप के एरिया में न हो, ऐसी व्यवस्था कर रहे हैं। समस्या कम से कम हो यही कोशिश है।  
-बी.एम. राऊत, विभागीय प्रबंधक, भारतीय खाद्य निगम नागपुर

 घुन को रोकने ग्रीन नेट  
 समर्थनगर स्थित श्री गणेश अपार्टमेंट में रहने वाले मुकेश खाडे ने बताया कि जुलाई में घुन का सबसे ज्यादा हमला होता है। कोई चीज खुली नहीं रख सकते। खाने-पीने की सामग्री के माध्यम से घुन पेट में जाने का डर रहता है। काफी सतर्क रहकर खान-पान करना पड़ता है। सोते समय घुन नाक, कान में घुस जाता है। इससे बचाव के लिए फ्लैट पर ग्रीन नेट लगाया है। दरवाजे-खिड़कियां बहुत कम खोलता हूं। 

घर वापस आने में लगता है डर
श्री गणेश अपार्टमेंट निवासी राकेश खंडेलवाल ने बताया कि पिछले तीन महीने से परिवार समेत बाहर रह रहा हूं। बारिश में घुन की समस्या बढ़ जाती है। घुन नाक, कान में घुसने का डर सता रहा है। बच्चों को लेकर विशेष चिंता बनी रहती है। अनाज के अलावा पानी, भोजन व दूध में भी कब घुन चला जाए पता ही नहीं चलता। जुलाई में कपड़ों, रजाई व चद्दरों में  घुन घुस जाते हैं। कोई चीज खुली नहीं रह सकते। 

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